डीएनए हिंदी: रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच जारी जंग भयावह हो गई है. रूसी सैनिक (Russian troops) अब यूक्रेन के न्यूक्लियर प्लांट को निशाना बना रहे हैं. 4 फरवरी को रूसी सैनिकों ने यूरोप के सबसे बड़े न्यूक्लियर पावर प्लांट ज़ेपोरज़िया (Zaporizhzhia) पर कब्जा कर लिया था. रूस के मिसाइल अटैक से इस पावर प्लांट में भीषण आग लग गई थी.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने दावा किया था कि अगर यह हमला गंभीर हुआ तो चेर्नोबिल (Chernobyl) से भी बड़ा हादसा हो सकता है. संयुक्त राष्ट्र और यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा था कि सही वक्त पर फायर फाइटर्स के आने की वजह से आग बुझा ली गई थी. ज़ेपोरज़िया पावर प्लांट पर किसी भी तरह की रेडिएशन का फैलाव नहीं हुआ था. रूसी सैनिक कई मोर्चों से यूक्रेन पर हमला बोल रहे हैं. लगातार हमलों की वजह से 10 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं.
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फेक न्यूज पर रूस ने बनाया कानून
रूस के इस हमले की दुनिया के कई देशों ने निंदा की थी. हमले के तत्काल बाद रूस ने कथित तौर पर फेक न्यूज को लेकर कानून बना दिया. फेसबुक, ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रूस ने नकेल कस दी है. रूस ने बीबीसी और वॉयस ऑफ अमेरिका जैसे न्यूज चैनलों को भी बैन कर दिया. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसे कानून पर हस्ताक्षर किया है जिसके तहत फेक न्यूज फैलाने पर 15 साल तक की जेल हो सकती है. सीएनएन ने ऐलान किया है कि वह रूस में प्रसारण बंद कर देगा. ब्लूमबर्ग ने भी रूस में अपने पत्रकारों को काम करने से रोक दिया है.
कीव के बाहर ठहरी है रूस की सेना!
रूसी सेनाओं की बड़ी टुकड़ी राजधानी कीव के बाहर रुकी है. सैनिक हवा से लेकर समंदर तक से यूक्रेन पर हमला बोल रहे हैं. कई शहरों में भीषण हमले के बाद न्यूक्लियर प्लांट को सैनिक निशाना बना रहे हैं. ज़ेपोरज़िया न्यूक्लियर प्लांट एनरहोदर (Enerhodar) में स्थित है. संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख, राफेल मारियानो ग्रॉसी ने कहा कि रूस ने एक ट्रेनिंग सेंटर पर हमला किया था. किसी भी ग्रिड को निशाना नहीं बनाया था.
चेर्नोबिल से भी बड़ा हो सकता है हादसा!
दुनियाभर को डर था कि अगर किसी भी न्यूक्लियर ग्रिड पर मिसाइल गिरता तो चेर्नोबिल से बड़ा परमाणु हादसा हो सकता था. साल 1986 में हुए चेर्नोबिल हादसे को आज तक दुनिया भूली नहीं है. वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा था कि अगर ऐसा हमला होता है तो यह पूरे यूरोप का अंत कर सकता है. हालांकि स्वीडन से लेकर चीन तक के परमाणु अधिकारियों ने कहा कि मौके से किसी भी तरह की रेडिएशन स्पाइक्स की सूचना नहीं मिली है.
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अधिकारियों ने कहा कि रूसी सैनिकों ने पूरे प्लांट पर कब्जा कर लिया है. प्लांट को कर्मचारियों अभी चला रहे हैं. यहां केवल एक ही रिएक्टर 60 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रहा था. हमले में 2 लोग घायल हो गए थे वहीं तीन यूक्रेनी सैनिक मारे गए थे. अमेरिका में, पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि यह हमला उस लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है जिसे रूसी सैनिक अंजाम देना चाहते हैं.
क्यों दुनिया को सता रहा है डर?
न्यूक्लियर पावर प्लांट इस तरह से डिजाइन नहीं होते हैं कि सैन्य हमले को बर्दाश्त कर कर सकें. रूस का एक भी मिसाइल अगर किसी न्यूक्लियर ग्रिड पर पड़ता है तो स्थितियां भयावह होंगी. चेर्नोबिल में केवल एक रिएक्टर था वहीं ज़ेपोरज़िया में 6 न्यूक्लियर रिएक्टर हैं. चेर्नोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में 26 अप्रैल 1986 को एक भीषण धमाका हुआ था.
रेडिएशन के फैलाव की वजह से करीब 1.25 लाख लोगों की जान चली गई थी. हादसे का असर अब तक चर्नोबिल के आस-पास के इलाकों में आज तक देखने को मिलता है. कैंसर और दूसरे त्वचा संबंधी रोगों से कई लोग जूझे और मौत हो गई. दुनिया को यही डर है कि कहीं एक बार फिर यह हादसा न हो जाए और पूरा यूरोप इसकी जद में आ जाए. अगर 6 ग्रिडों पर हमला हुआ और एक साथ विस्फोट हुआ तो यूरोप की तबाही तय है.
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