Lok Sabha Elections 2024: देश की राजनीति में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का उदय चौंकाने वाला रहा है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2014) के बाद देश की राजनीति में 'मोदी मैजिक' इतना बड़ा फॉर्मूला बना कि विपक्ष की सियासत सिमटने लगी.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के हर एजेंडे पर मोदी मैजिक भारी रहा. कई राज्यों में बीजेपी का विस्तार हुआ. कई कमजोर राज्यों में बीजेपी मजबूत पार्टी बनी. लगातार सफलता से उत्साहित बीजेपी ने इस बार 400 पार सीटों का लक्ष्य अपने गठबंधन NDA के लिए रखा है.
बीजेपी ने अपनी पार्टी के लिए मिशन 370 का लक्ष्य रखा है. तीसरे कार्यकाल के लिए जब बीजेपी ने कमर कस ली है, तो आइए समझते हैं कि पार्टी किस एजेंडे पर ज्यादा फोकस करेगी, अबकी बार 400 पार के पीछे की तैयारियां क्या हैं.
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सधे कदमों से बीजेपी बढ़ा रही है वोट शेयर
बीजेपी ने विपक्ष के पारंपरिक वोटबैंक में सेंध लगा ली है. यूपी की सियासत में माना जाता था कि मुस्लिम और यादव समाजवादी पार्टी के पारंपरिक वोटर बन गए हैं. मोदी के उदय ने इन समीकरणों को भी ध्वस्त कर दिया.
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कांग्रेस एक वक्त में अल्पंसख्यकों की पार्टी कहलाने लगी थी, वहां भी मोदी युग में सेंध लगी है. अब तीसरी बार सत्ता हासिल करने के लिए बीजेपी ने कमर कसी है. बहुजन समाज पार्टी के दलित वोटबैंक में भी बीजेपी ने अपनी जगह बनाई है.
किन एजेंडों के भरोसे बीजेपी ने रखा है मिशन 400 का लक्ष्य?
NDA गठबंधन 543 लोकसभा सीटों में से 400 सीटों पर जीत हासिल करना चाहता है. बीजेपी ने पिछली बार 303 पार का लक्ष्य रखा था, अब उससे ज्यादा आंकड़े पार्टी ने तय कर लिया है. बीजेपी की नजर 50 फीसदी वोट पर है.
राजनीति के धुरंधरों का कहना है कि बीजेपी का कैंपेन मोदी की गारंटी के इर्द-गिर्द घूम रहा है लेकिन हर फैक्टर पर मोदी मैजिक भारी है. अब मोदी का चेहरा ही, मोदी की गारंटी बन गया है.
BJP ने तोड़ा जातीय तिलिस्म, सोशल इंजीनियरिंग पर जोर
बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले पर जोर दिया है. हर जातियों को सत्ता में प्रतिनिधित्व मिला है. राजस्थान और मध्य प्रदेश इसके सफल प्रयोग हैं. बीजेपी जातीय समीकरणों को साधने के लिए कोशिश तो कर रही है लेकिन उस एजेंडे के मूल में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से छेड़छाड़ नहीं कर रही है.
विकासवादी एजेंडे पर है बीजेपी का फोकस
बीजेपी, मोदी के विकासवादी एजेंडे को भी जनता तक ले जा रही है. बीजेपी नेता, अपनी जनसभाओं में साफ तौर पर कह रहे हैं कि उनके राज्य में सड़कें बेहतर हुईं, कानून व्यवस्था में सुधार हुआ, हर घर जल पहुंचाने की कोशिश हुई, बेहतर बिजली मिली और करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन मिला.
बीजेपी का दावा है कि उन्होंने देश में सुशासन की नींव रखी, भ्रष्टाचार मुक्त शासन हुआ. सोलर एनर्जी का विस्तार हुआ. उज्ज्वला जैसी योजनाओं ने भी बीजेपी की राह आसान की.
हिंदुत्व से पार लगेगी बीजेपी की नैया
बीजेपी अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे का ढोल पीटती है. अयोध्या का राम मंदिर हो या वाराणसी का कॉरिडोर, बीजेपी ने हर मुद्दे को भुनाने की कोशिश की है. अयोध्या के भव्य राम मंदिर का जबसे उद्घाटन हुआ, कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक का माहौल बदला.
हिंदी हार्टलैंड में छाया हिंदुत्व
जिस हिंदी हार्टलैंड की वजह से बीजेपी सत्ता में है, वहां तो बीजेपी की अभूतपूर्व लहर नजर आ रही है. बीजेपी हर राज्य में गठबंधन के लिए तैयार है. 400 सीटें पार करने के लिए बीजेपी ने तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में गठबंधन की राह देख रही है.
अभेद्य राज्यों को भी साध रही बीजेपी
बीजेपी असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना और जैसे राज्यों के लिए भी सधी हुई रणनीति बनाई है. बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में ओडिशा में 8 सीटें, पश्चिम बंगाल में 18, असम में 9 सीटों पर जीत हासिल की थी.
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इस विजय अभियान को बीजेपी बढ़ाना चाहती है. दक्षिण में बीजेपी विस्तार चाहती है. तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश बीजेपी के लिए आज भी अभेद्द हैं.
संवैधानिक बदलावों को भी भुना रही बीजेपी
साल 2019 में बीजेपी ने 303 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेपी ने अपने चुनावी वादों को पूरा किया. बीजेपी ने संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द किया, तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित किया और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को पारित किया.
अब बीजेपी समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ रही है. बीजेपी शासित राज्यों में इसे लागू करने की कवायद शुरू है. विवाह, गोद लेने और विरासत को नियंत्रित करने वाला एक समान कानून पर बीजेपी विचार कर रही है. उत्तराखंड में तो समान नागरिक संहिता लागू हो रही है.
जन-सरोकार के मुद्दे आसान कर रहे बीजेपी की राह
बीजेपी साल 2019 में अपने पांच साल के कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड के साथ लोगों के पास गई थी. बीजेपी ने जनता से कहा कि कैसे इसकी नीतियों ने गरीबों, हाशिए पर रहने वालों और राजनीतिक मुख्यधारा से हाशिए पर धकेल दिए गए लोगों को सशक्त बनाया.
बीजेपी सब्सिडी वाले आवास और रसोई गैस, बैंक खाते और स्वास्थ्य बीमा जैसे मुद्दों को अपनी सफलता बनाकर पेश किया है. बीजेपी का दावा है कि उसके शासन में आर्थिक और सामाजिक असमानताएं खत्म हो गई हैं.
हिंदुत्व फैक्टर पर कितना है बीजेपी का जोर?
बीजेपी, खुलकर खुद को दक्षिणपंथी पार्टी कहती है. बीजेपी के नेता सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की राजनीति करते हैं. बीजेपी की हिंदुत्ववादी नीति, अब कोर टैलेंट के तौर पर उभर रहा है. शिवसेना जैसी पार्टियों ने अपने बेमेल गठबंधन की वजह से हिंदुत्व का टैग खुद से हटा लिया है.
बीजेपी ने विपक्ष के ध्रुवीकरण में सेंध लगाई है. अब कोई भी जाति या धर्म के लोग किसी पार्टी के कोर वोटर नहीं लग रहे हैं. बीजेपी दलितों की भी पार्टी है, पिछड़ों की भी पार्टी है और मुस्लिमों की भी. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि मुस्लिम महिलाएं भी बीजेपी की साइलेंट वोटर हैं, तभी बीजेपी को अल्पसंख्यक बाहुल सीटों पर भी जीत मिल रही है.
मजबूत विदेश नीति भी बीजेपी का है एजेंडा
बीजेपी विदेश नीति को भी अपनी कामयाबी बताती है. पार्टी ने विदेश नीति और आंतरिक सुरक्षा में खुद को साबित किया है. साल 2019 के पुलवामा हमले के बाद बीजेपी ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन वजहों से बीजेपी का वोट शेयर 33% से 37% तक बढ़ गया. बीजेपी ने 2024 में आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति, आतंकी फंडिंग पर एक्शन और लेफ्ट उग्रवाद को दमन करने का एजेंडा अपनाया है.
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मोदी मैजिक, हिंदुत्व या विकास, किस एजेंडे से पार लगेगी BJP की नैया?