भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) के लिए प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. पहली लिस्ट में जहां बीजेपी ने 71 फीसदी सांसदों को दोबारा टिकट दिया था लेकिन दूसरी लिस्ट में ऐसा नहीं किया.
भारतीय जनता पार्टी ने 21 प्रतिशत सांसदों का टिकट काट दिया है. ज्याादतर उन्हीं सांसदों का टिकट कटा है, जिन्होंने बड़बोला तेवर अपनाया था या पार्टी के दिशा-निर्देशों से अलग रुख अख्तियार किया था.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के आंतरिक सर्वेक्षण में जिन उम्मीदवारों के बारे में नकारात्मक फीडबैक आई थी, पार्टी ने उन चेहरों से खुद ही दूरी बना ली. भोपाल की प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी.
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उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जमकर विवादित बयान दिए. पार्टी ने उन पर डायरेक्ट एक्शन तो नहीं लिया लेकिन अब टिकट बंटवारे में उन्हें बाहर की राह दिखा दी. प्रज्ञा सिंह से उनके लोकसभा के लोग भी खुश नहीं थे.
बीजेपी ने दिल्ली में प्रवेश वर्मा के साथ भी ऐसा किया. राजनीतिक तौर पर कम सक्रिय लोगों से भी पार्टी ने किनारा कर लिया. तभी डॉ. हर्षवर्धन की दिल्ली से छुट्टी हो गई.
बीजेपी मिशन 400 पर कर रही है काम
बीजेपी ने एनडीए के लिए 400 और अपने लिए 370 सीटों का लक्ष्य रखा है. जहां भी लग रहा है कि मौजूदा सांसद जीत नहीं पाएगा, बीजेपी एंटी इनकंबेंसी से बचने के लिए उम्मीदवार ही बदल दिया है.
किस आधार पर सांसदों को रिपीट नहीं कर रही बीजेपी?
BJP पिछले चुनाव में 303 सीटों पर जीत हासिल की थी. बीजेपी ने अब 67 सीटों का लक्ष्य रख लिया है. 195 कैंडिडेट की पहली लिस्ट में 33 सांसदों की छुट्टी हुई थी.
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प्रज्ञा ठाकुर, रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा की छुट्टी हुई है. दोनों लिस्टों में घोषित 267 नामों में ज्यादातर सांसदों पर फिर से भरोसा जताया गया है.
दोनों लिस्ट में 140 सांसदों को दोबारा मौका मिला, वहीं 67 सांसदों को विदा कर दिया गया. आइए जानते हैं क्या है चेहरों को रिपीट न करने की बड़ी वजह.
- जिन सांसदों ने विवादित बयान दिए, उनकी छुट्टी हो गई.
- जिन सांसदों की वर्क रिपोर्ट खराब थी, उनकी छुट्टी हो गई.
- जिन सांसदों के खिलाफ जनता थी, उनकी छुट्टी हो गई.
- पार्टी के दिशा निर्देशों से अलग काम करने वाले उम्मीदवारों की छुट्टी हुई.
क्या बीजेपी की मजबूरी है या मास्टर स्ट्रोक है?
बीजेपी ने जिन सांसदों की छुट्टी की है, वे या तो विवादित रहे हैं, या काम नहीं किया है. बीजेपी ने 370 सीटों का लक्ष्य रखा है, ऐसे में किसी भी सीट से बीजेपी समझौता नहीं करना चाहती है.
जहां लग रहा है कि उम्मीदवार कमजोर है या उसके विवादित बयानों की वजह से कई सीटें जा सकती हैं, उन्हें विदा कर दे रही है. यह बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक ही हो सकता है, क्योंकि बीजेपी सांसदों के चेहरे बदलकर एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से भी बच सकती है.
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BJP की दो लिस्ट में अब तक 21% सांसदों की छुट्टी, मास्टरस्ट्रोक या मजबूरी?