डीएनए हिंदीः जालंधर में अनाज मंडी में 70 बरस के किसान जोगा सिंह परेशान है. इस बार निजी मंडियों में भी MSP के बराबर या ऊपर की कीमत मिल रही है. सब सही चल रहा था मगर सरकारी एजेसियों ने खरीद रोक दी. कारण बताया कि इस बार गेहूं का दाना ज्यादा सिकुड़ा हुआ है और ऐसे में आगे की खरीद जांच एजेंसियों के रिपोर्ट के बाद ही होगी. आइए जानते हैं कि कैसे इस बार किसान की खुशियों को ग्लोबल वार्मिंग की नजर लग गई. पढ़ें अभिषेक सांख्यायन की विशेष रिपोर्ट...

121 सालों का सबसे गर्म मार्च 
मौसम विभाग ने बताया था कि पिछले 121 वर्षों में इस बार मार्च का औसतन मार्च सबसे गर्म पाया गया. इस बार औसतन सामान्य से 1.86 डिग्री सेल्सियस गर्मी देखी गई. फरवरी और मार्च के महीने में ही गेहूं का दाना अपना वजन पाता है. इस समय अगर तेज गर्मी पड़े तो गेहूं का  दाना अपना पूरा आकार लेने से पहले ही पकना शुरु हो जाता है. जिसका नतीजा इस बार गेहूं की कम पैदावार के रुप में देखने को मिला है. 

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एजेसियों ने क्यों बंद की गेहूं की खरीद?   
भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा तय मानकों के अनुसार गेहूं की सिकुड़न और चमक में कमी क्रमश: 6 और 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकती. मगर मार्च के बाद पड़ी तेज गर्मी ने फसल के पकने के प्रकिया को तेज कर दिया जिससे अनाज की गुणवत्ता में कमी आ गई.  जांच दलों द्वारा तय मानकों में छूट देने के लिए 13 और 14 अप्रैल को पंजाब की 23 मंडियों से नमूने इक्कठे किए. इन नमूनों के आधार पर ही सरकार आगे की खरीद की प्रकिया को तय करेगी. माना जा रहा है कि जांच दल की रिपोर्ट के बाद केन्द्र सरकार फसल खरीदी के लिए तय मानकों में राहत दे सकती है.  

एक डिग्री तापमान वृद्धि से 6 फीसदी उपज में कमी  
वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि तापमान में वृद्धि और जलवायु में परिवर्तन का पौधों की वृद्धि और विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. गेहूं के मामले में तापमान में एक डिग्री की वृद्धि के कारण गेहूं के उत्पादन में 6 फीसदी की कमी का अनुमान लगाया जाता है. इस बारे में IPCC ने साल 2014 में अपनी रिपोर्ट में चेताया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि उष्ण कटिबंधीय और अधिक तापमान वाले इलाकों में 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से फसलों की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.  

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पंजाब के सासंद ने की मुआवजे की मांग  
इसी बीच पटियाला से सांसद परनीत कौर ने भी 12 अप्रैल को कृषि मंत्री नरेन्द्र तोमर को पत्र लिखकर किसानों को मुआवजा देने की मांग की. सांसद ने अपने पत्र में लिखा कि "बारिश की कमी के कारण, गर्मी ने कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है, जिसकी वजह से गेहूं की उपज में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है. इससे प्रत्येक किसान को प्रति एकड़ लगभग 5-7 क्विंटल गेहूं का अनुमानित नुकसान हुआ है”. पटियाला के सांसद ने आगे लिखती है कि, ''पहले एक एकड़ में 20 से 22 क्विंटल की उपज होती थी, लेकिन इस बार भीषण गर्मी के कारण गेहूं की उपज 15 से 17 क्विंटल ही है.” 

इतना बारीक दाना कभी नहीं देखा 
किसान जोगा सिंह ने बताया, “इतने बरसो में उन्होने इतना कमजोर दाना नहीं देखा. एक एकड़ से महज 15-16 क्विंटल की उपज प्राप्त हो रही है.”  किसान ने आगे अपनी शिकायतों को विस्तार देते हुए कहा कि, “बढती डीजल, बिजली, कृषि उपकरणो की कीमत के आगे सरकार ने MSP में महज 40 रुपये बढ़ाए है. ऐसे में किसान कैसे फायदा हो सकता है.”. बुजुर्ग किसान पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से भी नाराज है . उनकी शिकायत है कि हर साल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक नई  किस्म ले आते हैं, लेकिन अभी भी 343 और कल्याण के बराबर पैदावार नहीं हासिल हो पाई है.  

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why farmers are upset even after the price of wheat is at record level
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गेहूं की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर होने के बाद भी किसान क्यों परेशान ? 
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किसानों पर Global Warming की मार, गेहूं की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर होने के बाद भी किसान क्यों परेशान ?