डीएनए हिंदी: Science News- यूएन चीफ की तरफ से ग्लोबल वार्मिंग के अब ग्लोबल बॉयलिंग में बदलने की चेतावनी के बीच एक और डरावनी खबर सामने आ रही है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण इंसानों को लगातार खतरनाक महामारियों से जूझना पड़ सकता है. ये महामारियों कोरोनावायरस से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती हैं, जिनके बारे में पहले कभी सुना भी नहीं गया होगा. वैज्ञानिकों के मुताबिक, पृथ्वी के वातावरण के गर्म होने की स्पीड अब 'अलार्मिंग रेट' पर पहुंच गई है, जिसके चलते आर्कटिक जैसे बर्फीले इलाके 4 गुना ज्यादा तेजी से पिघल रहे हैं. इसके चलते आर्कटिक की बर्फ में हजारों साल से दफन माइक्रो-ऑर्गनिज्म (microorganism) दोबारा जिंदा होकर हर साल कई लाख करोड़ की संख्या में पृथ्वी के वातावरण में पहुंच रहे हैं. एक अनुमान के हिसाब से हर साल करीब 4 सेक्सोट्रिलियन माइक्रो-ऑर्गनिज्म पिघलती बर्फ से रिलीज हो रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसमें एक से बढ़कर एक खतरनाक रोग फैलाने वाले वायरस (Pathogen) हो सकते हैं.
सामने आई ताजा रिसर्च में किया गया है दावा
साइंस जर्नल PLOS Computational Biology में प्रकाशित स्टडी में ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघल रही बर्फ को लेकर डरावने दावे किए गए हैं. स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक, बेहद खतरनाक वायरस हजारों साल पहले आइस एज (Ice Age) के दौरान ग्लेशियर्स, आइस कैप्स और पेरमाफ्रॉस्ट (permafrost) में दफन हो गए थे, जो अब बाहर आ रहे हैं और इंसानों के लिए खतरा बन सकते हैं. वैज्ञानिकों ने एविडा नामक सॉफ्टवेयर के जरिये मौजूदा जैविक समुदायों में एक प्रकार के बेहद प्राचीन रोगजनक वायरस के रिलीज होने के असर को जानने की कोशिश की है. इसका नतीजा बेहद चौंकाने वाला रहा है. सामने आए नतीजों के मुताबिक, केवल एक सोए हुए रोगजनक वायरस का महज 1 फीसदी हिस्सा दोबारा जागने पर दुनिया भर में बड़े पैमाने पर पर्यावरणीय नुकसान हो सकता है. साथ ही यह वायरस इंसानों समेत सभी मौजूदा जीव-जंतुओं के विनाश का कारण बन सकता है.
वायरस की 'टाइम ट्रैवलिंग' होगी खतरनाक
वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा है कि हजारों साल से सोए वायरसों की ये 'टाइम ट्रैवलिंग' बेहद खतरनाक होगी. उन्होंने कहा, ऐसे टाइम ट्रैवलिंग करके आए आक्रमणकारी (वायरस) कब और कैसे आधुनिक समाज में घुस जाएंगे, यह स्पष्ट नहीं है. मौजूदा डेटा इन परिकल्पनाओं का परीक्षण करने के लिए बहुत दुर्लभ है. नए होने के कारण इन वायरस के जैविक अटैक रोग फैलाने वाले वायरसों के रूप में जैव विविधता और मानव समाज के लिए एक बड़ा संभावित खतरा बन सकते हैं. साथ ही ये बड़े पैमाने पर आर्थिक खर्च (इलाज, वैक्सीनेशन, रिसर्च आदि) बढ़ने का भी कारण बन सकते हैं. हालांकि शोधकर्ताओं ने रिपोर्ट में चर्चा के दौरान यह भी माना है कि उनकी खोज पूरी तरह अभूतपूर्व नहीं है.
हजारों साल पुरानी बर्फ से मिल चुके हैं 'जॉम्बी' बैक्टीरिया
India Today की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2003 में चीन के किंगहाई-तिब्बत पठार के ऊपर चढ़ी हजारों साल पुरानी बर्फ की परत में ड्रिल से छेद किया गया था. यहां के बर्फ सैंपल में करीब 750,000 साल पुराने बैक्टीरिया मिले थे. साल 2014 में रूस की करीब 30,000 साल पुरानी साइबेरियन पेरमाफ्रॉस्ट से वैज्ञानिकों को एक बेहद खतरनाक 'जॉम्बी' पिथोवायरस मिला था, जिसे सिबिरिक्म वायरस (Sibericum Virus) नाम दिया गया था. बता दें कि पेरमाफ्रॉस्ट धरती की उस परत को कहते हैं, जिस पर लाखों साल से लगातार बर्फ की परत चढ़कर जम गई हो.
हाल ही में वेस्टर्न साइबेरिया में एंथ्रेक्स वायरस का हमला सामने आया था. साल 2016 में हुए इस आउटब्रेक के कारण हजारों रेंडियर (एक तरह का साइबेरियाई हिरण) मारे गए थे और दर्जनों लोग भी बीमार हुए थे. एंथ्रेक्स वायरस के सामने आने का कारण साइबेरियन पेरमाफ्रॉस्ट में बैसिलस एन्थ्रेसीस बीजाणुओं का तेजी से पिघलना माना गया था.
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