डीएनए हिंदी: IMD Monsoon Update- देश में इस बार मानसूनी बारिश को लेकर तरह-तरह के अनुमान सामने आ रहे हैं. निजी वेदर एजेंसी स्काईमेट (Skymet) ने जहां इस बार सामान्य से कम बारिश की संभावना जताई थी, वहीं मंगलवार को भारतीय मौसम विभाग (Indian Meteorological Department) ने भी मानसून (Monsoon 2023) को लेकर पहला अनुमान जारी कर दिया है. IMD ने मानसून के तय समय यानी 1 जून तक ही आने की संभावना जताई है, लेकिन स्काईमेट के उलट देश में सामान्य मानसूनी बारिश रहने के आसार बताए हैं. हालांकि IMD ने भी माना है कि प्रशांत महासागर में बन रही अल-नीनो (El-Nino) की परिस्थितियां मानसून के दूसरे हाफ में बारिश को प्रभावित कर सकती हैं.
96% फीसदी तक रहेगी बारिश
IMD ने बताया है कि साल 2023 के मानसून सीजन में इस बार लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के 96% तक बारिश हो सकती है. 2023 के दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन की बारिश का MME पूर्वानुमान अप्रैल की प्रारंभिक स्थितियों के आधार पर तैयार किया गया है. हालांकि मौसम विभाग ने साथ ही यह भी कहा कि भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के ऊपर ला-नीना (La-Nina) की स्थिति न्यूट्रल पोजिशन में बदलने के आसार दिखाई दे रहे हैं, जो मानसून के दूसरे हाफ में अल-नीनो (El-Nino) में तब्दील हो सकती है.
India Meteorological Department (#IMD) forecasts normal monsoon for the current year. pic.twitter.com/wVjv5csVNS
— All India Radio News (@airnewsalerts) April 11, 2023
अल-नीनो हुआ प्रभावी तो घट जाएगी बारिश
अल-नीनो उस स्थिति को कहते हैं, जब भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्री पानी की सतह का तापमान कई डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है. यह कंडीशन हर 2 से 7 साल के बीच बनती है. इसके चलते भारत समेत पूरी दुनिया के वेदर पैटर्न पर प्रभाव पड़ता है. यदि मानसून के दौरान अल-नीनो प्रभावी हुआ तो इससे भारत में बारिश कम होगी, जो पहले से ही फरवरी में अचानक बेहद गर्म हुए मौसम और इसके बाद मार्च की बेमौसमी बारिश के कारण पीड़ित किसानों के लिए बड़ी परेशानी साबित होगी.
दूसरे हाफ में प्रभावी रहा अल-नीनो तो इन राज्यों में बिगड़ेगी हालत
मौसम विभाग ने मानसून के दूसरे हाफ में अल-नीनो के प्रभावी होने की संभावना जताई है. यदि ऐसा रहा तो देश के असली कृषि प्रधान राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश में सूखे जैसे हालात बनेंगे. साथ ही गुजरात और महाराष्ट्र में भी कम बारिश होगी. ऐसा हुआ तो देश में इस बार खरीफ की फसल में अन्न उत्पादन बड़े पैमाने पर घट सकता है.
स्काईमेट ने दिया था यह अनुमान
स्काईमेट ने सोमवार को अपना पूर्वानुमान जारी किया था, जिसमें अल-नीनो के प्रभावी होने की आशंका जताई गई थी. साथ ही इसके चलते स्काईमेट ने इस बार LPA के 90% से कम बारिश यानी सूखा पड़ने की 20 फीसदी संभावना होने की भविष्यवाणी की है. स्काईमेट ने साफ कहा था कि अधिक बारिश यानी LPA की 110% बारिश की कोई संभावना नहीं है. आगामी मानसून के दौरान 15% आसार सामान्य से अधिक बारिश के हैं, जबकि 25% संभावना सामान्य बारिश की है. सबसे ज्यादा 40% संभावना सामान्य से कम बारिश होने की है.
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CSE ने भी दिए थे अल-नीनो के संकेत
कुछ दिन पहले सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने भी साल 2023 के अल-नीनो (El-Nino) या एन्सो न्यूट्रल ईयर (ENSO-neutral year) साबित होने का अनुमान दिया था. उस अनुमान में सामान्य से 15 फीसदी तक कम बारिश होने के आसार जताए गए थे. हालांकि CSE ने उत्तरी ध्रुव से साल 2021-22 के मानसून सीजन की तरह राहत की हवाएं आने की संभावना जताई थी.
भारत में कब आता है मानसून
भारत में मानसून सीजन दक्षिण पश्चिम से आने वाली मानसूनी हवाओं से होने वाली बारिश को कहा जाता है. यह दक्षिण पश्चिम मानसून सीजन जून से सितंबर तक प्रभावी रहता है. मानसूनी हवाएं सामान्य तौर पर 1 जून तक केरल पहुंचकर बरसना शुरू कर देती हैं. इसके बाद 10 जून तक समूचे दक्षिण भारत को भिगोता हुआ यह पश्चिमी घाट यानी महाराष्ट्र पहुंच जाता है. इसके बाद 15 जून को मानसून मध्य भारत को भिगोना शुरू कर देता है यानी बिहार से लेकर मध्य प्रदेश तक मानसूनी बारिश होने लगती है. लगभग 1 जुलाई तक दिल्ली और 15 जुलाई तक समूचे भारत को मानसून बारिश से सराबोर कर देती हैं.
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