Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान की शह पर टूरिस्ट्स के ऊपर आतंकी हमला हुआ है. 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 टूरिस्ट्स मारे गए थे. इसके बाद से ही भारत-पाकिस्तान के आपसी संबंध तनावपूर्ण हैं. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को निलंबित कर दिया है, जो भारत से पाकिस्तान जाने वाली नदियों के पानी पर उसका हक तय करती है. इससे पाकिस्तान के पानी की बूंद-बूंद को तरसने की नौबत खड़ी हो गई है. पाकिस्तान ने भारत को नदियों का पानी रोकने या मोड़ने को 'युद्ध की कार्रवाई' मानकर जवाब देने का ऐलान किया है. इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार ने 'एक बूंद भी पानी पाकिस्तान नहीं जाने देने' की बात कही है. पाकिस्तान भी जानता है कि भारत के साथ सीधे युद्ध छेड़ने लायक ताकत उसमें नहीं है. ऐसे में क्या पाकिस्तान कानूनी तरीके से भारत को ऐसा करने से रोक सकता है? हम आपको उन चार विकल्प के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर पाकिस्तान की तरफ से भारत पर इस संधि को बरकरार रखने का दबाव बनाया जा सकता है.
पहले जान लीजिए सिंधु जल संधि क्या है
भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 में बंटवारा होने के बावजूद उन नदियों के पानी पर हिस्सेदारी तय नहीं हो पाई थी, जो भारत में शुरू होती हैं और फिर पाकिस्तान चली जाती हैं. सिंधु नदी घाटी की ऐसी 6 नदियों की पहचान की गई थी. इसे लेकर 1951 में भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू हुई थी, जो करीब 9 साल बाद 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता के बाद सिंधु जल संधि (Sindhu Jal Sandhi) के तौर पर सामने आई थी. इस संधि में 3 पूर्वी नदियों सतलुज, ब्यास और रावी के पूरे पानी के इस्तेमाल का हक भारत का दिया गया था, जबकि तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का 80 फीसदी पानी पाकिस्तान और 20 फीसदी पानी भारत को मिला था. भारत इस 20 फीसदी पानी का सीमित इस्तेमाल खेती और बिजली उत्पादन के लिए कर सकता है.
इस संधि के तहत पानी के उपयोग की निगरानी सिंधु जल आयोग (Indus Water Commission) करता है, जिसके तहत भारत पाकिस्तान के हिस्से में आने वाली नदियों के बहाव, बाढ़ और जल स्तर का डाटा उसे लगातार मुहैया कराता है. साल 1960 में अस्तित्व में आई यह संधि दोनों देशों के बीच किसी भी तरह के तनाव या युद्ध से प्रभावित नहीं हुई है. यह पहला मौका है, जब भारत ने इस पर कायम नहीं रहने का ऐलान किया है. भारत ने कहा है कि सिंधु जल संधि के निलंबन का फ़ैसला तब तक जारी रहेगा, जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय और स्थायी रूप से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना नहीं छोड़ देता.
पाकिस्तान वर्ल्ड बैंक से लगा सकता है गुहार
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने उसे दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान की तरफ से भारत के सिंधु जल संधि निलंबित करने के खिलाफ अपनाए जाने वाले विकल्पों के बारे में बताया है. ख्वाजा आसिफ ने सिंधु जल संधि कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले वर्ल्ड बैंक से गुहार लगाने की बात कही है, क्योंकि वर्ल्ड बैंक ने ही पिछले 65 साल के दौरान इस संधि को लागू करने में निगरानीकर्ता की भूमिका निभाई है. ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हम इस मामले को वर्ल्ड बैंक के सामने रखेंगे. भारत इससे एकतरफा पीछे नहीं हट सकता है.
इंटरनेशनल कोर्ट में भी चुनौती दे सकता है पाकिस्तान
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पाकिस्तान के विधि और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने भारत के फैसले को इंटरनेशनल कोर्ट में चुनौती देने पर भी विचार किया है. अकील ने यह बात रॉयटर्स से बातचीत में पिछले सोमवार को कही थी. अकील ने कहा था कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ 1969 वियना कन्वेंशन की लॉ ऑफ ट्रीटीज प्रावधान के तहत केस कर सकता है. परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीजे) में इस केस को रखने के लिए फिलहाल कानून मशविरा लिया जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी रखेगा ये मुद्दा
पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती के लिए पानी मुहैया कराने वाली सिंधु जल संधि उसके लिए 'लाइफलाइन' जैसी है. इससे मिलने वाले पानी पर ही एक बड़ी आबादी के गले की प्यास बुझाने का भी जिम्मा है. इसके चलते पाकिस्तान इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी उठा सकता है. अकील मलिक ने कहा है कि इस पर भी विचार चल रहा है.
मुस्लिम देशों के संगठन OIC के जरिये भी बनाएगा दबाव
पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों के सबसे बड़े संगठन OIC के जरिये भी भारत पर दबाव बनाने की योजना बनाई है. भारत OIC का सदस्य नहीं है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ के बाद दुनिया के इस सबसे बड़े संगठन के अधिकतर प्रमुख सदस्य देशों से भारत के मैत्री संबंध हैं. पाकिस्तान के साथ भी इनमें से ज्यादातर देशों के मजबूत रिश्ते हैं. ऐसे में पाकिस्तान उनके जरिये भारत को संधि तोड़ने से रोकने की कोशिश कर सकता है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की है. पुलवामा हमले के बाद भी OIC की अध्यक्षता कर रहे सऊदी अरब ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम कराने में मदद की थी. इस बार ईरान पहले ही दोनों देशों के साथ अपने बेहतर डिप्लोमेटिक रिलेशंस के जरिये उन्हें बातचीत की टेबल पर लाने की पेशकश कर चुका है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने यूएई, कुवैत, कतर, बहरीन, मिस्र आदि देशों से इस मामले में फोन पर अपील भी की है. हालांकि उन्हें जवाब क्या मिला है, ये अब तक स्पष्ट नहीं है.
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भारत रोक रहा पाकिस्तान का पानी, क्या सिंधु जल संधि को लेकर हमारे 'दुश्मन' पर है कोई विकल्प?