BPSC Protest: बिहार लोकसेवा आयोग (BPSC) की परीक्षा को रद्द कराने के लिए कड़कती ठंड में छात्र पटना में धरने पर बैठे हुए हैं. नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार लाठीचार्ज करने के बावजूद उन्हें नहीं हटा सकी है. बिहार की राजनीति में ये ऐसा मुद्दा बन गया है, जिसे हर विपक्षी दल सरकार के खिलाफ भुनाने के लिए तैयार बैठा हुआ है. इसमें प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) भी उतर आए हैं, जो बड़े नेताओं के लिए रणनीति तैयार करते-करते खुद जनसुराज पार्टी बनाकर राजनीतिक मैदान के खिलाड़ी बन चुके हैं. धरने पर बैठे छात्रों को कंबल बांटते-बांटते प्रशांत किशोर ने अब ऐसा दांव खेला है, जिसने उन्हें इस खेल में बाकी राजनेताओं पर बढ़त दिलाना तय कर दिया है. प्रशांत किशोर पटना के गांधी मैदान में राष्ट्रपति महात्मा गांधी की मूर्ति के नीचे आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. बिहार में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर के इस दांव की तुलना साल 2012 में दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के उस अनशन से की जा रही है, जिसकी बदौलत अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पिछले 11 साल से देश की राजधानी पर राज कर रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि क्या इस अनशन के जरिये युवा शक्ति का दिल जीतकर प्रशांत किशोर भी बिहार के केजरीवाल बन पाएंगे या नहीं?
परीक्षा रद्द होने तक जारी रहेगा पीके का अनशन
राजनीतिक गलियारे में 'पीके' के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर के साथ बीपीएससी के कई कैंडिडेट और उनकी पार्टी के नेता भी अनशन बैठे हैं. प्रशांत किशोर ने कह दिया है जब तक सरकार और आयोग परीक्षा रद्द करके रि-एग्जाम नहीं लेती है, तब तक हम आमरण अनशन पर बैठे रहेंगे. पीके ने इस आमरण अनशन की घोषणा पिछले गुरुवार को ही कर दी थी. अपनी घोषणा पर खरा उतरते हुए आमरण अनशन शुरू करना पीके को युवाओं के बीच लोकप्रिय बना सकता है.
VIDEO | BPSC exam row: "We all are here to support our youth. We will not stop our 'dharna' till we get justice for them," says Jan Suraaj founder Prashant Kishor (@PrashantKishor) at Gandhi Maidan in Patna, Bihar.
— Press Trust of India (@PTI_News) January 2, 2025
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvqRQz)… pic.twitter.com/oRyjaXs1yq
छात्रों से हुई थी पहले झड़प, कह दिए गए थे भगोड़ा
पीके ने रविवार को धरने पर बैठे छात्रों के बीच आकर उनका समर्थन किया था. उन्होंने छात्रों को कंबल भी बांटे थे. हालांकि इस दौरान उनकी कुछ छात्रों से झड़प भी हुई थी, लेकिन वे युवाओं को अपने समर्थन का संदेश देने में सफल रहे थे. पीके के धरनास्थल से जाने के बाद ही पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज किया था. इसमें कई छात्र घायल हुए थे. तब विपक्षी नेताओं ने पीके को भगोड़ा कहकर उनका मजाक उड़ाया था. पुलिस ने पीके के खिलाफ भी छात्रों को भड़काने का मुकदमा दर्ज किया था. पीके ने ऐसे में छात्रों के पक्ष में सीधे आमरण अनशन शुरू कर अपना दांव खेल दिया है.
#WATCH | Patna, Bihar | Jan Suraaj chief Prashant Kishor joins BPSC aspirants protests at Gandhi Maidan for demand of cancellation of exam, goes on indefinite hunger strike pic.twitter.com/KrOBZc7jjs
— ANI (@ANI) January 2, 2025
राजनीतिक हैसियत बचाने के लिए पीके का आखिरी दांव
पीके के आमरण अनशन को उनका अपनी राजनीतिक हैसियत बचाने का आखिरी दांव भी माना जा रहा है. एकसमय नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से लेकर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) समेत कई बड़े नेताओं के लिए सफल राजनीतिक रणनीति बनाकर पीके ने काफी लोकप्रियता बटोरी थी. उन्होंने पिछले साल अचानक तब सभी को चौंका दिया था, जब उन्होंने सीधे राजनीति में हाथ आजमाने का निर्णय लिया था. उन्होंने पूरे बिहार में हजारों किलोमीटर की पदयात्रा किया था. इसके बाद उन्होंने जब जनसुराज पार्टी का गठन किया था तो उन्हें बिहार में नई चुनौती के तौर पर देखा गया था. हालांकि बिहार में चार विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में उनकी पार्टी पूरी तरह फ्लॉप साबित हुई है. इससे उनकी राजनीतिक हैसियत पर भी सवाल उठे हैं. ऐसे में अब सभी की निगाहें इस पर लग गई हैं कि क्या वे पटना के गांधी मैदान को अपने लिए दिल्ली का 'रामलीला मैदान' बना पाते हैं या नहीं.
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छात्रों के पक्ष में आमरण अनशन पर बैठे पीके, क्या बन पाएंगे बिहार के केजरीवाल?