डीएनए हिंदी:  बात ग्लोबल वार्मिंग से शुरू होकर मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंच जाए तो आप हैरान मत होइएगा. इसका सीधा कनेक्शन है. इस कनेक्शन का नाम है यश गुप्ता और उनकी बहन आकांक्षा. ये दोनों मिलकर पुराने सामान को रिसाइकिल करके जरूरतमंद लोगों तक पहुंचा रहे हैं. इस काम की अहमियत सिर्फ यही नहीं है कि इससे जरूरतमंदों की मदद हो रही है, बल्कि इससे पर्यावरण संरक्षण भी हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग से दुनिया को बचाने का एक अहम उपाय है रिसाइकलिंग. यश गुप्ता से बातचीत हुई तो सामने आया कि उन्होंने अपने इस काम का नाम रखा है- दानपात्र. क्या है ये दानपात्र और कैसे करता है काम, जानते हैं-

ऐसे आया आइडिया
इंदौर में रहने वाले 19 साल के यश और उनकी बड़ी बहन आकांक्षा एक दिन अपने किसी रिश्तेदार के यहां शादी में गए. वहां उन्होंने बहुत सारा खाना वेस्ट होते देखा. ये भी देखा कि लोगों को मालूम ही नहीं है कि इस बचे हुए खाने का सही इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है. यहीं से शुरुआत हुई उनके इस इनिशिएटिव दानपात्र की. शुरुआत सिर्फ लोगों के घर में बचे हुए खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचाने से हुई थी. मगर अब वह खाने के साथ कपड़े और अन्य जरूरत का सामान भी सही लोगों तक पहुंचा रहे हैं.

दानपात्र ऐप

12.5 लाख लोगों तक पहुंचा चुके हैं मदद
यश बताते हैं, ' 10 मार्च 2018 को हमने दानपात्र नाम से एक ऐप की शुरुआत की थी. यह एक ऑनलाइन निःशुल्क प्लेटफॉर्म है जिसकी मदद से घरों में उपयोग में न आ रहे सामान जैसे कपड़े, खिलौने, किताबें, जूते, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, फर्नीचर एवं अन्य सामान को कलेक्ट कर उपयोग लायक बनाकर जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाया जाता है.' बातचीत में सामने आय़ा कि यश और उनकी टीम अब तक  12.5 लाख से ज्यादा जरूरतमंद परिवारों तक मदद पहुंचा चुकी है. एक लाख से भी ज्यादा इंदौरवासी उनके इस प्लेटफॉर्म से जुड़ चुके हैं. यही नहीं 7 हजार से ज्यादा लोग उनके लिए वॉलंटियर के रूप में भी काम कर रहे हैं. 

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पूरी पारदर्शिता के साथ काम
यश बताते हैं, 'दानपात्र' के माध्यम से कोई भी व्यक्ति घर बैठे सिर्फ एक फ़ोन कॉल पर या "दानपात्र" ऐप में रिक्वेस्ट डालने पर सामान डोनेट कर सकता है 'दानपात्र' टीम के सदस्यों द्वारा रिक्वेस्ट मिलने पर घर जाकर वह सामान कलेक्ट किया जाता है और फिर उसे फ़िल्टर कर जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाया जाता है. साथ ही उसका फोटो, वीडियो 'दानपात्र'  के सोशल मीडिया पेजेस पर जाकर अपलोड कर दिया जाता है, जिससे जिसने भी सामान डोनेट किया है वह देख सके कि उसका  दिया सामान किस जरूरतमंद परिवार तक पहुंचा है.

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कहां कर रहे हैं काम
यह ऐप किसी भी एंड्रॉयड फोन पर प्लेस्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. फिलहाल इस ऐप से जुड़ी सेवा और सुविधा इंदौर और उसके आस-पास के 100 किमी के क्षेत्रों तक ही सीमित है. भविष्य में इसके पूरे मध्य प्रदेश और देश के अन्य प्रदेशों में भी काम करने की योजना है. अपने इस अहम कार्य के लिए दानपात्र की टीम को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. 

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चार साल में 12 लाख से ज्यादा लोगों की मदद
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Indore: 19 की उम्र में खोला ऐसा 'दानपात्र', 4 साल में बने 12 लाख से ज्यादा लोगों का सहारा