डीएनए हिंदी. सदियां बीत गईं. कुछ सवाल आज भी ज्यों के त्यों ही हैं. प्यार क्या होता है? प्यार कैसे होता है? प्यार क्यों होता है? भावनात्मक और सामाजिक ताने-बाने में इन सवालों के हमेशा अलग-अलग जवाब सामने आते रहते हैं. मगर मेडिकल साइंस की भाषा में प्यार को सवालों में नहीं बांधा जाता. साइंस की मानें, तो प्यार एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है.
शरीर के कुछ हार्मोन्स व्यक्ति को प्यार की राह पर ले जाते हैं और कुछ अन्य हार्मोन्स व्यक्ति को प्यार के आखिरी पड़ाव तक पहुंचाते हैं. वैज्ञानिकों ने प्यार के तीन पड़ाव बताए हैं. पहला- लस्ट यानी लालसा, दूसरा अटैचमेंट यानी आकर्षण और तीसरा अटैचमेंट यानी गहरा लगाव. इन तीन पड़ावों में अहम भूमिका होती हैं पांच हार्मोन्स की. अगर आपको कभी प्यार हुआ है या आप प्यार के इंतजार में हैं, तो इन हार्मोन्स के बारे में जानना बेहद जरूरी हो जाता है-
एड्रेनेलिन
प्यार की राह पर आगे बढ़ने के शुरुआती दौर में व्यक्ति के तनाव का स्तर बेहद सक्रिय हो जाता है. इसकी वजह से रक्त में एड्रेनेलिन और कोर्टीसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति एक अजीब सी बेचैनी से घिर जाता है. उसके मन में अकल्पनीय रूप से एक व्यक्ति के लिए प्यार पनपने लगता है. ऐसे में दिल की धड़कनें बढ़ना और अक्सर गला और मुंह सूखने की समस्या होने लगती है.
डोपमाइन
एक शोध के दौरान जब कुछ जोड़ों के मस्तिष्क का अध्ययन किया तो पाया गया कि उनमें डोपमाइन न्यूरोट्रांसमीटर का स्तर काफी ज्यादा था. यह केमिकल इच्छाओं की पूर्ति के लिए उकसाता है. इसका मस्तिष्क पर बिलकुल वैसा ही असर होता है जैसा कि कोकीन के सेवन का. अक्सर डोपमाइन की वजह से ही प्यार करने वाले लोगों में नींद ना आना, भूख ना लगना और अपने रिश्ते से जुड़ी हर छोटी सी छोटी चीज के बारे में सोचकर खुश होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
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सेरोटोनिन
यह प्यार की स्थिति से जुड़ा सबसे अहम हार्मोन है. व्यक्ति के विचारों में उसके प्यार का समाते जाना इसी की वजह से होता है. किसी काम में मन ना लगना और दिन में भी सपने देखना जैसी बातें इसी हार्मोन के प्रभाव से जुड़ी हैं.
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ऑक्सीटोसिन
प्यार और चाहत के रिश्ते में ऑक्सीटोसिन भी सबसे अहम हार्मोन है. यह एक-दूसरे से लगाव और जुड़ाव की भावना को और भी गहरा बना देता है. इससे दो लोग एक-दूसरे को एक-दूसरे के सबसे ज्यादा करीब महसूस करते हैं. यही हार्मोन मां और बच्चे के बीच भी गहरे भावनात्मक जुड़ाव के लिए उत्तरदायी होता है.
वेसोप्रेसिन
ये लंबे समय के कमिटमेंट में अहम भूमिका निभाने वाला हार्मोन है. लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में इसकी भूमिका पैरीवोल (एक प्रकार का जीव) पर किए गए एक शोध के दौरान सामने आई. पैरीवोल भी मनुष्यों की तरह संतुलित रूप से स्थिर रिश्ते बनाते हैं. जब नर पैरीवोल को वेसोप्रेसिन के प्रभाव को कम करने वाले ड्रग्स दिए गए तो उनके अपनी मादा साथी के साथ संबंध खत्म होने लगे, क्योंकि हार्मोन्स की अनुपस्थिति में उनके भीतर की लगाव की भावना खत्म हो गई.
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Valentines Day: क्यों होता है प्यार? क्या है इसकी साइंस? हमारे शरीर के हार्मोन्स हैं इसका जवाब