डीएनए हिंदीः ऑर्गेनाइज्ड क्रिमिनल्स की जब भी बात आती है तो कनाडा (Canada) का नाम जरूर सामने आया है. किसी भी देश से संगीन से संगीन अपराध कर आने वाले भी सदियों से वहां आराम छुपे हुए हैं. वहीं से अपने अपराध का नेटवर्क चला रहे हैं. यह खतरनाक गैंगस्टर्स और आतंकी दुनिया में अगर अपने आप कहीं सबसे ज्यादा महफूज मानते हैं तो वो है कनाडा. अब यह धीरे-धीरे कनाडा और वहां रहने वाले लोगों के लिए ही खतरनाक साबित होने लगा है. वहां शरण लेने वाले गैंगस्टरों और आतंकियों में भी आपस में अब भिड़ंत होनी शुरू हो गई है. जांच एजेंसियों की एक रेपोर्ट के मुताबिक कनाडा कई देशों के गैंगस्टरों का गढ़ बनता जा रहा है और इसीलिए वहां दुनिया के कई बड़े माफिया भी जाकर बस गए हैं.
कनाडा जाकर बसे ये गैंगस्टर
भारत से के कई गैंगस्टर भारत से जाकर कनाडा में छुप गए हैं. केवल पंजाब की अगर बात करें तो सात कुख्यात गैंगस्टर और आतंकी, जिनमें से पांच 'ए' श्रेणी में सूचीबद्ध हैं और पंजाब पुलिस द्वारा हत्या, लूट, जबरन वसूली और अपहरण के मामलों में वांटेड हैं, वे कई साल से कनाडा में जाकर छिपे हुए हैं. इनमें गोल्डी बरार, अर्श डाला, रमन जज, रिंकू रंधावा, लखबीर लांडा, बाबा डाला, सुखा दुने के शामिल है. यह लोग कथित तौर पर कट्टरपंथी संगठनों के साथ काम कर रहे हैं जो पंजाब में आतंकी अभियानों और हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं, इसके अलावा जबरन वसूली भी वहीं से कर रहे हैं. सिद्धू मूसेवाला और रिपुदमन मलिक की हत्याओं ने गैंगस्टरों और कट्टरपंथी आतंकियों के बीच के गठजोड़ को उजागर किया है.
इन तीन घटनाओं में सामने आया नाम
हाल ही में हुई तीन घटनाओं में इन गैंगस्टर्स का नाम सामने आया था. 9 मई को मोहाली में इंटेलिजेंस के दफ्तर पर हुए हमले, 29 मई को सिद्धू मूसेवाला की हत्या और 14 जुलाई को कनाडा के सरे में रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के आरोप में शामिल हैं. इन सात गैंगस्टरों में से, ए-सूची में शामिल लखबीर सिंह उर्फ लांडा हैं. यह मोहाली स्थित इंटेलीजेंस ब्यूरो के दफ्तर पर हमले में वांटेड है. वहीं मूसेवाला हत्याकांड में गोल्डी बरार का नाम सामने आया. वहीं कई अन्य मामलों में चरणजीत सिंह उर्फ रिंकू रंधावा, अर्शदीप सिंह उर्फ अर्श डाला और रमनदीप सिंह उर्फ रमन जज वांटेड है. दो अन्य गैंगस्टर गुरपिंदर सिंह उर्फ बाबा ढ़ल्ला और सुखदुल सिंह उर्फ सुखा दुने के हैं. दोनों टारगेट किलिंग्स के मामलों में वांटेड हैं. पुलिस के डोजियर में इस बात का ज़िक्र है कि यह सभी सात छोटे मोटे अपराधों में संलिप्त थे लेकिन समय के साथ साथ अन्य कुख्यात अपराधियों के साथ मिलकर बड़े अपराधों में शामिल हुए और समय के साथ कट्टरपंथी आतंकी गैंगस्टर बन गए.
रेड कॉर्नर नोटिस भी है जारी
केंद्र सरकार की ओर इन 7 वांटेड क्रिमिनल्स में से चार के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) जारी कर दिया है, जबकि अन्य के लिए प्रक्रिया जारी है. कनाडा के अधिकारियों द्वारा आरोपियों की उनके देश में होने की पुष्टि करने के बाद प्रत्यर्पण की कार्यवाही भी तुरंत शुरू कर दी जाएगी. बता दें कि देश तभी सुरक्षा एजेंसियों, हवाई अड्डों और अन्य परिवहन अधिकारियों को इस तरह नोटिस जारी करता है जब अपराधी किसी बड़े संगीन आपराधिक मामले में वांटेड हो और देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा हो. ऐसे में उस व्यक्ति के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया जाता है. यह सर्कुलर किसी देश के अनुरोध पर इंटरपोल द्वारा जारी किया जाता है जिससे दुनिया भर में पता लग सके. उसकी किसी भी देश में गिरफ्तारी के बाद प्रत्यर्पण की कार्यवाई शुरू होती है. हालांकि यह प्रक्रिया काफी धीमी होने के कारण विवादों में भी फंस जाती है.
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हाल ही में मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले गोल्डी बराड के खिलाफ आरसीएन को लेकर पंजाब पुलिस ने दावा किया कि हत्या के एक दिन बाद गैंगस्टरों के खिलाफ आरसीएन जारी करने के लिए उनकी तरफ से अनुरोध भेज दिया गया था लेकिन अभी भी प्रोसेस काफी धीमा है. इस पर ऐसे मामलों के जानकार कुछ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जब प्रत्यर्पण कार्यवाही की बात आती है तो कनाडा सरकार सहयोग नहीं करती है. इसका जीता जागता उदाहरण है जस्सी ऑनर किलिंग केस.
हालांकि अधिकारियों को उम्मीद है कि अब स्थिति बदल सकती है. हाल ही में कनाडा सरकार भी टारगेट किलिंग्स, दर्दनाक कत्ल, नशीली दवाओं की तस्करी और गैंगवॉर का सामना कर रही है और इन घटनाओं में भी सभी सात आतंकी- गैंगस्टरों के शामिल होने का संदेह है. पीछे हुए इन मामलों में कनाडा की तरफ से लापरवाही और अनदेखी का अब कनाडा को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. अब उम्मीद हैं कि इन आतंकी गैंगस्टरों के प्रत्यर्पण की भारत की लगातार मांग पर कनाडा के अधिकारी सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे.
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आतंकियों और गैंगस्टरों के लिए सेफ लैंड बना कनाडा, कैसे बन रहा ऑर्गेनाइज्ड क्रिमिनल्स का हब?