डीएनए हिंदी: कक्षा 10 की किताब में एक चैप्टर है, जिसमें सड़क परिवहन और आर्थिक विकास के संबंध को समझाया जाता है. अर्थशास्त्री भी कहते हैं कि अच्छी सड़क जहां होती है, वहां अपनेआप बाजार सज जाता है. यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले 8 साल के शासनकाल को देखा जाए तो ये दोनों बात सही दिखाई देंगी.
NDA शासन में पिछले 8 साल के दौरान जहां देश में हाइवे निर्माण की दैनिक रफ्तार औसतन 11 किलोमीटर से बढ़कर 37 किलोमीटर हो गई है. वहीं, ठीक इसी दौरान देश की जीडीपी भी साल 2014 के 112.33 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2022 में 232.14 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है.
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केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर की अहम भूमिका है, क्योंकि देश में 70% माल ढुलाई और लगभग 90% यात्री आवाजाही के लिए रोड नेटवर्क ही यूज करते हैं.
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सबसे पहले जानते हैं रोड नेटवर्क और आर्थिक विकास का लिंक...
अच्छे रोड नेटवर्क के कारण कच्चा माल कारखानों तक जल्द और कम लागत में पहुंचता है. इससे प्रॉडक्ट निर्माण और ढुलाई की लागत घटती है और ग्राहकों के सस्ते में मिलता है. इससे मांग बढ़ती है और अर्थव्यवस्था का विकास होता है.
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, सड़क निर्माण से किसान की सब्जी मंडी तक आसानी से पहुंचती है. इससे उसकी आय बढ़ती है और वह खरीदारी करता है. यदि किसान बाइक खरीदता है तो बाइक बनाने वाली कंपनी को निवेश की राह दिखती है. इससे बाइक निर्माता कंपनी का मुनाफा बढ़ता है और वह अपने कर्मचारियों को ज्यादा वेतन-बोनस देती है. इससे वे लोग कार खरीदते हैं.
ज्यादा खरीदार होने पर विदेशी कार निर्माता देश में आकर निवेश करते हैं और पुरानी कार कंपनियां नए प्लांट लगाती हैं. इन नए प्लांट से वाहन देश के एक छोर से दूसरे छोर तक आसानी से पहुंचाने के लिए अच्छे नेशनल हाइवे की जरूरत पड़ती है. नए नेशनल हाइवे बनते हैं तो उनसे रोडी, सीमेंट, तारकोल से लेकर स्टील तक की बड़ी डिमांड पैदा होती है. इस तरह गांव की पक्की सड़क से विदेशी निवेश तक का आर्थिक चक्र चलता है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है.
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अब 8 साल में सड़क विकास पर नजर डालते हैं...
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क बन गया है भारत में
केंद्र सरकार के प्रि-बजट इकोनॉमिक सर्वे- 2022 (pre-Budget Economic Survey) के मुताबिक, 31 मार्च, 2019 तक देश में 63.71 लाख किलोमीटर का सड़क नेटवर्क तैयार हो चुका था, जो अमेरिका (66.45 लाख किलोमीटर सड़क) के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है.
गडकरी के मुताबिक, साल 2014 में हमारे पास लगभग 91,000 किलोमीटर नेशनल हाइवे (NH) नेटवर्क था, जो अब करीब 1.47 लाख किलोमीटर है. इसे साल 2025 तक 2 लाख किलोमीटर करने का टारगेट है.
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ऐसे बढ़ा है देश में NH नेटवर्क
देश में कांग्रेस नेतृ्त्व वाले UPA के शासन में वित्त वर्ष 2009-10 से 2013-14 तक सालाना औसतन 5,900 किमी सड़क निर्माण हो रहा था, जो NDA शासनकाल के 8 साल के दौरान बढ़कर औसतन 11,000 किमी सालाना पहुंच गया है.
प्रि-बजट इकोनॉमिक सर्वे- 2022 के मुताबिक, साल 2013-14 में 4,260 किलोमीटर NH बना था, जबकि साल 2020-21 के दौरान 13,327 किलोमीटर नेशनल हाइवे तैयार किया गया. यह साल 2019-20 में तैयार किए गए 10,237 किलोमीटर से करीब 30.2% ज्यादा है. अब औसतन करीब 37 किलोमीटर प्रति दिन की दर से नेशनल हाइवे निर्माण हो रहा है, जो कई अन्य देशों के मुकाबले बेहद ज्यादा है.
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अब देखते हैं साल 2014 से 2022 तक भारत का आर्थिक विकास
- 112.33 लाख करोड़ रुपये की GDP बढ़कर 232.14 लाख करोड़ रुपये हो गई है.
- 79,118 रुपये से आम आदमी की Anual Income बढ़कर 1,50,326 रुपये हो गई है.
- 18.28 लाख करोड़ रुपये से Forex Currency Reserve 45.68 लाख करोड़ हो गया है.
- 19.05 लाख करोड़ रुपये से Export बढ़कर 28.07 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है.
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PM Modi के दौर में NH निर्माण से निकला आर्थिक विकास, बढ़े हाइवे तो दोगुनी हो गई इकोनॉमी