डीएनए हिंदी: भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के चेयरमैन बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पॉक्सो (POCSO) केस में दिल्ली पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं है. वह गिरफ्तारी से इसी वजह से बच रहे हैं. तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा था. अब खुद दिल्ली पुलिस ने इस मामले में सफाई पेश की है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि मीडिया रिपोर्ट्स में किया जा रहा यह दावा बेहद गलत है.
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि यह मामला बेहद संवेदनशील है इसलिए पुलिस बिना जांच के किसी भी प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है. कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा था कि दिल्ली पुलिस ने कहा है कि चाहे कजाकिस्तान हो या रांची जहां छेड़खानी के आरोप लगाए हैं, वहां कोई सबूत नहीं मिले हैं. पुलिस जांच कर रही है लेकिन अभी तक कोई फोटो, सीसीटीवी, विटनेस ऐसा नहीं मिला है.
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आरोप लगाने वाली महिला नाबालिग है या नहीं, पहले होगी जांच
दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आरोप लगाने वाली महिला पहलवान नाबालिग है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है. जो भी डेवलेपमेंट होगा, कोर्ट में पुलिस बयान देगी.
दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक अगर जांच में आएगा कि डॉक्युमेंट्स के साथ छेड़खानी की गई है, गलत उम्र बताई गई है तो फेडरेशन इस केस में एक्शन ले सकता है. फेडरेशन की ओर से दस्तावेज वेरिफाई किए जा रहे हैं.
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क्यों नहीं हुई है बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी?
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AOR) विशाल अरुण मिश्र कहते हैं कि पुलिस 7 साल से कम की सजा के केस में बिना नोटिस भेजे किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है. बृजभूषण शरण सिंह के केस में हो सकता हो कि अभी खिलाड़ियों का मेडिकल टेस्ट और दूसरी प्रक्रियाएं पूरी न की गई हों.
एक अन्य अधिवक्ता अनुराग कहते हैं कि बृजभूषण सिंह को गिरफ्तारी से बचाने के लिए कोर्ट ने कोई आदेश भी नहीं दिया है. न ही उनके सांसद होने के नाते कोई भी ऐसी संवैधानिक प्रतिरक्षा मिली हुई है. उन्होंने कोर्ट से अग्रिम जमानत तक नहीं मांगी है. हो सकता है कि पुलिस ने अभी तक इस प्रकरण में जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा न किया हो. बिना प्रक्रिया के पुलिस किसी को गिरफ्तार नहीं करती है.
सुप्रीम कोर्ट के ही एक अन्य अधिवक्ता उज्जवल भरद्वाज ने कहा, 'बृजभूषण शरण सिंह अपनी स्थिति को लेकर आश्वस्त हैं. पुलिस अगर प्रक्रिया फॉलो करती है तो उसे CrPC की धारा 161 और धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराने होंगे. इस केस में फिर नोटिस जारी किया जाएगा. नोटिस दोनों पक्षकारों को भेजा जाएगा. तभी पुलिस इस प्रकरण में आगे बढ़ सकती है.'
एडवोकेट हर्षिता निगम कहती हैं, 'POCSO के तहत केस, सिर्फ पीड़िता के बयान पर ही शुरू किया जा सकता है. आरोपी के खिलाफ पुलिस जांच में आगे बढ़ सकती है. अगर पुलिस किसी दबाव में नहीं है तो ऐसा भी हो सकता है कि पीड़िताओं ने सीधे बृजभूषण शरण सिंह का नाम लेकर शिकायत न दर्ज कराई हो. अगर पॉक्सो और IPC के लिहाज से पुलिस काम करे तो उसे अब तक प्रोसीडिंग शुरू कर देनी चाहिए.'
अभी खिलाड़ियों के बयान नहीं दर्ज कराएगी पुलिस
नई संसद के उद्घाटन वाले दिन भड़के हंगामे पर दिल्ली पुलिस अभी खिलाड़ियों के बयान दर्ज नहीं कराने वाली है. जंतर मंतर पर संसद के उदघाटन के दिन धारा 144 का खिलाड़ियों ने उल्लंघन किया था. पुलिस केस की पड़ताल कर रही है.
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POCSO का चार्ज, यौन उत्पीड़न के आरोप फिर भी गिरफ्तारी से कैसे बच रहे हैं बृजभूषण शरण सिंह?