डीएनए हिंदी: Pakistan News in Hindi- पाकिस्तान में इसी महीने की 8 तारीख को आम चुनाव हैं, जिसकी तैयारियों में राजनीतिक दल जोरशोर से लगे हैं. लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी PTI में खामोशी छाई है. वजह ये कि इमरान खान और पार्टी के ज्यादातर बड़े नेता जेल में बंद हैं और पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने PTI का चुनाव चिह्न भी रद्द कर दिया है. आपको बता दें कि पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान की पार्टी PTI का चुनाव चिन्ह BAT यानि बल्ला था. राजनीति के जिस बैट्समैन से उसका BAT ही छीन लिया गया हो, वो भला पिच पर बैटिंग क्या करेगा? कुछ यही हाल इमरान खान की पार्टी के उम्मीदवारों का है, जो अब BAT के चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ सकते. वे निर्दलीय उम्मीदवार बनकर मैदान में उतर गए हैं, जिन्हें अलग-अलग चुनाव चिह्न मिले हैं.
इमरान की पार्टी से क्यों छीना गया चुनाव चिह्न
चुनाव चिह्न छिनने का इमरान खान की पार्टी पर चुनाव में क्या असर होगा, इसका विश्लेषण करेंगे. लेकिन PTI से चुनाव चिन्ह छीन क्यों लिया गया, पहले आपको ये समझना होगा.
- PTI को पार्टी संविधान के तहत चेयरमैन पद के लिए आंतरिक चुनाव कराने थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
- पाकिस्तान के चुनाव आयोग में इसकी शिकायत हुई, जांच के बाद चुनाव आयोग ने PTI का चुनाव चिन्ह रद्द कर दिया.
- चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ PTI पेशावर हाईकोर्ट चली गई, जिसके बाद चुनाव चिन्ह फिर बहाल हो गया.
- फिर मामला पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां 13 जनवरी 2024 को PTI को झटका मिला और चुनाव आयोग के फैसले को सही माना गया.
- अब PTI का चुनाव चिह्न रद्द किया जा चुका है और PTI के नेता अलग-अलग चिह्न पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
चुनाव चिह्न की बहाली को लेकर PTI ने गुरुवार को जल्दबाजी में आंतरिक चुनाव कराने का फैसला किया, पत्र जारी कर बताया कि 5 फरवरी को चेयरमैन पद के लिए चुनाव होंगे, जिसके नतीजे 6 फरवरी को आएंगे. हालांकि बाद में यह फैसला टाल दिया गया, क्योंकि पाकिस्तान में 8 फरवरी को ही आम चुनाव हैं.
पूरी PTI ही मोस्ट वॉन्टेड बना दी गई है
PTI का आरोप है कि उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनावी रैलियां करने से रोका जा रहा है, जबकि बाकी राजनीतिक पार्टियां बिना किसी रोकटोक के प्रचार कर रही हैं. हालांकि, सवाल ये है कि इमरान की पार्टी के नेता निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर तो गये हैं लेकिन क्या इसका फायदा पार्टी को मिले पाएगा. दरअसल किसी भी चुनाव को जीतने के लिए प्रत्याशी के लिए जरूरी होता है चुनाव प्रचार. इसके लिए उम्मीदवार वोटर्स के बीच जाते हैं. लेकिन PTI के निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे ज्यादातर नेता अंडरग्राउंड हैं. इन नेताओं को डर है कि जिस तरह एक एक कर PTI के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है, कहीं अगला नंबर इनका ना आ जाए. ऐसा लगता है जैसे इमरान खान, बुशरा बीवी और शाह महमूद कुरैशी के बाद अब पाकिस्तान में पूरी PTI ही मोस्ट वॉन्टेड हो गई है. PTI नेताओं के डर की वजह 9 मई 2023 का घटनाक्रम है.
- 8 मई 2023 को इमरान खान को गिरफ्तार किया गया था, इसके अगले दिन 9 मई को PTI नेताओं और कार्यकर्ताओं देश में जबरदस्त हिंसा और आगजनी की थी.
- PTI नेताओं की अगुवाई में कार्यकर्ताओं ने सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया था, कई बड़े नेताओं को केस दर्ज गिरफ्तार किया गया.
- PTI के ज्यादातर निर्दलीय उम्मीदवारों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं, इन नेताओं को गिरफ्तारी का डर सता रहा है.
PTI का बड़ा चेहरा इमरान खान हैं, जो बीते 6 महीने से जेल में बंद है। पार्टी का चुनाव चिन्ह रद्द हो चुका है. ऐसे में नए अस्थायी चुनाव चिन्ह पर PTI नेताओं के लिए पार्टी को वर्ष 2018 जैसी मजबूती दे पाना आसान नहीं होगा.
कैसे होता है पाकिस्तान में आम चुनाव
- पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में कुल 342 सीटे हैं, इनमें से 272 सीटों पर सीधे सांसदों का चुनाव होता है.
- पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में रिजर्व 70 सीटों में से 60 महिलाओं के लिए जबकि 10 सीटें अल्पसंख्यकों के लिए हैं.
- आरक्षित सीटों का बंटवारा राजनीतिक दलों के बीच सीट जीतने के प्रतिशत के आधार पर किया जाता है.
- वर्ष 2018 में PTI ने 116 सीटों पर जीत दर्ज की थी, तब उसे रिजर्व सीटों में से 33 सीट मिली थी.
ऐसे में अगर PTI के निर्दलीय चुनाव लड़ रहे नेता बहुमत हासिल भी कर लें, तब भी इमरान की पार्टी के लिए सरकार बनाना आसान नहीं होगा. हालांकि खबर है कि इमरान की पार्टी के नेता देश के छोटे दलों के संपर्क में है ताकि जीतने के बाद छोटे दल में शामिल होकर रिजर्व सीटों का फायदा ले सकें.
दिलचस्प हो गए हैं पाकिस्तान के चुनाव
जो राजनीतिक घटनाक्रम पाकिस्तान में हो रहा हैं, उसने पाकिस्तान के चुनावों को दिलचस्प बना दिया है. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान भ्रष्टाचार विरोधी क़ानून के तहत गिरफ़्तार किये गए थे. इसी कानून के तहत कभी उन्होंने शहबाज़ शरीफ़ को जेल भिजवाया था. लेकिन वक़्त कुछ ऐसा बदला कि शहबाज़ शरीफ़ जेल से निकल कर सीधा पीएम की कुर्सी तक पहुंचे, जबकि इमरान ख़ान प्रधानमंत्री की कुर्सी से जेल पहुंच चुके हैं.
इमरान की गैरमौजूदगी से किसे ज्यादा लाभ?
पाकिस्तान की राजनीति में 2 परिवारों का दखल रहा है. एकतरफ है जरदारी Family की Pakistan Peoples Party यानि बेनजीर भुट्टो, आसिफ अली जरदारी और बिलावल भुट्टो. दूसरी तरफ है पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज यानि नवाज शरीफ, शहबाज़ शरीफ और मरियम नवाज. तीसरी तरफ पूर्व पीएम इमरान खान हैं, जो अगस्त 2023 से जेल में बंद हैं. इमरान के जेल में रहने से सबसे ज्यादा फायदा पाकिस्तान मुस्लिम लीग का है यानि नवाज़ शरीफ का. पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव है. ऐसे माहौल में इमरान का जेल में रहना ऐसा है जैसे नवाज शरीफ के दोनों हाथों में लड्डू होना.
नवाज शरीफ को मिलेंगे 5 फायदे
- पहला फायदा: इमरान के जेल में बंद रहने से वो चुनाव प्रचार नहीं कर पाएंगे. इसका फायदा नवाज शरीफ को होगा.
- दूसरा फायदा: नवाज शरीफ की पार्टी चुनाव प्रचार में इमरान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रही है. जिसका फायदा नवाज को हो सकता है.
- तीसरा फायदा: आम चुनाव में नवाज के सामने कोई दूसरा बड़ा चेहरा नहीं है, इसका फायदा भी नवाज शरीफ को ही मिलेगा.
- चौथा फायदा: PTI के नेता अब निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, उनके पास PTI का चुनाव चिन्ह BAT नहीं है. इसका फायदा भी नवाज शरीफ की पार्टी को मिलेगा.
- पांचवां फायदा: PTI नेताओं के निर्दलीय चुनाव लड़ने से आरक्षित 70 सीटों का फायदा भी नवाज शरीफ की पार्टी को ही मिलेगा.
नवाज शरीफ के पाकिस्तान लौटने से इस मुल्क की राजनीति में नया मोड़ आया है, जिसमें नवाज को आर्मी का भी पूरा सपोर्ट मिल रहा है. पाकिस्तान में पहले से लिखी जा चुकी स्क्रिप्ट के मुताबिक ही काम हो रहा है.
चुनाव आयोग को बिजली की ज्यादा चिंता
बाकी देशों की तरह पाकिस्तान में भी चुनाव हैं. यहां होने वाले चुनाव में इस बार 12 करोड़ 80 लाख मतदाता वोट करेंगे, जिसके लिए 90 हज़ार से ज्यादा वोटिंग सेंटर्स बनाए जाएंगे. वैसे जब भी किसी देश में चुनाव होता है, तब उस देश के चुनाव आयोग की कई चिंताएं और जिम्मेदारियां होती हैं. मुख्यतौर पर चुनाव आयोग की जिम्मेदारी-
- देश में ईमानदारी से निष्पक्ष चुनाव करवाना.
- चुनाव में किसी भी गड़बड़ी पर नज़र रखना.
- किसी भी तरह के चुनावी भ्रष्टाचार को रोकना.
- शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव आयोजित करना होती है.
इसके उलट पाकिस्तान में अलग ही खेल चल रहा है. पाकिस्तान के चुनाव आयोग की सबसे बड़ी चिंता बिजली है. ECP को चिंता है कि कहीं चुनाव के दिन यानी 8 फरवरी को पाकिस्तान में बत्ती गुल ना हो जाए. इसके लिए पाकिस्तान के मुख्य चुनाव आयुक्त सुल्तान राजा ने Caretaker प्रधानमंत्री अनावरुल हक काकर को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि देश में 7 और 8 फरवरी को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जाए. इसके लिए प्रधानमंत्री अपने कार्यालय और संबंधित विभाग को निर्देशित करें ताकि देश में चुनाव बिना किसी दिक्कत के कराए जा सकें.
मुख्य चुनाव आयुक्त की तरफ से लिखा गया है, कि बिजली की आपूर्ति सभी मतदान केंद्र, रिटर्निंग अधिकारियों के कार्यालय, ECP के सभी ऑफिस में की जाए. भारत की तरह पाकिस्तान में चुनाव EVM से नहीं, बल्कि बैलेट पेपर से होंगे. पाकिस्तान के मुख्य चुनाव आयुक्त को बिजली कटौती की चिंता इसलिए सता रही है, कि कहीं बिजली गुल हो गई तो नया संकट खड़ा हो जाएगा. क्योंकि, इन दिनों पाकिस्तान भारी बिजली संकट से गुजर रहा है. हालात इतने खराब हैं कि 10-10 घंटे बिजली कटती है. ऐसे में इतने लंबे समय के लिए बिजली गुल हुई, तो चुनाव आयोग का डब्बा ही गुल हो जाएगा.
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