डीएनए हिंदी: साइबर अपराध (Cyber Crime) अब सिर्फ देश के भीतर ऑनलाइन फ्रॉड ट्रांजेक्शन या पासवर्ड हैकिंग तक ही सीमित नहीं रह गए हैं. साइबर अपराधी अब दुनियाभर के सुरक्षा तंत्र (Security System) पर खतरा बन गए हैं. कई देश पेशेवर साइबर हैकर्स को अच्छी रकम देते हैं जिससे दुश्मन देश की खुफिया जानकारियों में सेंध लगाई जा सके. साइबर अपराधियों के निशाने पर दुश्मन देशों का डेटाबेस (Database) रहता है.
दुश्मन देश अपने हैकरों के जरिए सिलसिलेवार साइबर अटैक (Cyber Attack) कराते हैं. इस अटैक से भले ही किसी की भी जान न जाए लेकिन कोई देश आर्थिक और वैश्विक तौर पर कंगाल भी हो सकता है. तकनीकी भाषा में जब कोई देश दूसरे देश पर ऐसे हमले करता है तब उसे साइबर वारफेयर या साइबर युद्ध कहते हैं.
क्या है साइबर युद्ध?
आमतौर पर किसी वेबसाइट या डेटाबेस पर एक के बाद लगातार किए जा रहे हमले को साइबर अटैक कहते हैं. हैकर्स लगातार साइबर स्ट्राइक करते हैं जिससे वेबसाइट क्रैश हो जाती है. हैकर्स वेबसाइट का खांचा ही बदल देते हैं. साइबर अटैक के जरिए किसी देश के बुनियादी ढांचे को हिलाया जा सकता है. मौजूदा वक्त में हर आंकड़े किसी सर्वर पर सेव हैं. हर खुफिया जानकारियों का कहीं डेटाबेस है.
क्या है Dark Web, कैसे अपराधी करते हैं इसका इस्तेमाल?
बैंक पूरी तरह से ऑनलाइन हो चुके हैं. कई युद्धक प्रणालियां भी ऑनलाइन ही चलाई जाती है. दुनिया के हर दिग्गज देशों ने मैनुअल ऑपरेटिंग से ऑनलाइन कंप्युटर बेस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम पर स्विच किया है. रक्षा, वित्त, इंटेलिजेंस और टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट, हर डिपार्टमेंट का एक डेटाबेस है, जिस पर हैकरों की नजर बनी रहती है.
कैसे साइबर अटैक कराते हैं दुश्मन देश?
हाल के दिनों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जब अलग-अलग देशों के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट हैक हो गई है. वहां दुश्मन देश अपने देश का निशान या किसी दूसरे दुश्मन देश का निशान लगा देते हैं. कई बार कुछ आपत्तिजनक उलट-फेर भी कर देते हैं. कितना भी स्ट्रॉन्ग सिक्योरिटी सिस्टम क्यों न लगाया गया हो, हैकर्स उसमें सेंध लगा ही लेते हैं. जब हैकिंग में कोई बड़ा देश शामिल हो स्थितियां और भी खतरनाक होती हैं.
किसी खास सर्वर पर गोपनीय जानकारियों को इकट्ठा भी किया जाता है जिससे जरूरत पड़ने पर तत्काल उसे एक्सेस किया जा सके. दुश्मन देशों की नजरें हमेशा इस बात पर टिकी रहती हैं कि कैसे गोपनीय जानकारियों में सेंध लगाई जाए और डेटाबेस हासिल किया जाए. ऑटोमैटेड सिस्टम पर बढ़ रही निर्भरता त्रासदी भी ला सकती है.
साइबर युद्ध में आम तौर पर किसी एक देश का हाथ होता है जो अपने दुश्मन देश पर साइबर अटैक करता है. कुछ मामलों में, हमले आतंकवादी संगठनों की ओर से भी किए जाते है. साइबर अटैक से अभी तक किसी भी तरह के भयावह परिणाम सामने नहीं आए हैं लेकिन जिस तरह से इसकी दखल बढ़ रही है, भविष्य में कुछ भी हो सकता है.
कितने तरह के होते हैं साइबर अटैक?
जासूसी
साइबर अटैक के जरिए दुश्मन देश सर्वर में सेंध लगाकर गोपनीय जानकारियां हासिल करने की फिराक में रहते हैं. डिफेंस सेक्टर की थोड़ी सी भी जानकारी किसी देश की सुरक्षा व्यवस्था को डैमेज कर सकती है. मौजूदा वक्त में हर फैसले को ऑनलाइन फीड किया जाता है. ऐसे में दुश्मन देश इसे हासिल करने की फिराक में रहते हैं.
डेटाबेस से छेड़छाड़
साइबर अटैक के अपराधी पूरा डेटाबेस मिटा सकते हैं. गोपनीय जानकारियां नष्ट कर सकते हैं. चूंकी वह उसे पहले ही हासिल कर चुके हैं इसलिए जब दूसरी बार कोई देश उन्हीं डेटा को रि-फीड करता है तो इसका इस्तेमाल वह गलत तरह से अपने फेवर में कर लेते हैं. साइबर अपराधी एक के बाद लगातार कई राउंड फिशिंग अटैक भी करते हैं.
DoS अटैक
डिनायल ऑफ सर्विस अटैक यानी DoS, बेहद संवेदनशील होता है. हैकर्स इसके जरिए कई फेक रिक्वेस्ट लॉगिन के वक्त भेजते हैं जिसकी वजह से वेबसाइट की हैंडलिंग मुश्किल हो जाती है. ऐसे हमले किसी संवेदनशील ऑपरेशन को बाधित करने के लिए किए जाते हैं.
अर्थव्यवस्था पर हमला
दुश्मन देश अपने हैकर्स के जरिए वित्तीय संस्थानों पर हमले कराते हैं. हैकर्स पूरे कंप्युटर ऑपरेटिंग सिस्टम को हैक कर लेते हैं जिसकी वजह से किसी देश का स्टॉक मार्केट, पेमेंट सिस्टम और बैंकिंग प्रणाली भी ध्वस्त की जा सकती है.
और कितने तरह के हो सकते हैं अटैक?
दुश्मन देश अपने टार्गेट देश को तबाह करने के लिए प्रोपेगेंडा वार शुरू कर सकते हैं. भारत के खिलाफ पाकिस्तान भी दुष्प्रचार का इस्तेमाल करता है. मुस्लिम समुदाय के झूठे दोहन की बात कभी पाकिस्तान की ओर से फैलाई जाती है तो कभी कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन की. ऐसे ही बड़े पैमाने पर दुष्प्रचार के जरिए हैकर्स अफवाह फैलाते हैं. साइबर अपराधी अब इलेक्ट्रिक पॉवर ग्रिड को भी निशाना बनाने की फिराक में रहते हैं. इसके जरिए अटैकर्स ग्रिड सिस्टम को ही फेल करा सकते हैं.
क्यों चर्चा में आया है साइबर युद्ध?
साइबर युद्ध एक बार फिर चर्चा में तब आया जब रूस ने यूक्रेन पर हमला बोला. बुधवार को रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ ही एक इंटरनेट कनेक्टिविटी कंपनी नेट ब्लॉक्स (NetBlocks) ने एक सर्वर आउटेज की शिकायत दर्ज कराई. बाद ट्वीट किया कि नया साइबर अटैक डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस(DDoS) की तरह है.
डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विस अटैक के जरिए किसी वेबसाइट पर ऑफलाइन दस्तक दी जा सकती है. इसे खास तौर पर डिजाइन किया गया है. यह तब तक काम कर सकता है जब तक कि क्रैश न हो. दावा किया जा रहा है यूक्रेन पर रूस ने साइबर अटैक भी किया है. वहीं खुद यूक्रेन ने युद्ध की आशंकाओं के बीच कहा था कि देश के हैकर साइबर वार में हिस्सा लें.
रूस-यूक्रेन की जंग में साइबर अटैकर्स भी शामिल
यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग में हैकर्स भी निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं. बड़े पैमाने पर रूसी हैकर्स ने यूक्रेन की सरकारी वेबसाइटों और बैंकों पर हमला किया. रूसी हैकर अब एक युद्ध के बीच स्थानीय लोगों को चुप कराने के लिए यूक्रेन में इंटरनेट के बेस इन्फ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया जा रहा है. रूस इस तकनीक में यूक्रेन से कई बहुत बेहतर है.
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रूस ने साइबर अटैक के जरिए यूक्रेन के कुछ हिस्सों में पहले ही इंटरनेट कनेक्टिविटी को काट दिया था. हाल ही में अमेरिका में जॉर्जिया टेक में इंटरनेट आउटेज डिटेक्शन एंड एनालिसिस प्रोजेक्ट ट्वीट कर इसकी शिकायत की थी. वैश्विक इंटरनेट मॉनिटर प्लेटफॉर्म नेट ब्लॉक्स ने ट्वीट किया था कि भारी विस्फोटों के सुनने के तुरंत बाद यूक्रेन-नियंत्रित शहर खारकीव में इंटरनेट ब्लॉक हो गया है. महज सेलफोन ही काम कर रहे हैं.
भविष्य के युद्ध में हैकर्स होंगे पेशेवर सैनिक!
अगर ऐसे ही साइबर अपराधों के जरिए दो देश आपस में उलझते रहे तो सैनिकों की जगह साइबर अपराधी ही असली जंग लड़ेंगे. सेना की जंग से कम खतरनाक साइबर युद्ध नहीं है. दुश्मन देशों में सेंध लगाने का काम कोई देश साइबर अपराधियों को भी सौंप सकता है. ऐसे में साइबर अपराधी नए जमाने के सैनिक भी कहे जा सकते हैं.
...तो बिना लड़े ही हार जाएगा साइब अटैक का शिकार देश!
इंटरनेट पर साइबर अटैक से पूरी दुनिया चिंतित है. जैसे ही रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया था, यूक्रेन की प्रमुख सरकारी वेबसाइटें बंद हो गईं थी. यूक्रेन के मंत्रिमंडल और विदेश मंत्रालय, शिक्षा और अन्य मंत्रालयों की वेबसाइटें डाउन हो गईं थीं. अमेरिकी अधिकारियों ने पहले ही चेताया था कि रूस यूक्रेन में सैन्य कार्रवाई के साथ साइबर ऑपरेशन का इस्तेमाल करेगा. सैन्य ऑपरेशन आज के वक्त में बिना इंटरनेट के नहीं किए जा सकते. अगर मौजूदा वक्त में किसी भी देश में इंटरनेट को बाधित कर दिया जाए तो एक निर्णायक लड़ाई वह देश खुद ही हार जाएगा.
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