डीएनए हिंदी: 15 अगस्त 1947. यही वह तारीख थी जब भारत परतंत्रता (Independence Day 2022) की बेड़ियों को तोड़कर आज़ाद हुआ था. भारत के लोग आजाद हवा में सांस ले रहे थे. इस बात पर मुहर लग गई थी कि अब भारत के लोग अपने 'भाग्य विधाता' खुद होंगे ब्रिटिश साम्राज्य नहीं. असंख्य सपूतों का बलिदान, भयावह यातना और दशकों के संघर्ष का नतीजा था कि भारत को आजादी मिल गई. भारत आज 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है लेकिन इस आजादी को हासिल करने की कहानी इतनी भी आसान नहीं है.

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की आधी रात को भाषण दिया कि अब भारत आज़ाद हो गया है. उनके भाषण को'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' के नाम से ही जाना जाता है.

Independence Day 2022: इन रेसिपीज के साथ यादगार बनेगा आजादी का जश्न, ये हैं खास पकवान

आज़ादी की शुरुआत पर क्या बोले थे देश के पहले प्रधानमंत्री?

जवाहर लाल नेहरू ने अपने पहले भाषण में कहा था, 'आज हम दुर्भाग्य के एक युग का अंत कर रहे हैं और भारत पुनः खुद को खोज पा रहा है. आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो महज एक क़दम है, नए अवसरों के खुलने का. इससे भी बड़ी जीत और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं.'

आज देश के नाम अनगिनत उपलब्धियां हैं. देश दुनिया की बड़ी महाशक्तियों में शुमार है. शायद ही कोई ऐसा देश हो जिसकी हिम्मत हो भारत से सीधा टकराने की लेकिन इसकी कीमत भारत ने बड़ी चुकाई है.

Independence Day 2022: कई बार बदल चुका है भारत का National Flag, ऐसे भी बने थे डिजाइन


संघर्षों से मिली है भारत को जीत

आजादी की यात्रा बहुत लंबी है. 1600 के बाद से ही अलग-अलग तौर पर गुलामी से लड़ने की कोशिश होती रही लेकिन समवेत भारत का स्वर 1857 के गदर के बाद ही उठा. आजादी की यह बिगुल फू्ंकी थी शहीद मंगल पांडेय ने.

1857 के संग्राम में मंगल पांडे भूमिका सबसे खास रही. मंगल पांडेय को मंजूर नहीं था कि वह चर्बी वाले कारतूसों का इस्तेमाल करें. उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि यह मंजूर नहीं है. भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों ने जो राइफलें दी थीं, उनमें इस्तेमाल होने वाले कारतूसों में सूअर और गाय की चर्बी होती थी. इन कारतूसों को मुंह से खींचकर निकालना होता था, जिसके लिए सैनिक तैयार नहीं थे. भारतीयों ने इन कारतूसों के प्रयोग को धार्मिक भावनाओं का अपमान बताया और इसका विरोध शुरू कर दिया.

PM मोदी की तिरंगा DP अपील पर कांग्रेस का जवाब, प्रोफाइल पिक में लगाई खास फोटो, ये बताया कारण

मंगल पांडेय ने फूंकी थी क्रांति की चिंगारी

25 मार्च 1857 को इन कारतूसों को लेकर मंगल पांडे ने बैरकपुर छावनी में अंग्रेज अफसरों के खिलाफ विद्रोह किया, इसके बाद मेरठ में तीसरी इन्फेंट्री के 85 सिपाही भी बगावत कर बैठे. अंग्रेज इतने क्रूर थे कि हर बगावत की सजा फांसी ही देते थे. 8 अप्रैल 1857 को उन्हें फांसी दे दी गई.

गदर के बाद तो फांसियों का अनंत सिलसिला चल पड़ा. न विद्रोह कम हुआ न अंग्रेजों के पास फांसी के फंदे कम पड़े. आजादी की लड़ाई में हर तरफ से लड़ी जा रही है. एक तरफ जहां गर्म दल के क्रांतिकारी हिंसक लड़ाई लड़ रहे थे, वहीं नर्म दल के राजनेता बौद्धिक लड़ाई लड़ रहे थे. एक तरफ महात्मा गांधी थे दूसरी तरफ चंद्र शेखर आजाद, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी थे. अंग्रेज एक के बाद एक लगातार प्रतिरोधों का सामना कर रहे थे.

असंख्य बलिदानों की परिणति है आजादी

आजादी की लपट इतनी खतरनाक थी क्रांतिकारियों की लगातार हो रही फांसी  के बाद भी क्रांति की ज्वाला मद्धम नहीं पड़ी. एक शहीद होते तो दूसरा शहीद अपने प्राणों के बलिदान के लिए न्योछावर रहता. 

अंग्रेज अपनी क्रूरता से बाज नहीं आ रहे थे. 13 अप्रैल 1919 का भयावह कांड कौन भूल सकता है. ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के कहने पर जलियावालां बाग कांड हुआ था. हजारों निर्दोष नागरिकों को गोली दागियां गईं थीं. इतने ही लोग मारे गए थे. 

यह वही घटना थी जिसकी वजह से भगत सिंह और ऊधम सिंह जैसे क्रांतिकारी सामने आए थे.  साल 1929 का दिल्ली विधानसभा बम विस्फोट, 1 अगस्त 1920 को शुरू हुआ असहयोग आंदोलन, 1922 का चौरी-चौरा कांड,  1942 का भारत छोड़ो आंदोलन जैसी तमाम घटनाएं थी जिनकी वजह से आजादी मिली. 

Independence Day: गोमो रेलवे स्टेशन से है नेताजी सुभाष चंद्र बोस का खास कनेक्शन, जानकर आपको होगा गर्व

15 अगस्त 1947 को मिली स्वाधीनता की नींव में असंख्य स्वाधीनता सेनानियों का बलिदान है. आज देश चौतरफा चुनौतियों का सामना कर रहा है. जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख बॉर्डर तक, हर तरफ चीन और पाकिस्तान जैसे खतरनाक देश हैं. गलवान घाटी में चुनौतियां कम नहीं हैं लेकिन भारत की ताकत के आगे ये देश आगे बढ़ने की सोच भी नहीं रहे हैं.

आजादी मिलनी चुनौती थी लेकिन असली आजादी, भारत की स्वतंत्रता को बनाए रखने की है. भारत के लोकतंत्र को बेहतर करने और स्वस्थ लोकतांत्रिक माहौल देने की है. हमें स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर अमर स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति और कृतज्ञ होना चाहिए.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Independence Day Speech In Hindi 2022 Swatantrata-diwas-2022 how india got Independence
Short Title
कैसे मिली थी भारत को आजादी, क्या है स्वतंत्रता की कहानी?
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Independence Day 2022: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू.
Caption

Independence Day 2022: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू.

Date updated
Date published
Home Title

कैसे मिली थी भारत को आजादी, क्या है स्वतंत्रता की कहानी?