डीएनए हिंदी: अक्सर हमने ऐसा देखा कि जब हम सड़क पर गाड़ी चला रहे होते हैं, तभी कोई दूसरी कार आपकी गाड़ी को ओवरटेक करती हुई आगे निकल जाती है. तभी हमारे मन में सवाल आता है कि मैं भी अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ाकर उसे सबक सिखाऊं या फिर लापरवाही से चलाते हुए उसके पास ले जाकर झगड़ा शुरू कर दूं. आम तौर पर ऐसा करने का कोई मतलब नहीं होता, लेकिन सामने वाले की हरकत देखकर आपके व्यवहार में अचानक बदलाव आ जाता है. बीते तीन साल में बहुत लोगों में ऐसा व्यवहार करने की इच्छा देखी गई है. आइये जानते हैं कि इसके पीछे मूलभूत शारीरिक क्रिया विज्ञान संबंधी कारण क्या हैं?
दरअसल, कोरोना की वजह से ऐसे मामलों में वृद्धि हुई है. कोरोना लॉकडाउन में लोगों को लंबा समय घरों में बिताना पड़ा है. जिसने सभी को तनाव में डाल दिया, फिर चाहे वह हल्का हो या गंभीर. तनाव के दौरान मनुष्य के शरीर में ओवरराइडिंग फंक्शंस होता है. इस दौरान व्यक्ति ऐसा व्यवहार करता है जो उसके विपरीत लगता है लेकिन उसकी बॉडी सिस्टम की प्रतिक्रिया सामान्य रहती है. जब हम अत्यधिक तनावग्रस्त होते हैं, खतरा महसूस करते हैं या खतरा दिखता है तो हमारा Limbic system (दिमाग का वह हिस्सा जो हमारी व्यावहारिक या भावनात्मक प्रतिक्रिया से संबधित है) एक प्रतिक्रिया को शामिल करने के लिए सक्रिय हो जाता है. यहीं से हमारे मन में 'लड़ाई, उड़ान या सन्न रह जाने' जैसे प्रतिक्रिया सामने आती है.
ये भी पढ़ें- Space से धरती पर गिरा दिया अंडा, जानिए क्या हुआ अंजाम, देखें वीडियो
क्यों आने लगते हैं खतरनाक विचार?
तार्किक व्यवहार (Logical behavior), सही निर्णय और परिणामों पर विचार करने के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क का हिस्सा प्रक्रिया से अलग हो जाता है. ‘लिम्बिक सिस्टम’ तर्कहीन, भावनात्मक और कभी-कभी आक्रामक रूप से प्रतिक्रिया करने लगता है. यहीं से वास्तविक प्रतिक्रिया शुरू होती है. जब ‘लिम्बिक सिस्टम’ अत्यधिक सक्रिय होता है तो दिमाग में लापरवाह, खतरनाक काम करने जैसे विचार आने लगते हैं. ऐसा इसलिए नहीं कि हम करना चाहते हैं, बल्कि ऐसे खतरनाक कार्यों के परिणामों पर विचार करने लिए हमारा मस्तिष्क काम नहीं कर रहा होता है.
जैसा कि बहुत से लोगों ने शायद अनुभव किया है कि अत्यधिक सक्रिय अवस्था में ‘लिम्बिक सिस्टम’ के कारण होने वाले शारीरिक निर्देश हमारे दिन-प्रतिदिन के कामकाज और विकल्पों में समस्याएं पैदा कर सकते हैं. खास बात यह कि जब ‘लिम्बिक सिस्टम’ पूरी तरह सक्रिय हो तो उसे धीमा करना या विकल्पों पर विचार करना बेहद मुश्किल होता है. तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक और परेशानी तनाव से उबरने से जुड़ी है. कोविड के दौरान लोगों के सामाजिक होने के कई तरीके सीमित थे और अच्छे मौके भी कम थे. ऐसे में अब जब कोई अवसर आता है तो कई लोग परिणामों की परवाह किए बिना इसे दोनों हाथों से लपक लेते हैं.
यह भी पढ़ें- चांद पर भी बसेगी इंसानों की बस्ती, NASA ने कहा- 2030 तक घर, ऑफिस सब बनेगा
29 साल तक के युवाओं की सबसे ज्यादा मौत
एक स्टडी के मुताबिक, ऐसे लोग अच्छा महसूस करने के लिए प्रेरित होते हैं. वह सुखद अनुभवों की तलाश करते हैं और मौके आने पर जोखिम उठाने की हड़बड़ी दिखाते हैं. एक और कारक है जो कई युवा, अनुभवहीन चालकों को जोखिम में डालता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, मनुष्य के मस्तिष्क का पूर्ण विकास 25 साल की उम्र के बाद होता है. दुनिया भर में 10 से 29 आयु वर्ग के लोगों की सड़क दुर्घटनाएं मौत का प्रमुख कारण हैं. सभी सड़क दुर्घटनाओं में मौतों का लगभग तीन चौथाई मामले (73 प्रतिशत) 25 साल के कम उम्र के युवाओं से जुड़े होते हैं, जो युवा महिलाओं के रूप में सड़क यातायात दुर्घटना में मारे जाने की संभावना से लगभग तीन गुना अधिक हैं.
ये भी पढ़ें- बीजेपी या फिर AAP, गुजरात में किसकी बनेगी सरकार? शाम 6 बजे से आएंगे एग्जिट पोल के नतीजे
क्या है इसका समाधान?
‘लिम्बिक प्रतिक्रिया’ से जुड़े जोखिमों के बारे जानने और किसी अन्य वाहन चालक पर चिल्लाने या उसे ओवरटेक करने से पहले खतरनाक जोखिम के बारे में कुछ सेकेंड सोच लेना चाहिए. यही आपको मुश्किल हालातों से बचा सकता है. अगर कोई गाड़ी आपके पास से तेजी से निकलकर जा रही है तो आपको अपने मन को शांत रखना है. उससे आगे निकलने या झगड़ा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
सड़क पर स्पीड से गाड़ी चलाने की क्यों होती है इच्छा? जानिए क्या है वैज्ञानिक वजह