डीएनए हिंदी: मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच महीनों से जारी जंग, धीरे-धीरे थमने लगी थी लेकिन अचानक एक बार फिर राज्य में हिंसा ड़क गई. गुरुवार को सैकड़ों लोगों की भीड़ ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास पर हमला बोल दिया. सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच भड़की हिंसा में कई लोग घायल हो गए हैं. भीड़, दो छात्रों की हत्या और अपहरण को लेकर प्रदर्शन कर रही थी, तभी उनका टकराव सुरक्षाबलों के साथ हो गया. इंफाल घाटी में हिंसा की लपटें देखी गई हैं. जिन दो छात्रों की हत्या हुई है, वे मैतेई समुदाय के हैं.
मंगलवार से ही राज्य में विरोध प्रदर्शन हो रहा था लेकिन गुरुवार को यह प्रदर्शन हिंसक हो उठा. हिंसा में कई छात्र संगठन भी शामिल हैं. रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों पर भी नाराज भीड़ ने हमला बोल दिया. भीड़ ने एन बीरेन सिंह के आवास को जलाने की कोशिश भी की है.
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क्यों निशाने पर आया सीएम हाउस?
पूर्वी इंफाल के हिंगिंग इलाके में प्रदर्शनकारी गुरुवार देर रात बड़ी संख्या में जमा होने लगे. भीड़ मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक घर की ओर मार्च करने के बढ़ने लगी. सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को रोका, जिसके जवाब में भीड़ ने हमला बोल दिया. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे भीड़ को घर से 100 मीटर की दूरी पर रोकने में कामयाब हो गए.
क्यों फिर से सुलग उठा है मणिपुर?
मंगलवार को इंफाल में दो छात्रों की तस्वीरें सोशल मीडिया सामने आई थीं. ये स्टूडेंट 6 जुलाई से लापता थे. इनकी अपहरण के बाद हत्या हो गई थी. छात्रों की गुमशुदगी के बाद भीड़ आक्रोशित हो गई और लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. बुधवार को गुस्साई भीड़ ने मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी के मंडल कार्यालय में भी आग लगा दी. उसी दिन, मणिपुर के कई छात्र संगठनों ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में सुरक्षाबलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
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मणिपुर में छह छात्र संगठनों ने विरोध कर रहे छात्रों के अपहरण, हत्या और सुरक्षाबलों के एक्शन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने भारत-म्यांमार सड़क मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और राजमार्ग पर टायर जलाए. सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले और नकली बमों का सहारा लियात, जिसके जवाब में भीड़ ने सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाए.
क्या कह रहे हैं प्रदर्शनकारी?
विरोध प्रदर्शन स्थल पर प्रदर्शनकारी, 'हम दो छात्रों की क्रूर हत्या की निंदा करते हैं', हम न्याय चाहते हैं, केंद्रीय बल वापस जाओ, एनआरसी लागू हो जैसे नारे लगा रहे थे. भीड़ ने इंफाल पश्चिम जिले में डिप्टी कमिश्नर के कार्यालय में भी तोड़फोड़ की.
मणिपुर में हालिया विवाद की इनसाइड स्टोरी
मंगलवार को इम्फाल में दो मैतेई किशोरों के शव सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने के बाद बड़े पैमाने पर सार्वजनिक आक्रोश सामने आया. मणिपुर सरकार ने इंटरनेट सेवाओं को फिर से शुरू करने के दो दिन बाद ही राज्य में अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया.
जनजाति के टैग को लेकर तबाह हो रहा मणिपुर
मणिपुर में 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं. मैतेई समुदाय मांग कर रहा है कि उसे अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिले. पहाड़ी जिलों में इस मांग के खिलाफ आदिवासी एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था. इस मार्च के दौरान ही हिंसा भड़का है. मैतेई राज्य की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. नागा और कुकी सहित जनजातियां 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहती हैं.
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