डीएनए हिंदी : गढ़िया लोहार(Gadiya Lohar) राजस्थान की एक घुमंतू जनजाति है. इस जनजाति को इसलिए भी जाना जाता है कि उन्होंने मुगलों के ख़िलाफ़ महाराणा प्रताप की सेना में शामिल होकर युद्ध किया था. इस जनजाति को कभी वीर जनजाति का दर्जा मिला था पर उन्नीसवीं सदी में अंग्रेजों ने इनके पूरे समुदाय पर अपराधी होने का ठप्पा लगा दिया था. इसका अर्थ यह हुआ कि इस जनजाति में पैदा हुआ बच्चा भी अपराधी है. अंग्रेज़ों ने 1871 में लगभग 150 जनजातियों के साथ यह किया था. हालांकि आज़ादी के बाद यह कानून हटा दिया गया था और इन जनजातियों के ऊपर से अपराधी का ठप्पा भी हट गया था.
छिन गए थे सारे अधिकार
अंग्रेज़ों द्वारा अपराधीकरण कर देने के बाद इस जनजाति(Tribe) के तमाम मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे. इस पूरी जनजाति से जीविका के साथ-साथ संपत्ति और सामजिक होने के अधिकार को भी छीन लिया गया था. 1952 में अपराधीकरण ख़त्म होने के बाद भी इन जनजातियों का संघर्ष ख़त्म नहीं हुआ. उन्हें समाज की नज़र में अपनी पहचान के लिए निरंतर संघर्षरत रहना पड़ता है. इस जनजाति से सम्बन्ध रखने वाली दीपा पवार कहती हैं कि अंग्रेजों द्वारा किए गए अपराधीकरण ने हमें समाज की नज़रों में हीन बना दिया. हमारे पास कला के इतने रंग हैं और भाषाएं हैं पर हमारी कोई सामजिक स्थिति नहीं है.
Holi 2022: बैक्टीरिया के खात्मे से लेकर एनर्जी और सुकून तक ये है होली का वैज्ञानिक महत्व
सम्मान की लड़ाई
इस समाज की दीपा सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं. वे अनुभूति नामक एक ट्रस्ट चलाती हैं. उन्होंने इसकी शुरुआत 2015 में की थी. यह ट्रस्ट गढ़िया लोहार जनजाति के सम्मान और अस्तित्व के पुनर्स्थापन की लड़ाई लड़ रहा है. गौरतलब है कि दिल्ली में भी एक गढ़िया लोहार (Gadiya Lohar) बस्ती है जहां लगभग 18 परिवार रहते हैं. माना जाता कि 1965 में घुमन्तु जनजाति का यह परिवार यहां बस गया था.
- Log in to post comments