डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना का दशकों से एक अलग वजूद रहा है, लेकिन एकनाथ शिंदे की बगावत ने पार्टी को बेकफुट पर खड़ा कर दिया. शिवसेना दो धड़े में बंट गई है. एक तरफ एकनाथ शिंदे, तो दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट नजर आ रहे हैं. दोनों गुटों की लड़ाई इस हद तक पहुंच गई कि चुनाव आयोग को शिवसेना के सिंबल (EC freezes Shiv Sena symbol) और पार्टी के नाम को फ्रीज करना पड़ा. हालांकि, अब चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े को 'जलती मशाल' का चुनाव चिह्न आवंटित किया है. साथ ही दल को एक नया नाम 'शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे' दिया है.
हालांकि, उद्धव ठाकरे के लिए 'जलती मशाल' चुनाव चिह्न कोई नया नहीं है. इस सिंबल से पार्टी का पुराना नाता रहा है. बाल साहब ठाकरे के समय 1985 में जब पार्टी के पास समर्पित चुनाव चिह्न नहीं था तो मशाल सिंबल पर ही चुनाव लड़ा गया था. इसमें शिवसेना ने जीत भी दर्ज की थी. शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में मशाल सिंबल पर छगन भुजबल को मझगांव निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा था.
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मशाल कैसे बनी शिवसेना का सिंबल
छगन भुजबल ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया, 'मैंने ही जलती हुई मशाल चुनाव चिह्न चयन किया था. क्योंकि ये क्रांति और प्रतीकवाद का चिह्न था, जिसने महाराष्ट्र के लोगों को एक नई दिशा दी थी. उन्होंने कहा कि बालासाहेब ठाकरे ने पूर्व मुख्यंत्री मनोहर जोशी सहित शिवसेना के कई नेताओं से एक समर्पित चुनाव चिह्न मांगा था. जिसमें कुछ नेताओं ने उगता सूरज और बल्ले व गेंद का सुझाव दिया था.
दीवारों पर बनाते थे पेंटिंग, चुनाव लड़ने के लिए नहीं थे पैसे
भुजबल ने कहा कि 1985 के दौर में होल्डिंग, बैनर का प्रचलन नहीं था. उस दौरान नेता चुनाव प्रचार में दिवार पर चित्र और लेखन किया करते थे. मशाल का फोटो दीवारों पर बनाना आसान होता था. उन्होंने कहा कि तब हमारे पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं थे, इसलिए मैं भी वॉल पेंटिंग बनाता था. मेरे लि जलती हुई मशाल बनाना सबसे आसान था. मैनें चुनाव अभियान के दौरान इस चिह्न को बनाकर मतदाताओं को आकर्षित किया था और इस सिंबल की बदौलत मैं चुनाव जीतकर एक मात्र विधायक बना था.
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उद्धव को मशाल तो शिंदे को तलवार
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने सोमवार को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली शिवसेना को ‘मशाल' चुनाव चिह्न दिया है. वहीं, पार्टी का नाम 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' रखा है. आयोग ने एक आदेश जारी कर कहा कि उद्धव गुट आगामी विधानसभा चुनावों में जलती हुई मशाल चुनाव चिह्न इस्तेमाल करेगा. उधर,एकनाथ शिंदे के गुट के लिए आयोग ने पार्टी का नाम 'बालासाहेबंची शिवसेना' और चुनाव चिह्न 'दो तलवारें और एक ढाल' आवांटित किया है.
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मशाल चुनाव चिह्न से शिवसेना का पुराना नाता, इस सिंबल से 1985 में पहली बार जीता था चुनाव