डीएनए हिंदी: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक या सीपीआई (Consumer Price Index or CPI) आमतौर पर उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली अधिकांश सामान्य वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को एकत्रित करके अर्थव्यवस्था में खुदरा मुद्रास्फीति को मापने वाला एक सूचकांक है. इसे बाजार टोकरी भी कहा जाता है, सीपीआई की गणना भोजन, आवास, परिधान, परिवहन, इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics), चिकित्सा देखभाल, शिक्षा आदि सहित वस्तुओं की एक निश्चित सूची के लिए की जाती है.मालूम हो कि मूल्य डेटा समय-समय पर इकठ्ठा किया जाता है और इस तरह अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का स्तर (Inflation levels in an economy) कैलकुलेट करने के लिए सीपीआई का इस्तेमाल किया जाता है. इसका उपयोग जीवन यापन की लागत की गणना के लिए किया जा सकता है. इससे यह भी जानकारी मिलती है कि एक उपभोक्ता मूल्य परिवर्तन के बराबर होने के लिए कितना खर्च कर सकता है.
बता दें कि भारत में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े केन्द्र सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय मासिक आधार पर प्रतिमाह जारी करता है. साथ ही जनवरी 2015 में आधार वर्ष में हुए सुधार के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का नवीनतम आधार वर्ष 2012 को माना जाने लगा है.
ध्यान रहे WPI या थोक मूल्य सूचकांक से CPI बिलकुल अलग है, जो थोक स्तर (wholesale level) पर मुद्रास्फीति को मापता है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कैसे मदद करता है?
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) और अन्य सांख्यिकीय एजेंसियां (statistical agencies) सीपीआई का अध्ययन करती हैं ताकि विभिन्न वस्तुओं के मूल्य परिवर्तन को समझ सकें और मुद्रास्फीति पर नजर रख सकें. सीपीआई मजदूरी, वेतन और पेंशन (pensions) के वास्तविक मूल्य, देश की मुद्रा की क्रय शक्ति (Purchasing Power) और कीमतों को विनियमित करने जैसी चीजों को समझने में भी सहायक सूचक है. ऐसे में अर्थशास्त्री लोगों के खरीद पैटर्न, सबसे अधिक खरीदी गई वस्तुओं और दैनिक खर्चों पर घरों का सर्वेक्षण करके डेटा इकठ्ठा करते हैं.
भारत में CPI का रखरखाव कौन करता है?
भारत में चार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्याएं हैं जिनकी गणना की जाती है और ये इस प्रकार हैं:
- औद्योगिक श्रमिकों के लिए सीपीआई (IW)
- कृषि मजदूरों के लिए सीपीआई (AL)
- ग्रामीण मजदूरों के लिए सीपीआई (RL) और
- शहरी गैर-मैनुअल कर्मचारियों के लिए सीपीआई (UNME).
हालांकि इनमें से सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सीपीआई (UNME) डेटा एकत्र करता है और इसे संकलित करता है बाकि तीन श्रम मंत्रालय में श्रम ब्यूरो इकठ्ठा करता है.
CPI की कैलकुलेशन कैसे की जाती है?
सीपीआई (Consumer Price Index) की गणना एक आधार वर्ष के सन्दर्भ में की जाती है जिसका इस्तेमाल बेंचमार्क के तौर पर किया जाता है. मूल्य परिवर्तन उस वर्ष से संबंधित है. याद रखें, जब आप सीपीआई की गणना करते हैं तो ध्यान दें कि 1 वर्ष में टोकरी की कीमत को पहले आधार वर्ष के बाजार टोकरी की कीमत से विभाजित करना होता है फिर इसे 100 से गुणा किया जाता है.
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक फॉर्मूला
CPI = (टोकरी की लागत को आधार वर्ष में टोकरी की लागत से विभाजित किया जाता है) 100 . से गुणा किया जाता है
सीपीआई के वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन का उपयोग मुद्रास्फीति का आकलन करने के लिए भी किया जाता है. भारत में, सीपीआई (IW), सीपीआई (AL) और सीपीआई (RL) की करेंट सीरीज के आधार वर्ष क्रमशः 1982, 1986-87 और 1984-85 हैं.
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CPI Inflation: क्या होता है CPI, कैसे की जाती है उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की कैलकुलेशन?