डीएनए हिंदी: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब से इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए में गए हैं, विपक्षी एकता की कमर टूट गई है. तृणमूल कांग्रेस खुलकर कांग्रेस के विरोध में आ गई है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि कांग्रेस बिना यह गठबंधन रीढ़विहीन है. ऐसे में कांग्रेस को ही नाराज करके क्षेत्रीय पार्टियां, इंडिया गठबंधन के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं. नीतीश कुमार के रहने तक कांग्रेस विरोधी भावना इंडिया गठबंधन में ऐसी नहीं थी, जितनी कि अब हो गई है. नीतीश के इंडिया गठबंधन में रहने के दौरान लोग मल्लिकार्जुन खरगे को अगुवा बनाने के लिए राजी हो गए थे, लेकिन अब सारे सियासी समीकरण पलट गए हैं.नीतीश कुमार ने इंडिया गठबंधन की कमर तोड़ दी है. अगर वह होते तो विपक्षी एकता इतनी बुरी तरह से प्रभावित नहीं होती. उन्होंने ममता बनर्जी और कांग्रेस को एक बैनर तले लाने की कोशिश की थी. इंडिया गठबंधन का भविष्य अधर में देखकर वह खुद निकल लिए. उन्हें साफ लगने लगा था कि इस गठबंधन का भविष्य अधर में है. एनडीए के मजबूत गठबंधन की नींव नहीं हिलाई जा सकती. इसीलिए उन्होंने एनडीए गठबंधन से ही हाथ मिला लिया. वह भी ऐसे वक्त में जब वे खुद प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे थे.
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ऐसे कैसे इंडिया गठबंधन में रहेंगी दीदी?
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में एकला चलो की राह पर बहुत आगे बढ़ गई हैं. पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी से उनका टकराव जगजाहिर है. ममता बनर्जी चुप रहने वाली नेताओं मे से नहीं हैं. तभी तो मुर्शीदाबाद में ममता बनर्जी ने जमकर हंगामा काटा है.
राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर सवाल उठाते हुए ममता बनर्जी ने कहा, 'आजकल फोटोशूट का नया चलन देखने में मिल रहा है. जो लोग कभी चाय के स्टॉल पर नहीं गए, अब वे बीड़ी कामगारों के साथ बैठकर फोटो खिंचवा रहे हैं. मुझे समझ नहीं आता कि कांग्रेस पार्टी को इतना अहंकार किस बात का है. मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस 300 में से 40 सीट भी जीत पाएगी या नहीं.'
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ममता बनर्जी ने कहा, 'कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बंगाल आई थी. लेकिन मुझे बताया तक नहीं गया. हम INDIA गठबंधन में हैं, लेकिन उसके बावजूद मुझे इसकी जानकारी नहीं दी गई. मुझे प्रशासन से इसके बारे में पता चला. हम उत्तर प्रदेश में चुनाव नहीं जीते. आप राजस्थान में भी चुनाव नहीं जीते. हिम्मत है इलाहाबाद में जाकर जीतकर दिखाओ, वाराणसी में जीतकर दिखाओ. हम भी देखें कि आपमें कितनी हिम्मत है.' इंडिया गठबंधन की अहम घटक होकर ममता बनर्जी का यह रुख हैरान कर देने वाला है.
क्षेत्रीय दलों की वजह से बिखर रहा इंडिया गठबंधन
समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को झटका देने के मूड में है. कांग्रेस भी इस गठबंधन को लेकर सीरियस नहीं है. अखिलेश जितनी सीटें ऑफर कर रहे हैं, उससे कांग्रेस का नेतृत्व खुश नहीं है. पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस औऱ आम आदमी पार्टी के बीच समझौता किसी नतीजे पर पहुंचने से रहा. पश्चिम बंगाल में कोई समझौता होने से रहा.
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बिहार से कांग्रेस को उम्मीद है लेकिन राष्ट्रीय जनता दल महत्वाकांक्षी है. झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में कांग्रेस पर सहयोगी सीट शेयरिंग को लेकर दबाव बना रहे हैं. दक्षिण भारत में लेफ्ट को साधना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. ऐसे में जो नेता इंडिया गठबंधन के पटल पर अब तक साथ नजर आ रहे थे, वे ही अब कांग्रेस से कन्नी काट रहे हैं. नीतीश कुमार के एक फैसले ने इंडिया गठबंधन की नींव हिला दी है.
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नीतीश कुमार ने कैसे हिलाई इंडिया गठबंधन की नींव, कैसे रुके बिखराव?