डीएनए हिंदीः भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ बना रहा है. अंग्रेजों ने भारत पर करीब 200 सालों तक राज किया. इस दौरान ना सिर्फ भारतीयों पर अत्याचार हुआ बल्कि भारत का खरबों रुपये का धन भी वह अपने साथ लूटकर ले गए. क्या आपने कभी सोचा है कि 200 सालों के शासन में अंग्रेज भारत से कितनी संपत्ति को लूट कर ले गए होंगे. आज आपको इसका जवाब मिल जाएगा.
45 ट्रिलियन की संपत्ति लूट से गए अंग्रेज
अंग्रेजों ने भारत पर शासन के दौरान करीब 45 ट्रिलियन डॉलर (करीब तीन हजार लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति लूटी. इसके लिखने में आपको कितने शून्य लगाने होंगे शायद इसका सही अंदाजा भी ना लगा पाएं. अंग्रेज भारत से 3,19,29,75,00,00,00,000.50 रुपये लूटकर ले गए. ये रकम यूनाईटेड किंगडम की GDP से 17 गुना ज्यादा है. 1765 से 1938 तक अंग्रेजों ने कुल 9.2 ट्रिलियन पाउंड का खजाना लूटा, जिसकी कीमत आज 45 ट्रिलियन डॉलर है. इस बात की जानकारी खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में अटलांटिक काउंसिल की बैठक में दी थी. एस जयशंकर ने ये आंकड़े जानी-मानी अर्थशास्त्री उत्सव पटनायक की इकोनॉमी स्टडी रिसर्च रिपोर्ट के आधार पर बताए हैं. कोलंबिया विश्वविद्यालय की ओर से जारी की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक, 1765 से 1938 के बीच अंग्रेज भारत से 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति लूटकर ले गए.
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हिंसा के लिए होता था पैसे का इस्तेमाल
अंग्रेज पैसे का इस्तेमाल हिंसा के लिए करते थे. ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में एक्सचेंज रेट 4.8 अमेरिकी डॉलर प्रति पाउंड था. अंग्रेज भारत से जो भी पैसा लूटते थे उसे 1840 में चीनी घुसपैठ और 1857 में विद्रोह आंदोलन को दबाने के लिए इस्तेमाल किया. भारतीय राजस्व से ही ब्रिटेन अन्य देशों से जंग का खर्च निकालता था और कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का विकास करता था. जब ब्रिटिश राज भारत में 1847 तक पूरी तरह से लागू हो गया उस समय नया टैक्स एंड बाय सिस्टम लागू किया गया. भारत से जो कोई भी विदेशी व्यापार करना चाहता था उसे खास काउंसिल बिल का इस्तेमाल करना होता था.
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कैसे ब्रिटेन पहुंचा भारतीय धन?
दरअसल अंग्रेजों ने भारत को लूटने के लिए नए-नए तरीके निकाले थे. अंग्रेजों ने एक नया कानून बनाया. अंग्रेजों की एक पेपर करेंसी थी. ये एक अलग पेपर करंसी होती थी, जो सिर्फ ब्रिटिश क्राउन द्वारा ही ली जा सकती थी और उन्हें लेने का एक मात्र तरीका था लंदन में सोने या चांदी द्वारा बिल लिए जाएं. जब भारतीय व्यापारियों के पास ये बिल जाते थे तो उन्हें इसे अंग्रेज सरकार से कैश करवाना होता था. जब भारतीय इन बिलों को कैश कराते थे तो उन्हें रुपयों में पेमेंट मिल जारी थी. खास बात यह थी कि ये वो पेमेंट होती थी जो उन्हीं के द्वारा दिए गए टैक्स द्वारा इकट्ठा की गई होती थी. मतलब व्यापारियों का पैसा ही उन्हें दिया जाता था. भारत से सोना और चांदी ब्रिटेन पहुंचने लगा. इतना ही नहीं भारतीयों के बनाए सामना को भारत में बेचा जाता था जिस पर टैक्स देना होता था. टैक्स के पैसों से ही अंग्रेज भारत में सामान खरीद लेते थे. यानी भारतीयों के टैक्स से पैसे से ही मुफ्त में सामान खरीदते थे. भारतीय सामान को ब्रिटेन ले जाकर उसे अन्य देशों को महंगे दामों पर बेचा जाता था. इससे भी कमाई होती थी.
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अंग्रेजों ने भारत से कितना लूटा था धन, आंकड़ा जानकर चौंक जाएंगे