डीएनए हिंदी: केंद्र सरकार ने असम, नगालैंड और मणिपुर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) की सख्ती कम करने का फैसला किया है. एक वक्त में नॉर्थ-ईस्ट के राज्य देश के सबसे ज्यादा अशांत क्षेत्रों में शुमार थे. उग्रवाद और स्थानीय अलगाववादी गुटों के विद्रोह को को खत्म करने के लिए आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट ( AFSPA) को साल 1958 में लागू किया गया था. देश के भीतर आंतरिक शांति बहाल करने के लिए इस एक्ट को प्रवर्तनीय किया गया था. 

22 मई 1958 को यह एक्ट पूर्वोत्तर के राज्यों में लागू हो गया था. अशांत क्षेत्रों में इस एक्ट के जरिए कुछ विशेषाधिकार दिए गए थे. यह एक्ट सुरक्षाबलों को कुछ मामलों में असीमित अधिकार देता है. सुरक्षाबल बिना किसी वारंट के किसी की भी जांच कर सकते हैं, किसी की भी ठिकाने की तलाशी ले सकते हैं. यह एक्ट सुरक्षाबलों को शक्ति देता है कि वे किसी भी संदिग्ध ठिकानों को शक के आधार पर तबाह कर सकते हैं.

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आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट के तहत बिना वारंट के सुरक्षाबल किसी को भी गिरफ्तार कर सकते हैं. कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों में यह एक्ट लागू है. समय-समय पर एक्ट को निरस्त करने के लिए लोग मांग उठाते रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस एक्ट का दुरुपयोग किया जाता है, सुरक्षाबल अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हैं.

क्यों होते हैं रहे हैं एक्ट के खिलाफ आंदोलन?

अफस्पा को निरस्त करने की मांग को लेकर मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला 16 साल तक भूख हड़ताल पर बैठी रही थीं. उन्हें मणिपुर की ऑयरन विमेन भी कहा जाता है. AFSPA को लेकर नॉर्थ-ईस्ट में समय-समय पर आंदोलन होते रहे हैं. मानवाधिकार संगठनों एक अरसे से मांग करते रहे हैं कि इस एक्ट को खत्म कर दिया जाए. 

ACT

साल 2004 में तो इस एक्ट के खिलाफ महिलाओं ने न्यूड प्रदर्शन भी किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि अर्धसैनिक बलों ने एक महिला का कथित तौर पर गैंगरेप किया था. मणिपुर में तैनात असम राइफल्स के जवानों के जवानों पर यह आरोप लगा था. इसके अलावा भी पूर्वोत्तर से इस एक्ट को हटाने की मांग उठती रही है. कई राज्य भी इस एक्ट को हटाने की मांग करते रहे हैं.

अशांत क्षेत्रों में लगाया जाता है AFSPA

आर्म्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट के तहत, सशस्त्र सेनाओं के काम करने के लिए किसी भौगोलिक क्षेत्र को अशांत घोषित किया जा सकता है. अगर शांति व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक हो तो यह कानून प्रासंगिक हो जाता है. मेघालय से 2018 में, त्रिपुरा से 2015 में और 1980 के दशक में मिजोरम से पूरी तरह हटा लिया गया था. 

इरोम शर्मिला

किन राज्यों से कम होगा AFSPA का प्रभाव?

AFSPA असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के केवल 31 जिलों में पूरी तरह से लागू रहेगा. इन राज्यों के 12 जिलों में आंशिक रूप यह एक्ट प्रभावी रहेगा. असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश कुल 90 जिले हैं, जहां आंशिक या पूरी तरह से AFSPA लागू रहेगा.

क्यों सरकार ने AFSPA में दी ढील?

पूर्वोत्तर में AFSPA के तहत घोषित अशांत क्षेत्रों की संख्या में कटौती की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को की थी. दिसंबर 2022 में नगालैंड के मोन जिले में हुए एक एनकाउंटर में 14 लोग मारे गए थे. स्थानीय लोगों ने कहा था कि मारे गए लोग आम नागरिक थे. एनकाउंटर के बाद नगालैंड में इस एक्ट को निरस्त करने की मांग उठी थी. कानून पर पुनर्विचार के लिए एक उच्चस्तरीय समिति को गठित किया गया था. समिति के सुझाव के बाद ही यह कदम उठाया गया है. 

अमित शाह.

AFSPA के तहत सुरक्षाबलों को पास क्या हैं अधिकार?

AFSPA सुरक्षा बलों को बिना किसी वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. अगर किसी परिस्थिति में सुरक्षाबलों को किसी संदिग्ध पर गोली चलानी पड़े तो उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. किसी भी इलाके को सुरक्षाबल खाली करा सकते हैं. किसी भी संदिग्ध ठिकाने को इमरजेंसी की स्थिति में वह उड़ा सकते हैं. किसी भी शख्स की जांच सुरक्षाबल कर सकते हैं. किसी भी इलाके को पूरी तरह से बंद कर देने का भी अधिकार उन्हें होता है. कुछ मामलों में सुरक्षाबलों को इस एक्ट की वजह से गिरफ्तारी से भी छूट मिलती है.

किन इलाकों को घोषित किया गया है अशांत क्षेत्र? 

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बृहस्पतिवार देर रात को जारी दो अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी किया है. नगालैंड के दीमापुर, नियुलैंड, चूमोकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक, पेरेन और जुन्हेबोटो जिलों को एक अप्रैल से छह महीने के लिए अशांत क्षेत्र घोषित किया गया है. 

कोहिमा, मोकोकचुंग, लोंगलेंग और वोखा जिले के कुछ क्षेत्रों को अशांत घोषित किया गया है. नगालैंड में 15 जिले हैं. 1995 से पूरे राज्य को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था. अरुणाचल प्रदेश के लिए गृह मंत्रालय ने कहा कि तिरप, चांगलांग और लोंगिंग जिले तथा असम की सीमा से लगने वाले नामसाई जिले में नामसाई और महादेवूर पुलिस थानांतर्गत क्षेत्रों को एक अप्रैल से छह महीने के लिए अशांत घोषित किया गया है. 

सुरक्षाबल.

किन इलाकों में पूरी तरह से हटा है AFSPA?

अरुणाचल प्रदेश में 26 जिले हैं. असम के लिए राज्य सरकार ने नए नोटिफिकेशन में कहा गया कि 23 जिलों में पूरी तरह और एक उप-संभाग से आंशिक रूप से आफ्स्पा हटा लिया गया है. असम के तिनसुकिया, डिब्रूगढ़, चराईदेव, शिवसागर, जोरहाट, गोलाघाट, कारबी अंगलोंग, वेस्ट कारबी अंगलोंग, दिमा हसाओ और कछार जिले के लखीमपुर उप-संभाग में AFSPA लागू रहेगा.

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समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक मणिपुर सरकार ने भी इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया है कि इंफाल वेस्ट जिले के सात पुलिस स्टेशन वाले इलाके अब अशांत क्षेत्र नहीं रहेंगे. इंफाल ईस्ट जिले के चार पुलिस थानांतर्गत आने वाले इलाके थुबल, विष्णुपुर काकचिंग और जिरीबाम जिले के कुछ हिस्सों से AFSPA हटा लिया गया है.

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AFSPA क्या है और क्यों राज्य इसे हटाने की कर रहे थे मांग?
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संवेदनशील इलाकों में लागू किया जाता है AFSPA.
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संवेदनशील इलाकों में लागू किया जाता है AFSPA.

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Northeast में क्यों पड़ी थी AFSPA की जरूरत, क्या है यह एक्ट और क्यों राज्य इसे हटाने की कर रहे थे मांग?