भारत (India) में किराए की कोख यानी सरोगेसी (Surrogacy Rules) से जुड़े नियमों में केंद्र सरकार (Modi Government) ने बदलाव किया है. सरोगेसी (रेगुलेशन) रूल्स 2022 को संशोधित करते हुए सरकार ने कहा है कि सरोगेसी प्रक्रिया में युग्मक (Gametes) बच्चा चाहने वाले कपल के ही होने जरूरी नहीं है.
युग्मक या Gametes, इंसान की प्रजनन कोशिका है. महिला युग्मक को ओवा (Ova) या एग सेल (Egg Cells) कहते हैं, पुरुष का युग्मक शुक्राणु (Sperm) होता है. पहले ऐसे नियम थे कि सरोगेसी से संतान चाहने वाले कपल के ही एग और स्पर्म होने चाहिए थे.
क्यों लाखों कपल के लिए है गुड न्यूज
अब सरकार ने इन नियमों में बदलाव कर दिया है. इन बदलावों की वजह से लाखों कपल जो बच्चा चाहते हैं, उनके चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी. अब अगर महिला या पुरुष, दोनों में कोई असक्षम है तो वह डोनर से एग या स्पर्म लेकर भी सरोगेसी से पेरेंट्स बन सकते हैं.
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किस नियम में हुआ है संशोधन?
रूल 7 के साथ पढ़े गए सरोगेसी नियमों के फॉर्म 2 में संशोधन हुआ है. यह संशोधन 14 मार्च 2023 को हुआ था, जिसे लागू कर दिया गया है. यह नियम सरोगेसी के लिए मां की सहमति और सरोगेसी के लिए एग्रीमेंट से जुड़ा है. पहले यही नियम, डोनर एग्स या स्पर्म बाहर से लेने से रोकता था.
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AoR) विशाल अरुण मिश्रा ने बताया कि रूल 7 के पैरा 1 (D) को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की अधिसूचना के जरिए संशोधित कर दिया गया है. '(i) सरोगेसी चाहने वाले हर इच्छुक जोड़े से दोनों युग्मक होने चाहिए.
हालांकि अगर जिला मेडिकल बोर्ड यह प्रमाणित कर दे कि इच्छुक जोड़े में से कोई भी पति या पत्नी ऐसी चिकित्सीय स्थिति से पीड़ित हैं, जिसके लिए डोनर युग्मक के इस्तेमाल की जरूरत है तो इसके इस्तेमाल की इजाजत इस शर्त पर दी जाएगी कि कम से कम एक युग्मक, उसी कपल का हो जो बच्चा चाहता है.'
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एडवोकेट अनुराग बताते हैं कि रूल 7 के पैरा 1 (D) के (ii) सब क्लॉज के मुताबिक, 'सरोगेसी से गुजरने वाली सिंगल महिला, विधवा या तलाकशुदा को सरोगेसी प्रक्रिया के लिए अपने एग और डोनर एग का इस्तेमाल करना होगा.
नए बदले नियम से क्यों खुश हैं लोग
अगर डिस्ट्रिक्ट मेडिकल बोर्ड की ओर से यह सर्टिफिकेट मिल जाए कि इच्छुक कपल, पति या पत्नी की मेडिकल कंडीशन ऐसी है कि जिसके लिए डोनर की जरूरत है तो डोनर की इजाजत मिल जाएगी. इसमें अभी भी यह शर्त है कि दोनों कपल में से एक के शुक्राणु या अंडे सरोगेसी के लिए होने चाहिए.
किस वजह से बदले गए हैं नियम
बीते साल, 2023 के संशोधन को मेयर-रोकितांस्की-कुस्टर-हॉसर (MRKH) सिंड्रोम से पीड़ित एक महिला ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उसकी बॉडी में एग्स नहीं बन पा रहे थे. कोर्ट ने कहा कि गर्भकालीन सरोगेसी के लिए इच्छुक जोड़े के अंडे और शुक्राणु पर जोर देना पहली नजर में सरोगेसी नियमों के नियम 14 (A) के खिलाफ है.
कोर्ट ने महिला को को डोनर एग्स के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी. महिला के लिए पेरेंट बनने का इकलौता तरीका एग्स का इस्तेमाल करना था. कपल ने संशोधन से बहुत पहले सेरोगेसी की प्रक्रिया शुरू की थी. संशोधन की चुनौती पर सुनवाई करते हुए, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि डोनर युग्मकों के इस्तेमाल पर रोक लगाना पहली नजर में एक विवाहित नि:संतान जोड़े को कानूनी और चिकित्सकीय रूप से अभिभावक बनने के उनके बुनियादी अधिकार से रोकना है.
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ऐसी ही एक याचिका याचिका 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष भी दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि जो पुरुष और महिलाएं प्रजनन क्षमता से संबंधित जटिलताओं का सामना करते हैं, वे सरोगेसी के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे अगर डोनर युग्मक वर्जित होंगे.
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सरकार ने बदला सरोगेसी का ये कानून, लाखों पेरेंट्स के लिए गुड न्यूज, जानिए क्यों