डीएनए हिंदी: मालदीव के तीन बड़े नेताओं की कारस्तानी का असर पूरा देश झेल रहा है. भारत में मालदीव के बहिष्कार को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रेंड्स की भरमार है. लोग कह रेह हैं कि हमारे पास लक्षद्वीप जैसी जगहें हैं, हम मालदीव क्यों जाएंगे. भले ही मालदीव ने भारत विरोधी बयान देने वाले तीनों मंत्रियों को बाहर कर दिया है लेकिन देशवासी अब भी मालदीव की नस्लवादी टिप्पणियों को लेकर बेहद नाराज हैं.
लक्षद्वीप को पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने भारत और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद भारतीयों ने पर्यटन के लिए मालदीव का बहिष्कार करने की अपील की. अब यह आंदोलन में बदल गया है. भारत सरकार ने इस मामले को लेकर मालदीव सरकार को चेता भी दिया.
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'बयानवीरों को मालदीव ने लगाया ठिकाने'
मालदीव सरकार ने अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए तीन उप मंत्रियों को हटा दिया है. इस विवाद की वजह से मालदीव के लोग टेंशन में आ गए हैं. वजह यह है कि मालदीव की पर्यटन-संचालित अर्थव्यवस्था में भारतीय अहम योगदान देते हैं. बॉलीवुड से लेकर टॉलीवुड तक के सितारे वहां जाते हैं. लोग हनीमून मनाने मालदीव जाते हैं. भारत में मालदीव को लेकर क्रेज है. ऐसे में अब मालदीव ने भारत विरोधी बयान देकर आफत मोल ले ली है.
मालदीव को क्यों सता रही है सेहत की चिंता
भारत मालदीव के लिए मेडिकल हब है. मेडिकल टूरिज्म की दिशा में मालदीव, सबसे ज्यादा तरजीह भारत को ही देता है. मालदीव के कई लोगों ने भारत के साथ संबंध बिगाड़ने के लिए मंत्रियों को जमकर लताड़ लगाई. कई लोग ऐसे हैं जो इलाज के लिए भारत आने वाले थे अब वे आशंकित हैं कि उन्हें देश में एंट्री मिलेगी या नहीं. आइए जानते हैं कि मालदीव अपनी चिकित्सा आवश्यकताओं के लिए भारत पर कितना निर्भर है?
मेडिकल हेल्प के लिए भारत पर कितना निर्भर है मालदीव
मालदीव की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली अभी इस काबिल नहीं है कि अपने नागरिकों की सेहत का ख्याल रख सकते. मालदीव की आबादी करीब 5.2 लाख है. यह आबादी करीब 198 छोटे द्वीपों में फैली हुई है. केवल चार द्वीपों की आबादी 5,000 से अधिक है, और 72 द्वीपों पर 500 से कम लोग हैं.
हर द्वीप पर एक प्राइमरी हेल्थ सर्विस है. औसतन 10 द्वीपों का एक समूह एक एटोल बनाता है, और हर एटोल पर एक अस्पताल बना है. एटोल अस्पताल स्थित है, जहां सामान्य बीमारियों का इलाज हो सकता है. बेहतर इलाज के लिए लोगों को माले का रुख करना पड़ता है, उन्हें द्वीपों पर बेहतर इलाज नहीं मिलता है.
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जब विशेष चिकित्सा उपचार और सर्जरी की बात आती है तो मालदीव के हाथ-पैर फूल जाते हैं. साल 2015 की भारतीय चिकित्सा पर्यटन उद्योग की आउटलुक रिपोर्ट से पता चला है कि मालदीव के लोग भारत में सबसे ज्यादा इलाज के लिए आए थे. अगस्त 2022 में राज्यसभा में सरकार ने कहा था कि 2021 में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए भारत आने वाले लोगों का तीसरा सबसे बड़ा देश मालदीव था.
चिकित्सा के लिए भारत पर निर्भर है मालदीव
भारत, मालदीव की मेडिकल सेक्टर में बड़ी मदद करता है. भारत मालदीव के लिए एक बेहतर ह्युमन रिसोर्स भी है. डॉक्टरों और विशेषज्ञ डॉक्टरों की भर्ती में भारतीय सहायता बिना मालदीव कुछ नहीं कर पाता है. वहां बड़े पैमाने पर हिंदुस्तानी डॉक्टर तैनात हैं. देश में मालदीव के मेडिकल प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेने आते हैं. भारत की तरह मालदीव की मदद कोई नहीं करता है.
क्यों मालदीव को भाते हैं भारतीय अस्पताल
मेडिकल टूरिज्म के लिए भारत मालदीव की पहली पसंद है. बीएमसी हेल्थ सर्विसेज रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव के लोग भारत और श्रीलंका में इलाज कराने जाते हैं. भारत में वे बेहतर चिकित्सा की उम्मीद में आते हैं. सर्वेक्षण में 98 प्रतिशत लोगों ने भारत को नंबर वन पर रखने की वजह भी बताई है.
मालदीव और भारत की दूरी कम है, इसलिए लोग यहां बड़ी संख्या में आते है भारत में दुनिया की हर मुश्किल सर्जरी होती है, इसके लिए भारतीय अस्पताल पूर्ण सक्षम है. कैंसर ट्रीटमेंट के सेक्टर में भी भारत से बेहतर सुविधाएं दुनिया में कम हैं.
मालदीव पर्यटन के लिए जाना जाता है. वहां की राजधानी में भी अस्पताल इतने उन्नत नहीं हैं कि हर बीमारी का इलाज वहां लोग करा सकें. कुछ अस्पताल हैं तो वे इतने महंगे हैं कि जिन्हें आम आदमी अफोर्ड नहीं कर सकता है.
भारत में विश्व स्तरीय डॉक्टर आसानी से मिल जाते हैं. अस्पतालों में होने वाला खर्च भी दूसरे देशों की तुलना में बेहद कम है. मालदीव सरकार को पता है कि वह कई क्षेत्रों में भारत पर निर्भर है. मालदीव सरकार ने आसांधा (Aasandha) नाम से एक पब्लिक रेफरल सिस्टम बनाया है, जिसके जरिए वह अपने नागरिकों को विदेश में इलाज के लिए पैसे देती है.
Aasandha योजना के तहत मालदीव में पब्लिक सेक्टर में अच्छे डॉक्टर न होने पर विदेश मरीजों को भेजा जाता है. मारीज भारत और श्रीलंका के अस्पतालों को चुन सकते हैं. इस योजना के तहत मरीजों को सीधे लाभ मिलता है.
भारत ने कोविड महामारी में की थी मालदीव की मदद
भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान मालदीव की जमकर मदद की थी. भारत ने करीब 350 मिलियन डॉलर मालदीव को दिया था. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में मालदीव के तत्कालीन विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कहा था कि किसी भी देश ने मालदीव को इतनी बड़ी मेडिकल हेल्प नहीं दी है.
मालदीव के लिए बार-बार संकटमोचक बनता है भारत
वित्तीय सहायता के अलावा, भारत ने मार्च 2020 में माले में एक कोविड-19 चिकित्सा राहत टीम भेजी. टीम में पल्मोनोलॉजिस्ट, एनेस्थेटिस्ट, चिकित्सक और लैब तकनीशियन शामिल थे. भारत ने मालदीव की स्थिति देखते हुए तत्काल मदद की पेशकश की थी.
भारत ने उसी साल अप्रैल में जरूरी दवाइयों की 5.5 टन की एक खेप भेजी थी. इसके बाद भारतीय वायु सेना की ओर से 6.2 टन की एक और खेप हवाई मार्ग से भेजी गई. मई में, भारत ने मालदीव को 580 टन खाद्य सहायता भी दी. पीएम नरेंद्र मोदी की 'नेबर फर्स्ट' नीति की वजह से सरकार ने जनवरी 2021 में एक लाख भारतीय निर्मित कोरोनोवायरस टीके भेजे थे.
इस वजह से अपनी सरकार पर भड़के हैं मालदीव के लोग
दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद गहराने की वजह से मालदीव के लोग अपनी सरकार से बेहद नाराज हैं. वहां के लोग कह रहे हैं कि ऐसे बेतुके बयान देकर मालदीव ने भारत से मिलने वाली मदद को खतरे में डालदिया है. वे अपनी सरकार और मंत्रियों पर सवाल उठा रहे हैं. मालदीववासियों की बेचैनी सोशल मीडिया पर दिख रही है.
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