डीएनए हिंदी: केतकी जानी एक 52 साल की महिला का नाम है. वह पुणे में रहती हैं. दो बच्चों की मां हैं.  इस परिचय से अलग उनकी खास पहचान बन गई है एक बीमारी. उन्हें एलोपेसिया नाम की बीमारी है. इस बीमारी में व्यक्ति के शरीर के सारे बाल चले जाते हैं और फिर उगते नहीं हैं. जिस समाज में हम रहते हैं वहां एक औरत के सिर पर बाल ना होना कैसा समझा जाता है, ये आप समझ ही सकते हैं. 

इस स्थिति का सामना करने के बाद भी आज बिना बालों के एक महिला के तौर पर केतकी जानी अपनी खास पहचान बना चुकी हैं. वह मिसाल हैं और ना सिर्फ महिलाओं को बल्कि हर उस इंसान को सीख दे रही हैं जो मुश्किलों के आगे हारने का ख्याल भी मन में ला रहा है. हमने उन्हीं की जुबानी सुनी उनकी कहानी.

यहां देखें पूरा इंटरव्यू

12 साल पहले हुआ एलोपेसिया
केतकी बताती हैं, 'मेरी जिंदगी भी बाकी महिलाओं की तरह ऑफिस और घर के कामों में बीत रही थी. मैं खुश थी अपने परिवार में और एक नॉर्मल जिंदगी में. 12 साल पहले एक दिन अपने सिर पर मुझे एक पैच नजर आया. जहां बाल नहीं थे. मुझे लगा ऐसे ही कुछ होगा. फिर दूसरा पैच बन गया. मैंने डॉक्टर को दिखाया. उन्होंने दवाई दी. मगर कोई फायदा नहीं हुआ. धीरे-धीरे बाल जाने लगे और पैच बनने लगे.डॉक्टर ने मुझे इस बीमारी के बारे में बताया. साथ ही ये भी कहा कि इसमें हर केस अलग-अलग होता है.'

ketki Jani in 2011

5 साल तक डिप्रेशन में रहीं 
केतकी कहती हैं, शुरुआत में ऐसा नहीं लगा था कि सब कुछ इतना खराब हो जाएगा. सब लोगों के साथ ऐसा होता भी नहीं है. कई लोग दवाई से ठीक होने लगते हैं. सभी के सारे बाल भी नहीं जाते. मगर मेरे साथ जो हुआ उसे एलोपेशिया यूनिवर्सल कहा जाता है. इसमें रोगी के सारे शरीर के बाल एकदम चले जाते हैं. 6-8 महीने के अंदर मेरे भी सारे बाल चले गए. मैं डिप्रेशन में आ गई.'

पंखे से लटककर फांसी लगाने की कोशिश
शुरुआत में समझ नहीं आया क्या करुं. लोगों ने ताने देना शुरू कर दिया. पति की तरफ से भी बहुत सपोर्ट नहीं मिला. कोई कहता इसे कैंसर है, मरने वाली है. कोई कहता बहुत बदकिस्मत है.पाप किए हैं, तभी भगवना ने बाल ले लिए. कोई कहता पति जिंदा है फिर भी बिना बालों के रहना पड़ रहा है. इन सवालों ने मुझे अंदर तक हिला दिया और मैं लगभग 5 सास डिप्रेशन में रही. इसी डिप्रेशन में एक दिन पंखे से लटककर फांसी लगाने की भी पूरी तैयारी कर ली. मगर उसी वक्त बच्चों का ख्याल आ गया और लगा कि इन्हें जब मेरी लाश दिखेगी तो इनके मासूम मन पर क्या असर होगा.

Ketki Jani

मिल चुके हैं कई अवॉर्ड्स
केतकी की कहानी में उस दिन के बाद ऐसा कोई मोड़ नहीं आया जब उन्हें पीछे मुड़कर देखना पड़ा हो. उसके बाद उन्होंने जो हिम्मत जुटाई उसी के साथ आज वो आगे बढ़ती जा रही हैं. आज एलोपेशिया से लड़ते हुए उन्हें 12 साल हो गए हैं. इस बीच वह अपने सिर पर कई खूबसूरत टैटू बनवा चुकी हैं और बेहद आत्मविश्वास के साथ दुनिया और समाज का सामना करती हैं. उनके नाम के साथ कई उपलब्धियां भी जुड़ चुकी हैं. वह कई अवॉर्ड जीत चुकी हैं. इनमें 'भारत प्रेरणा अवॉर्ड', 'मिसेज यूनिवर्स वर्ल्डवाइड', 'वूमन ऑफ कॉन्फिडेंस 2018'  शामिल हैं.

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inspirational story of ketki jani Alopecia patient who is now a role model
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Exclusive: 'जरूर पाप किए होंगे तभी भगवान ने बाल छीन लिए', ऐसी है भारत की पहली एल
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Exclusive: 'जरूर पाप किए होंगे तभी भगवान ने बाल छीन लिए', ऐसी है भारत की पहली एलोपेसिया सर्वाइवर की कहानी