डीएनए हिन्दी : सोशल मीडिया के ज़रिये परेशान करने की, तंग करने की घटनाओं में इधर लगातार बढ़त हुई है. ऑनलाइन फ्रॉड से लेकर उत्पीड़न (harassment) तक की ख़बरें आ रही हैं. कोई हमें ऑनलाइन तंग करे, डराये, धमकाये तो हम क्या कर सकते हैं? यह पढ़िये, डीएनए हिन्दी कुछ समाधान लेकर आया है.
सबसे पहले रिपोर्ट दर्ज करवाएं
रिपोर्ट दर्ज करवाना सबसे पहला और अहम् क़दम होता है. किसी के इन्टरनेट के द्वारा परेशान करने पर सबसे पहले नज़दीक के किसी थाने में जाकर लिखित में अपना स्टेटमेंट दर्ज करवाएं. अगर आपके आस-पास कोई साइबर सेल मौजूद न हो तो आ स्थानीय पुलिस थाने में भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. इसके अतिरिक्त आप स्थानीय पुलिस अधिकारी या डिस्ट्रिक्ट जज से भी संपर्क कर सकते हैं.
यह स्टेटमेंट पूरी तरह से कॉन्फिडेंशियल या गोपनीय होता है. पुलिस इसका ब्यौरा किसी को नहीं देगी. इसे एंटी साइबर बुलियिंग एक्ट या इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत हैंडल किया जाएगा.
क्या-क्या धाराएं काम करती हैं?
औरतों और बच्चों की साइबर स्टाकिंग के मसअले में इंडियन पैनल कोड के सेक्शन 354A और 354 D के तहत सज़ा का प्रावधान है. यह साइबर बुलियिंग और औरतों एवम् बच्चों की स्टाकिंग, दोनों के ख़िलाफ़ सज़ा की बात करता है. इसके अपराधियों को पहली बार बेल तो मिल सकती है पर अगली बार नहीं.
हालाँकि यह पुरुषों के ख़िलाफ़ काम नहीं करता है. इसे इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के तहत निबटाया जाएगा. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट का सेक्शन 67 ऑनलाइन परेशान करने वाले लोगों के लिए तीन साल तक की जेल और ज़ुर्माने की सज़ा की सूचना देता है.
कोई नकली प्रोफाइल बना कर अश्लील तस्वीरें लगा दे तो
अगर किसी ने आपकी नकली सोशल मीडिया प्रोफाइल बनाकर उसमें अश्लील तस्वीरें लगा दी हैं तो उस पर सेक्शन 354 अ (Sexual harassment and punishment for sexual harassment), सेक्शन 354D (Stalking), सेक्शन 499 के साथ-साथ सेक्शन 500 और 507 के तहत चार्जेज लग सकते हैं. इसे संगीन अपराध की तरह लिया जाता है.
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