डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के नवी मुंबई के खारगर में भारत भूषण पुरस्कार समारोह के दौरान पड़ी भीषण गर्मी से 12 लोगों की जान चली गई. सभा के बाद 120 लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ गए. स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि लोगों की मौत की वजह हीट-स्ट्रोक है. देश के कई शहरों में तापमान बढ़कर अब 40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है. दिल्ली से लेकर पूरे उत्तर भारत में भीषण लू का प्रकोप देखने को मिल रहा है. दिन के वक्त लू की वजह से लोगों का निकलना मुहाल हो गया है.
यूपी, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में हीट-स्ट्रोक का खतरा सबसे ज्यादा होता है. नवी मुंबई के खारगर में आयोजित कार्यक्रम में हुई मौतों के बाद देश में हीट-स्ट्रोक पर नई बहस छिड़ गई है. हीट वेव और हीट स्ट्रोक की वजह से लोगों की जान जा रही है. आइए समझते हैं कि कब तेज हवाओं को हीट स्ट्रोक या हीट वेव कहा जाता है.
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क्या है हीट-स्ट्रोक?
मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक अगर देश के मैदानी हिस्से में तापमान 40 डिग्री, तटीय हिस्से में 37 डिग्री और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री तक पहुंच जाए तो यह स्थिति हीट वेव कहलाती है. इन दिनों देश के कई हिस्सों की स्थिति ऐसी ही है. भीषण तापमान से लोग परेशान हैं. लोगों की जान जा रही है. आइए जानते हैं कि हीटस्ट्रोक से बचाव कैसे करें.
हीट-स्ट्रोक का शरीर पर क्या पड़ता है असर?
आयशा हेल्थ क्लीनिक के चीफ डॉक्टर शाहिद अख्तर कहते हैं कि हीट-स्ट्रोक या सन-स्ट्रोक लगातार शरीर पर पड़ रही धूप की वजह से होता है. इसके दौरान शरीर का तापमान बेहद गर्म हो जाता है. यह एक हेल्थ इमरजेंसी है, जिसके चपेट में आने के बाद तत्काल डॉक्टर से मिलना चाहिए. तेज हवाओं की वजह से धूप में भी पसीना नहीं निकलता है.
डॉ. शाहिद के मुताबिक वाष्पीकरण के जरिए शरीर की गर्मी कम नहीं हो पाती है तो शरीत का अंदरुनी तापमान बढ़ जाता है. अगर शरीर को ठंडक नहीं मिलती है तो शरीर का तापमान करीब 106 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ सकता है. इसकी वजह से मौत भी हो सकती है.
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डॉक्टर जावेद अख्तर के मुताबाकि हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीज में थकान, सिरदर्द, मतली, उल्टी, हाइपोटेंशन जैसे लक्षण नजर आते हैं. कुछ मरीजों की हृदयगति बढ़ जाती है. कुछ मरीज बेचैनी और प्यास से बेहाल हो जाते हैं. ऐसी स्थिति नजर आने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में मरीज को जाना चाहिए.
हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए क्या करें?
डॉ. शाहिद अख्तर के मुताबिक अगर लू या बेहद कड़ी धूप के दौरान मरीजों को बाहर नहीं निकलना चाहिए. अगर आपको गर्मी में बाहर जाना ही पड़े तो कुछ सावधानियां आपकी जिंदगी बचा सकती हैं.
- बार-बार पानी पीजिए. अपने साथ कोई मेटल बॉटल लेकर चलें. प्यास न लगने पर भी बार-बार पानी पीना चाहिए.
- हमेशा धूप में निकलते वक्त खुद को ढक लें. कॉटन के कपड़े आपके धूप से बचाते हैं. काले कपड़ों का इस्तेमाल कम से कम करें.
- बाहर निकलते वक्त हमेशा सिर ढक लें. छाता, टोपी और गमछा साथ लेकर लें.
- धूप में ज्यादा देर तक खड़े होने बचें. हीट-स्ट्रोक का सबसे ज्यादा असर तभी होता है, जब आप धूप में हों.
- डॉ. जावेद अख्तर के मुताबिक शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड ड्रिंक पीने से बचें. लगातार पानी पीजिए. नारियल पानी भी पीना फायदेमंद होता है.
- ORS घोल और ग्लूकोज जीवनरक्षक घोल कहे जाते हैं. इन्हें भी साथ रखें. स्थिति खराब होते ही तत्काल पी लें.
- डॉ. शाहिद कहते हैं कि खाना भूख से थोड़ा कम खाएं और अगर धूप में निकल रहे हैं तो टॉवेल को बार-बार गीला कर लें. यह आपको सीधे सूरज की गर्मी झेलने से बचाएगा.
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हीट-स्ट्रोक क्यों बन जाती है जानलेवा, बाहर निकलें तो कैसे रखें अपना ख़याल, क्या हैं सावधानियां?