Mewar Throne Dispute: महाराणा प्रताप को सभी जानते हैं. हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप और उनके घोड़े चेतक के पराक्रम के सामने मुगल बादशाह अकबर की पूरी सेना परास्त हो जाने के किस्से भी हर किसी ने सुने हैं. वीर महाराणा प्रताप का परिवार अब आपस में ही संपत्ति के लिए टकरा रहा है. करीब 40 साल पहले शुरू हुआ मेवाड़ की राजगद्दी को लेकर विवाद अब फिर से जोर पकड़ गया है. एकतरफ उदयपुर महल में राजगद्दी पर बैठकर प्रतीकात्मक तौर पर मेवाड़ का राजकाज संभालने वाले अरविंद सिंह मेवाड़ हैं तो दूसरी तरफ उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ के बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ है, जो राजगद्दी पर अपना हक जमा रहे हैं. दोनों पक्षों के बीच यह विवाद चरम पर है. सोमवार को यह विवाद इस हद तक बढ़ गया था कि दोनों पक्षों के बीच पथराव हो गया था और तीन लोग घायल भी हो गए थे. हालांकि बुधवार को विश्वराज सिंह को उदयपुर महल में एंट्री मिलने और पारंपरिक धूणी के दर्शन करने की इजाजत मिलने से यह विवाद थमने के संकेत मिले हैं, लेकिन इसे लेकर अब भी हालात पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं. विश्वराज सिंह राजसमंद सीट से भाजपा विधायक हैं, जबकि अरविंद सिंह परिवार को कांग्रेस का करीबी माना जाता है. ऐसे में इस पारिवारिक विवाद को राजनीतिक एंगल भी मिलने लगा है.
क्या है यह विवाद और इसमें क्या हैं ताजा अपडेट, चलिए हम आपको 5 पॉइंट्स में सबकुछ समझाते हैं-
1- भागवत सिंह मेवाड़ के निधन से शुरू हुआ था विवाद
मेवाड़ राजघराने में विवाद की शुरुआत करीब 40 साल पहले 1984 में हुई थी, जब महाराणा प्रताप के सिसौदिया वंश के 75वें महाराणा भगवत सिंह का निधन हो गया था. भागवत सिंह के निधन के बाद मेवाड़ परिवार के महलों, किलों और मंदिरों का प्रबंधन करने वाली श्री एकलिंगजी ट्रस्ट का कंट्रोल उनके छोटे बेटे अरविंद सिंह के हाथ में आ गया था, जो मेवाड़ राजघराने के मौजूदा संरक्षक हैं. यह ट्रस्ट भगवत सिंह ने 1955 में गठित की थी. महेंद्र सिंह मेवाड़ को इस ट्रस्ट से बाहर रखा था. भगवत सिंह के विवाद के बाद अरविंद सिंह को कंट्रोल मिलने के साथ ही इस विवाद की शुरुआत हो गई थी, क्योंकि उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का दावा था कि बड़ा बेटा होने के चलते राजगद्दी का उत्तराधिकारी बनने का हक उनके पास है.
2- भगवत सिंह की वसीयत है विवाद का कारण
इस पूरे विवाद का कारण भगवत सिंह की वो आखिरी वसीयत है, जो उन्होंने नवंबर में निधन से कुछ दिन पहले 15 मई, 1984 को बनाई थी. श्री एकलिंगजी ट्रस्ट से बाहर रखे जाने के खिलाफ महेंद्र सिंह का अपने पिता के साथ कानूनी केस चल रहा था. इसके चलते अपनी आखिरी वसीयत में भगवत सिंह ने महेंद्र सिंह के पूरे परिवार को बहिष्कृत घोषित कर दिया था और छोटे बेटे अरविंद सिंह को ट्रस्ट के कामकाज का कंट्रोलर नियुक्त किया गया था. हालांकि भगवत सिंह के निधन के बाद महेंद्र सिंह ने खुद को 76वां महाराणा घोषित कर दिया था, लेकिन अरविंद सिंह मेवाड़ के साथ कानूनी केस चलने के कारण उन्हें उदयपुर राजमहल में एंट्री कभी नहीं मिली थी.
3- अब 40 साल बाद क्यों हो रहा है बवाल
महेंद्र सिंह का निधन इस साल हो गया है. इसके बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह ने महाराणा प्रताप के चित्तौड़गढ़ किले में मेवाड़ के 77वें महाराणा के तौर पर खून से राजतिलक कराकर अपना पारंपरिक राज्याभिषेक कराया है. विश्वराज सिंह ने इसके बाद अपने पिता की मौत का शोक भंग करने और महाराणा के तौर पर परंपरा पूरी करने के लिए नाथद्वारा रोड स्थित श्री एकलिंगनाथ जी मंदिर में दर्शन करने की कोशिश की है. साथ ही उन्होंने महाराणा के तौर पर गद्दी पर बैठने के बाद मेवाड़ सिटी पैलेस में पवित्र धूनी के दर्शन करने की भी बात कही. विश्वराज सिंह के इस कदम का विरोध अरविंद सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ कर रहे हैं.
4- सोमवार को क्यों हुआ था बवाल
अरविंद सिंह मेवाड़ ने श्री एकलिंगजी ट्रस्ट के अध्यक्ष के तौर पर पब्लिक नोटिस जारी कर विश्वराज के आने पर रोक लगा दी थी. उन्होंने प्रशासन को भी भेजी नोटिस की कॉपी में कहा था कि 25 नवंबर से केवल ट्रस्ट द्वारा अधिकृत लोग ही मंदिर में प्रवेश कर पाएंगे. इसके चलते विवाद की आशंका में मेवाड़ सिटी पैलेस के एंट्री गेट पर पुलिस भी तैनात कर दी गई थी. विश्वराज सिंह ने सोमवार को मंदिर में दर्शन कर पिता की मृत्यु का शोक भंग करने की परंपरा पूरी की थी, लेकिन उन्हें मेवाड़ सिटी पैलेस के गेट पर रोक दिया गया था. इसके चलते ही दोनों पक्षों के बीच पथराव हुआ था और हिंसा हुई थी. इस हिंसा के बाद विश्वराज धूणी के दर्शन की परंपरा पूरी किए बिना ही लौट गए थे.
5- बुधवार को कैसे मिला धूणी दर्शन के लिए प्रवेश
विश्वराज सिंह बुधवार को दोबारा मेवाड़ सिटी पैलेस पहुंचे, जहां उन्होंने पुलिस और जिला प्रशासन की मौजूदगी में पवित्र धूणी के दर्शन किए हैं. बताया जा रहा है कि इसके लिए पुलिस-प्रशासन ने विश्वराज सिंह और अरविंद सिंह के बेटे लक्ष्यराज सिंह के बीच समझौता कराया था. इसमें विश्वराज सिंह के धूणी दर्शन में कोई बाधा नहीं डाली जाने की बात कही गई थी. इसके बाद सिटी पैलेस के आसपास प्रशासन ने BNS की धारा 163 (IPC की धारा 144) लागू कर दी थी. वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में विश्वराज सिंह ने धूणी के दर्शन किए. इससे विवाद सुलझने की संभावना मानी जा रही है, हालांकि विश्वराज सिंह ने इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए विवाद के पूरी तरह खत्म नहीं होने के संकेत दे दिए हैं.
#WATCH | Udaipur, Rajasthan | BJP MLA from Rajsamand and newly crowned Maharana of Mewar, Vishvaraj Singh Mewar says, "On one side we are satisfied with the Darshan on the other side we are thinking that it would have been better if we had done all this without any problem... The… https://t.co/L31kskbqP3 pic.twitter.com/k908GS22qB
— ANI (@ANI) November 27, 2024
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