डीएनए हिंदी: मणिपुर में हिंसा के बाद स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. लगतार बढ़ रहे विवाद की वजह से सरकार को नागरिकों की सुरक्षा का डर सता रहा है. प्रशासन ने हिंसाग्रस्त इलाकों में सख्ती बढ़ा दी है. राज्य की सुरक्षा के लिए सरकार ने 'शूट एट साइट' आदेश जारी किया है. आदेश के मुताबिक अगर इलाके में शरारती तत्व नजर आए तो उन्हें सुरक्षाबल देखते ही गोली मार सकते हैं. ऐसे आदेश बेहद संवेदनशील मामलों में जारी किए जाते हैं.

आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा इतनी बढ़ गई है कि हालात बेकाबू हो गए हैं. जगह-जगह हिंसा की लपटें सुलग रही हैं. मणिपुर सरकार ने तब जाकर शूट एट साइट का आदेश जारी किया है. 9,000 से ज्यादा लोगों को अलग-अलग गांवों से विस्थापित कर दिया गया है.

चप्पे-चप्पे पर तैनात सेना, असम राइफल्स के जवान

मणिपुर में आदिवासियों और बहुसंख्यक मेइती समुदाय के बीच हिंसा भड़की है. दंगा रोकने के लिए सेना और असम राइफल्स की 55 टुकड़ियां तैनात की गई हैं. सेना ने स्थिति बिगड़ने की स्थिति में तैनाती के लिए 14 टुकड़ियों को स्टैंडबाय पर रखा है.

इसे भी पढ़ें- Manipur Violence: मणिपुर हिंसा में ब्लेम गेम शुरू, कांग्रेस बोली BJP ने लगाई आग, पढ़ें मामले से जुड़ी 5 जरूरी बात

क्या होता है shoot at sight order?

शूट एट साइट का हिंदी में मतलब होता है कि देखते ही गोली मारने का आदेश. शूट एट साइट आदेश भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 144 के तहत राज्य सरकार जारी कर सकती है. यह आदेश संवेदनशील इलाकों में भड़की हिंसा को रोकने के लिए और उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए जारी किया जाता है.

बीजेपी के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार ने यही आदेश जारी किया है. धारा 144 के तहत इस आदेश को अमल में लाया जाता है. यह धारा कहती है, 'जो कोई भी, किसी भी घातक हथियार से लैस होकर, या ऐसी किसी भी चीज़ से, जिसे अपराध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, मौत का कारण बन सकता है, वह एक गैरकानूनी सभा का सदस्य है, उसे सजा दी जा सकती है.'  हालांकि किसी भी धारा में स्पष्ट तौर पर यह नहीं लिखा है कि किसी को देखते ही गोली मार दी जाए.

सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड विशाल अरुण मिश्र कहते हैं कि सीआरपीसी में कहीं इस बात का जिक्र नहीं है कि किसी के खिलाफ ऐसे आदेश जारी कर दिए जाएं. संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 21 में लिखा है, 'किसी भी व्यक्ति से 'विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया' द्वारा ही प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार छीना जा सकता है.'  शूट एट साइट इसका उल्लंघन है. यह आदेश प्रशासनिक स्तर पर सेल्फ डिफेंस की आड़ में लिए जाते हैं.

मानवाधिकार कार्यकर्ता और अधिवक्ता आनंद कुमार मिश्र कहते हैं कि ऐसे आदेश असंवैधानिक होते हैं. केवल आत्मरक्षा की स्थिति में संवेदनशील इलाकों में इसकी इजाजत सुरक्षाबलों को मिलती है. यह आदर्श नहीं अपवाद की स्थिति होती है.

अधिकारियों को पास सरकारी आदेश के बाद यह अधिकार हो जाता है कि वे उपद्रव से निपटने के लिए गोली मारने का आदेश जारी कर सकते हैं. आम जनता का इस आदेश पर कोई असर नहीं होता है. 

प्रशासन की ओर से जारी आदेश.

इसे भी पढ़ें- मणिपुर हिंसा: दिखते ही गोली मारने का आदेश जारी, पढ़ें क्या है बवाल का कारण और कैसे हैं मौजूदा हालात

बुधवार को हिंसा भड़कने के बाद से ही मणिपुर में हालात बेकाबू हो गया है. बहुसंख्यक मेटी समुदाय अनुसूचित जाति का दर्जा मांग रहा है. मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति (SC) की श्रेणी में शामिल करने की मांग का विरोध करने के लिए छात्रों के एक संगठन की ओर से बुलाए गए आदिवासी एकता मार्च में हिंसा भड़क गई थी. मणिपुर में हिंसा थम नहीं रही है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
Manipur violence What is shoot at sight order issued Why rigid security measures in Manipur
Short Title
मणिपुर हिंसा: क्या होता है शूट एट साइट ऑर्डर
Article Type
Language
Hindi
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
मणिपुर में हिंसा के बाद खराब हुए हालात. (तस्वीर-ANI)
Caption

मणिपुर में हिंसा के बाद खराब हुए हालात. (तस्वीर-ANI)

Date updated
Date published
Home Title

मणिपुर हिंसा: क्या होता है शूट एट साइट ऑर्डर, किन स्थितियों में प्रशासन ले सकता है ऐसा फैसला?