डीएनए हिंदी: Atique Ahmed Killed- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और उसके भाई को पुलिस हिरासत में ही गोलियों से भूनकर मार दिया गया है. इसके साथ ही पूर्व सांसद के चार दशक से चले आ रहे माफियाराज का भी खात्मा हो गया है. अतीक का यह हश्र उसी दिन तय हो गया था, जब बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल (Umesh Pal Murder Case) और उनके दो गनर 24 फरवरी को सरेआम गोलियों से भून दिया गया. इस मर्डर का आरोप पूर्व सांसद व माफिया डॉन अतीक अहमद (Atique Ahmed) और उसके बेटों पर लगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) इस हत्याकांड के बाद खासे नाराज दिखाई दिए. उन्होंने विधानसभा में माफिया को धूल में मिलाने जैसा बयान दे दिया. इसके बाद भाजपा के मंत्री और नेता गुजरात की साबरमती जेल से अतीक को लाते समय उसकी गाड़ी भी बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे की तरह पलटने की चेतावनी देने लगे. इसी बीच सरकार ने आईपीएस अनंत देव (IPS Anant Dev) को उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) में तैनाती दे दी, जिन्हें विकास दुबे एनकाउंटर का मास्टर माइंड माना जाता है. इसके बाद से ही अतीक पर खतरे के बादल मंडरा रहे थे. ये बादल तब और ज्यादा घने हो गए, जब तीन दिन पहले अतीक के बेटे असद अहमद को एसटीएफ टीम ने ढेर कर दिया. इसके बाद से ही अतीक का भी अंत होने के कयास लगाए जाने लगे थे. आइए आपको बताते हैं इस जोरदार आईपीएस अधिकारी के बारे में.
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PPS से प्रमोट होकर IPS बने हैं अनंत देव
फतेहपुर के रहने वाले अनंत देव तिवारी ने अपना पुलिस करियर 1987 बैच के प्रदेश पुलिस सर्विस (PPS) अधिकारी के तौर पर शुरू किया था. पूरे प्रदेश में डीएसपी और फिर एएसपी के तौर पर काम कर चुके अनंत देव इसी कारण पुलिस विभाग की जमीनी कामकाज के बेहद करीब हैं. साल 2006 में वे पीपीएस से प्रमोशन पाकर इंडियन पुलिस सर्विस (IPS) अफसर बने थे. उन्हें कानून तोड़ने वालों के लिए बेहद कठोर मिजाज वाला और बेखौफ अधिकारी के तौर पर पहचाना जाता है.
देश के चुनिंदा IPS में मिल चुका है स्थान
अनंत देव को साल 2017 के दौरान एक सर्वे में देश में सबसे चर्चित 5 आईपीएस अधिकारियों में तीसरे नंबर पर चुना गया था. उन्हें माफिया का काल, क्रिमिनल्स का यमराज जैसे तमगे भी आम जनता से अपना कार्यकाल में मिल चुके हैं. अनंत देव वही चर्चित अधिकारी हैं, जिनके एसएसपी रहने के दौरान साल 2017 में ISI से नातों के लिए चर्चित आजमगढ़ में हिस्ट्रीशीटर लिस्ट ही लगातार एनकाउंटर्स के कारण खत्म हो गई थी.
करियर की शुरुआत से ही बनाई दबंग छवि
अनंत देव तिवारी ने अपने करियर की शुरुआत से ही दबंग अधिकारी की छवि बनाई. साल 1993 में उन्होंने इटावा में DSP रहने के दौरान लखनऊ तक पहुंच रखने वाले एक नेता को गिरफ्तार किया. इस पर उन्हें बांदा-चित्रकूट के डाकू बहुल एरिया में पोस्टिंग दे दी गई. यहीं से उनका डाकुओं से 36 का आंकड़ा शुरू हो गया. खासतौर पर तेंदू पत्ता तुड़वाने की ठेकेदारी में वर्चस्व रखने वाले कुख्यात ददुआ और ठोकिया के गिरोह के लिए वे काल साबित हुए.
सबसे ज्यादा चर्चा मिली कुख्यात डाकू ददुआ को निपटाकर
अनंत देव अपने करियर की शुरुआत से ही डाकुओं के बाहुबल वाले इलाकों में तैनात रहे हैं. खुद उनका मूल जिला फतेहपुर भी डाकुओं से प्रभावित रहा है. अनंत देव के IPS अधिकारी बनने के बाद यूपी एसटीएफ के तत्कालीन एसएसपी अमिताभ यश ने उन्हें अपनी टीम में ASP के तौर पर शामिल कर डाकुओं के सफाए का टास्क दिया. इस टास्क में सबसे बड़ी सफलता 22 जुलाई, 2007 को तब मिली, जब उनकी टीम ने 'अदृश्य' कहे जाने वाले कुख्यात डकैत शिव कुमार उर्फ ददुआ को एनकाउंटर में मार गिराया. ददुआ कितना कुख्यात था, इसका अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि करीब 3 दशक तक चित्रकूट के बीहड़ों में उसकी मर्जी के बिना वोट तक नहीं डाली जाती थी. पुलिस के पास उसकी 30 साल पुरानी ही तस्वीर थी. ददुआ ने अपने भाई को विधायक भी बनवा दिया था.
अगले साल छह लाख के इनामी ठोकिया को भी ठोका
IPS अनंत देव ने बीहड़ों की अपनी जानकारी की बदौलत साल 2008 में ददुआ के चेले और एक अन्य कुख्यात डाकू अंबिका पटेल उर्फ ठोकिया का भी एनकाउंटर कर दिया. ठोकिया इतना खतरनाक था कि उसके इलाके में घुसने वाली कोई भी पुलिस टीम सही सलामत बाहर वापस नहीं निकली थी, लेकिन अनंत देव की टीम ने अगस्त 2008 में सिलखोरी जंगल में ठोकिया को ठोक दिया.
विकास दुबे एनकाउंटर ने दी पूरे देश में चर्चा
कानपुर के बिकरू में पुलिस टीम के दर्जनों अधिकारियों-सिपाहियों को गोलियों से भूनने की घटना (Bikroo Kand) ने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी थी. यह केस पूरे देश में चर्चित हुआ था. मुख्य आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey) को भाजपा नेताओं की शह होने की चर्चा थी. विकास दुबे ने इसी शह की बदौलत मध्य प्रदेश में सरेंडर कर दिया. विकास दुबे को वहां से लाने वाली टीम को अनंत देव ही लीड कर रहे थे. रास्ते में विकास दुबे की गाड़ी पलटने के बाद उसका एनकाउंटर कर दिया गया. इससे अनंत देव का नाम पूरे देश में छा गया. हालांकि इस मामले की SIT जांच में एनकाउंटर को फर्जी बताया गया और अनंत देव को नवंबर 2020 में सस्पेंड कर दिया गया. बाद में वे दोबारा सेवा में वापस आ गए.
यूपी पुलिस में सोशल पुलिसिंग की एंट्री का मिलता है श्रेय
अनंत देव को यूपी पुलिस में सोशल पुलिसिंग नेटवर्क की एंट्री कराने का भी श्रेय मिलता है. उन्होंने इस फॉर्मूले को अपनी पोस्टिंग वाले जिलों में आजमाया और गांवों में शांति बहाली में लोकल युवाओं की टीम बनाकर पुलिस के समानांतर उनका नेटवर्क तैयार किया. बाद में उनके इस सोशल पुलिसिंग फॉर्मूले को तत्कालीन DGP ओपी सिंह ने S-7 और S-10 फॉर्मूलों के नाम से प्रदेश के सभी जिलों में लागू कराया था.
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कौन है वो IPS जिसके नाम से चैन की नींद नहीं सो पाता था अतीक अहमद, विकास दुबे के एनकाउंटर से भी है नाता