डीएनए हिंदी: उपभोक्ता के साथ किसी भी प्रकार की ठगी ना हो इसको लेकर विज्ञापनों की प्रमाणिकता की जांच करने वाली संस्था ‘एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (ASCI) और भी ज्यादा सख्त हो गया है. एएससीआई (ASCI) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) के तहत सभी विज्ञापनदाता, विज्ञापनकर्ताओं को भ्रामक जानकारी वाले प्रचार से बचने की सलाह दी है. दरअसल यह सख्त कदम उपभोक्ताओं की बढ़ती शिकायतों को लेकर उठाया गया है.
बढ़ती उपभोक्ता शिकायतों को लेकर सरकार का एक्शन प्लान
- सरकार सभी शिकायतों को वर्गीकृत कर रही है.
- एक क्षेत्र या सेवा से जुड़ी शिकायत को इकठ्ठा कर एक मुश्त एक्शन की तैयारी
- क्षेत्र विशेष से जुड़े उद्योगों, संस्था और संगठनों के साथ पूर्ण निपटान की कोशिश
- फिलहाल 10 मई को App Based Taxi Aggregaters को बुलाया गया है
- Consumer Helpline, Social Media, Toll free number समेत सभी प्लेटफॉर्म से मिली शिकायत को इकठ्ठा कर सरकार ने सभी संबंधित कंपनियों से जवाब मांगा है.
- जल्द ही अन्य क्षेत्रों में मिली शिकायत पर भी एक्शन लिया जाएगा
ग्राहकों के अधिकार
नए उपभोक्ता कानून में कई बड़े बदलाव किए गए हैं. नए उपभोक्ता कानून लागू होने के बाद कंपनियों और उनके विज्ञापन करने वाले कलाकारों की जवाबदेही पहले से ज्यादा हो गई है. ऐसे में उपभोक्ता अब पहले से ज्यादा सशक्त होकर खरीदारी कर सकते हैं. सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (Consumer Protection Act, 2019) के ई-कॉमर्स कंपनियों को भी शामिल किया है.
ग्राहकों के लिए 10 बड़ी बातें :
- कहीं भी दर्ज कर सकते हैं शिकायत- नए नियम के तहत अब उपभोक्ता किसी भी कमिशन में शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जबकि पहले ऐसा नहीं था. केस वहीं दर्ज होता था जहां सामान बनाने वाले या सर्विस देने कंपनी का दफ्तर होता था.
- सेलिब्रिटी को भी देना होगा जवाब- अब भ्रामक विज्ञापन करने पर सिलेब्रिटीज के लिए भी सजा और जुर्माने का प्रावधान लागू किया गया है. ऐसे में सेलिब्रिटीज अब सोच समझकर विज्ञापनों का चयन करेंगे. पहले भ्रामक विज्ञापनों के लिए सेलिब्रिटी की जवाबदेही तय नहीं थी.
- ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां भी शामिल- नए कानून में ई-कॉमर्स कंपनियों को शामिल किया गया है. यानी अब ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को उत्पाद या सेवा के लिए कस्टमर केयर के सहारे बैठने की ज़रूरत नहीं, अपनी शिकायत और जगह भी दर्ज कर सकते हैं.
- विक्रेता भी दायरे में- अब बेचने वाला भी इस कानून के दायरे में होगा. अगर कोई दुकानदार सामान को तय एमआरपी (MRP) से ज्यादा पर बेच रहा है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है.
- मिलावट खोरी पर नकेल कसने की तैयारी- अब खाने की चीजों को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है. यानी खाने-पीने की चीजों में मिलावट होने पर कंपनियों पर जुर्माना और जेल का प्रावधान है. मिलावट के मामले में 6 महीने की सजा, जबकि मिलावट के चलते ग्राहक की मौत पर उम्रकैद की सजा हो सकती है.
- ग्राहकों के लिए अब प्रोडक्ट लायबिलिटी- पहले किसी खराब उत्पाद पर सिर्फ उसकी तय रकम और थोड़ा हर्जाना मिलता था जो कई मामलों में तो तय ही नहीं थी. लेकिन अब इसका दायरा बढ़ाकर प्रोडक्ट लायबिल्टी तय कर दी गई है.
- बड़े मामलों में जिला स्तर पर काम हो सकता है- पहले जिला स्तर पर 20 लाख रुपये तक, राज्य स्तर पर एक करोड़ रुपये तो वहीं इससे ज्यादा रकम के मामलों की शिकायत राष्ट्रीय स्तर पर सुनवाई की जा सकती थी. अब जिला आयोग का मूल आर्थिक क्षेत्र 1 करोड़ तक हो गया है, 10 करोड़ तक की धनराशि के मामले राज्य आयोग सुनेगा जबकि इससे ज्यादा मूल्यों के मामले की शिकायत राष्ट्रीय स्तर पर अपील कर सकते हैं.
- कंपनियों के खिलाफ क्लास एक्शन सूट- अगर एक कंपनी के खिलाफ उसके उत्पाद की अलग-अलग मामले कई जगह हैं तो अब बड़ी-बड़ी कंपनियों को भारत में भी क्लास एक्शन सूट से डरना होगा. क्लास सूट के अंतर्गत एक जैसे मामलों का सामना कर रहे निवेशकों को एक साथ आने और एक मुकदमे में शामिल होने का मौका दिया जाता है.
- मीडिएटर बनेगा विभाग- ग्राहक मध्यस्थता सेल का गठन किया गया है, अब दोनों पक्ष आपसी सहमति से मध्यस्थता का विकल्प चुन सकते हैं.
- उपभोक्ता आयोग- कंज्यूमर फोरम को और सुदृढ़ बनाने के साथ ही इसे कंस्यूमर कमीशन कर दिया गया है.
ग्राहक पहले से और ताकतवर हुआ
- ग्राहक को सूचना का अधिकार: इसके तहत वह उत्पाद अथवा सेवा की जानकारी पा सकता है. जैसे वस्तु की मात्रा, क्षमता, गुणवत्ता, शुद्धता, स्तर और मूल्य, के बारे में जानकारी.
- समस्या या परेशानी की सुनवाई: नए कानून में ग्राहकों को सुनवाई का अधिकार प्राप्त है. यानी शॉपिंग के दौरान शोषण के विरुद्ध वह केस कर सकता है और उसकी सुनवाई की जाएगी.
- ग्राहकों को शिकायतों के निपटारे का अधिकार: कंपनी के लिए ग्राहक की किसी भी सममस्या या असुविधा का निवारण करना अनिवार्य बनाया गया है.
- सुरक्षा का अधिकार: अगर किसी उत्पाद या सेवा से ग्राहक की जिंदगी को खतरा होता है तो ऐसे में उसे सुरक्षा का अधिकार है. जैसे तेजाब से लोगों की जिंदगी को खतरा होता है तो ऐसे में ग्राहकों को इससे सुरक्षा का अधिकार मिला हुआ है.
- सेवा या उत्पाद के लिए दबाव नहीं डाल सकती कंपनी: ग्राहक पर दबाव डालकर या जबरन खरीदारी नहीं करवाई जा सकती. जबतक ग्राहक आश्वस्त नहीं हो जाता और वह वस्तु को जांच-परख न ले उसे जबरन खरीदारी के लिए नहीं कहा जा सकता.
- बढ़ा चढ़ा कर विज्ञापन देने वाले जाएंगे जेल: विज्ञापनों की प्रमाणिकता की जांच करने वाली संस्था ‘एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (ASCI) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 (Consumer Protection Act 2019) ने सभी विज्ञापनदाता, विज्ञापनकर्ताओं को भ्रामक जानकारी वाले प्रचार से बचने की सलाह दी है. ASCI ने उम्मीद जताई है कि नए अधिनियम से भ्रामक विज्ञापनों पर महत्वपूर्ण असर पड़ेगा. ASCI, प्रिंट और टीवी पर निगरानी के साथ जल्द ही डिजिटल मीडिया पर दिखने वाले संभावित भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी शुरू करेगा. इस नए कानून के तहत कंज्यूमर्स अपनी शिकायतों को उस जिला अथवा राज्य उपभोक्ता आयुक्त के यहां दर्ज करा सकते हैं, जहां वे रहते हैं, बजाय इसके कि जहां से उन्होंने उपरोक्त प्रॉडक्ट/सर्विस खरीदा था.
उपभोक्ता कैसे और कहां करें शिकायत
आप अपनी शिकायत रजिस्टर करने के लिए 1800-11-4000 या 14404 या 1915 पर कॉल कर सकते हैं. इसके अलावा 8130009809 पर SMS कर सकते हैं. वहीं NCH मोबाइल एप्लीकेशन के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. साथ ही UMANG मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.
गूगल पर हमारे पेज को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें. हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.यह भी पढ़ें: Elon Musk ने मेट गाला 2022 में Twitter को लेकर कही बड़ी बात, बोले- इसे और एंटरटेनिंग बनायेंगे
- Log in to post comments
Consumer Rights: दुकानदार नहीं सुनते बात या कंपनी की सर्विस से नहीं हैं संतुष्ट, यूं करें शिकायत, होगा तुरंत ऐक्शन