डीएनए हिंदी: महिला क्रिकेट को लोग कितना देखते हैं और प्रोत्साहित करते हैं, यह अलग बहस का विषय हो सकता है. मगर एक बात तय है कि अगर कोई भी क्रिकेट प्रेमी भारतीय महिला गेंदबाज झूलन गोस्वामी का खेल देखेगा तो उनका फैन हुए बिना नहीं रह पाएगा. 5 फीट 11 इंच लंबी झूलन ना सिर्फ दुनिया की सबसे कामयाब गेंदबाजों में शुमार हैं बल्कि कई बार अपनी बल्लेबाजी से भी सबको चौंका चुकी हैं. इस बार उन्होंने इतिहास रच दिया है. वह वनडे क्रिकेट इतिहास में 250 विकेट पूरे कर इतिहास रचने वाली दुनिया की पहली महिला गेंदबाज बन गई हैं. ऐसे में जरूरी है उस सफर पर नजर जहां से वह यहां तक पहुंचीं-

कभी धीमी गेंदबाजी के लिए लोग चिढ़ाते थे
झूलन गोस्वामी के लिए किसी भी लड़की या खिलाड़ी की प्रेरणा बनने का सफर इतना आसान नहीं था. इस सफर की शुरुआत हुई कोलकाता के एक छोटे से गांव छकाड़ा में. 25 नवंबर 1982 को एक मध्यम वर्गीय परिवार में झूलन का जन्म हुआ था. बचपन में झूलन अपने पड़ोस के दोस्तों और भाई-बहनों के साथ क्रिकेट खेला करती थीं. परिवार में जहां सबको फुटबॉल पसंद थी, वहां किसी लड़की का क्रिकेट पसंद करना और खेलना पहली बार हो रहा था.

इस पर भी चुनौती ये कि खेल के दौरान उन्हें उनकी धीमी गेंदबाजी के लिए खूब चिढ़ाया जाता था. झूलन धीमे गेंद फेंकती और बच्चे उनकी गेंद पर चौके-छक्के लगा देते और उनके साथ खेलने से मना भी कर देते. ऐसे में भी झूलन ने खेल को छोड़ा नहीं बल्कि ऐसे पकड़ा कि आज उनकी गेंद पर बल्ला घुमाना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होता है.

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जब परिवार ने छुड़वा दी थी प्रैक्टिस
जब संघर्ष शुरू हुआ तब झूलन सुबह चार बजे उठती. ट्रेन से कोलकाता पहुंचती. वहां से पैदल चलकर ग्राउंड तक.  परिवार को उनका इस तरह सुबह उठकर प्रैक्टिस पर जाना पसंद नहीं आया और इससे उनकी पढ़ाई भी बाधित होने लगी. परिवार ने झूलन को प्रैक्टिस पर जाने से रोक दिया.

खुद झूलन ने अपने इंटरव्यू में बताया था- 'मेरा आधा दिन ट्रेवल में बीतता था और आधा क्रिकेट प्रैक्टिस में. मेरी पढ़ाई का नुकसान हो रहा था. मेरे लिए क्रिकेट और पढ़ाई दोनों साथ मैनेज करना मुश्किल था. मुझे किसी एक चीज को चुनना था और मुझे बिलकुल पछतावा नहीं है कि मैंने क्रिकेट को चुना.' हालांकि उस वक्त परिवार को मनाने में अहम भूमिका निभाई उनके कोच स्वप्न साधु ने.

स्वप्न झूलन के घर गए परिवार को मनाया और उसके बाद झूलन को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. आज वह दुनिया की सबसे तेज और कामयाब गेंदबाज हैं.  हालांकि ये बताना जरूरी है कि सन् 1997 में झूलन ने कोलकाता के ईडन गार्डन में ऑस्ट्रेलिया वर्सेज न्यूजीलैंड फाइनल देखा और क्रिकेट में करियर बनाने की अपनी चाहत बिलकुल पुख्ता कर लिया. इस मैच के दौरान उन्हें बॉल गर्ल का काम दिया गया था. बॉल गर्ल यानी जो मैदान पर आने वाली एक्सट्रा बॉल को उठाकर देते हैं. पांच ही साल बाद सन् 2002 में 19 साल की उम्र में भारत की तरफ से वह अपना पहला डेब्यू मैच खेल रही थीं.

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रिकॉर्ड की खान है झूलन का करियर
आज 19 साल बाद झूलन के नाम कई ऐसे रिकॉर्ड हैं जो पाकिस्तानी महिला क्रिकेटर कायनात की तरह दुनिया भर के खिलाड़ियों को उनका फैन बना देते हैं. वह 300 से ज्यादा विकेट हासिल करने वाली इकलौती महिला गेंदबाज हैं. उन्हें आईसीसी वुमंस क्रिकेटर ऑफ द ईयर (2007) का अवॉर्ड मिल चुका है. वह भारतीय टीम की कप्तानी कर चुकी हैं और दो बार (2005 और 2017) भारत को वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंचा चुकी हैं. झूलन की गेंदबाज़ी की गति 120 कि.मी. प्रति घंटा है जो महिला क्रिकेट में सर्वाधिक है. उन्हें आईसीसी द्वारा विश्व की सबसे तेज महिला गेंदबाज आंका जा चुका है.

पाकिस्तानी क्रिकेटर हैं झूलन गोस्वामी की फैन
भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी क्रिकेट मैच होता है तो क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं रह जाता. क्रिकेट के जरिए जैसे एक युद्ध लड़ने की कोशिश की जाती है और नतीजे में मिली हार या जीत पर भी तमाम तरह की क्रिया और प्रतिक्रिया सामने आती रहती हैं. ऐसी ही एक प्रतिक्रिया आई थी साल 2017 में जब महिला वर्ल्ड कप के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच हुआ था. मैच में जीत भारत की हुई थी लेकिन दिल जीता था पाकिस्तान की तेज गेंदबाज कायनात इम्तियाज ने. कितना मुश्किल लगता है आज ये सोच पाना कि पाकिस्तान की कोई खिलाड़ी भारतीयों का दिल जीत लेगी! लेकिन उस मैच के बाद ऐसा ही हुआ था.

 

वजह थी कायनात की सोशल मीडिया पोस्ट. इस पोस्ट के साथ उन्होंने भारत की स्टार गेंदबाज झूलन गोस्वामी के साथ एक तस्वीर शेयर की और लिखा- 'साल 2005 में मैंने पहली बार भारतीय टीम को देखा था क्योंकि उस दौरान एशिया कप पाकिस्तान में आयोजित हुआ था. उस दौरान मैंने झूलन गोस्वामी को देखा और उन्हें देखकर ही मैंने क्रिकेट में करियर बनाने का फैसला लिया. मेरे लिए ये गर्व की बात है कि आज 12 साल बाद सन् 2017 में मैं अपनी प्रेरणा और आदर्श रहीं झूलन गोस्वामी के साथ ही ओडीआई वर्ल्ड कप का हिस्सा बनी हूं.' ये बात इतनी खास रही कि इसने भारत की जीत की खुशी को दोगुना कर दिया.

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पाकिस्तान में भी मिलता है Jhulan Goswami को बेपनाह प्यार, ऐसा थी World Records ब
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Jhulan Goswami ने की संन्यास की घोषणा, जानें कैसी थी World Records बनाने से पहले की जिंदगी