डीएनए हिंदी: भारतीयों के लिए 26 नवंबर काफी अहम दिन होता है क्योंकि इसी दिन देश की संविधान सभा (samvidhan divas ) ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था. हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया. देश में संविधान दिवस (Constitution Day) मनाने का सिलसिला ज्यादा पुराना नहीं है. साल 2015 में सरकार ने "भारतीय नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों" को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया. यह निर्णय था 26 नवंबर को संविधान दिवस (Indian constitution day) के रूप में स्थापित करना. यह फैसला संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती पर लिया गया था. संविधान में जहां एक ओर मौलिक अधिकार नागरिकों की ढाल बन गए हैं वहीं दूसरी ओर मौलिक कर्तव्य हमें हमारे दायित्वों की याद दिलाते हैं. संविधान से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं जो शायद आपको भी ना मामूल हो इसलिए इतिहास के पन्नों को पलटे हुए आज हम आप सभी के लिए भारतीय संविधान से जुड़ी कई अहम जानकारी लेकर आएं हैं
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संविधान सभा की पहली मीटिंग कब हुई?
संविधान सभा (constituent assembly) की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली में बुलाई गई. मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया और अलग से पाकिस्तान बनाने की मांग पर जोर दिया. इसलिए इस बैठक में केवल 211 लोगों ने ही भाग लिया था. इसी दिन कैबिनेट मिशन के दिए गए ढांचे के आधार पर संविधान सभा का गठन भी किया गया. डॉ. सच्चिदानंद को बैठक में संविधान सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया पर ठीक 2 दिन बाद 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद (Dr Rajendra Prasad) अध्यक्ष बने और एच.सी. मुखर्जी को संविधान सभा के उपाध्यक्ष के रुप में चुना गया. संविधान बनाने वाली संस्था का चुनाव प्रांतीय विधानसभा ने तैयार किया. इसमें 389 सदस्य थे जिनमें 93 देसी रियासतों से और 296 ब्रिटिश भारत से थे.
संविधान सभा के मुख्य कार्य
जब संविधान सभा का गठन किया गया तो उनके सामने कई बड़ी चुनौतियां थी लेकिन इन सबके बावजूद संविधान सभा ने कई महत्वपूर्ण कार्यों का निर्वहन किया जैसे कि संविधान का निर्माण, कानून बनाना और निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल होना आदि. इसके अलावा 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया, मई 1949 में ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता को स्वीकारा और अनुमोदित किया. संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना. उसके बाद 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत को अपनी स्वीकृति दी.
कैसे बना भारतीय संविधान ?
अक्सर ये कहा जाता है कि डॉ. भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान के निर्माता हैं पर यह एक अधूरा तथ्य है. डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान में न्याय, बंधुत्व और सामाजिक-आर्थिक लोकतंत्र के भाव को स्थापित करने में मुख्य भूमिका जरूर निभाई पर वे संविधान के अकेले निर्माता या लेखक नहीं थे. प्रारूप समिति में डॉ भीमराव अंबेडकर के अलावा 6 सदस्य और थे जिसमें अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, एन. गोपालस्वामी, के.एम. मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला, बी.एल. मित्तर और डी.पी. खेतान के नाम शामिल हैं.
29 अगस्त 1947 को अपनी पहली बैठक में ड्राफ्टिंग कमेटी ने डॉ बीआर अंबेडकर को अपना अध्यक्ष चुना था. अक्टूबर 1947 के अंत में मसौदा समिति ने संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राव के तैयार किए गए संविधान के प्रारूप की जांच शुरू की. जिसमें कई बदलाव किए गए और 21 फरवरी 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष को संविधान का ड्राफ्ट प्रस्तुत किया.
संविधान सभा में अधिकांश बहसें प्रारूप समिति के तैयार किए गए ड्राफ्टिड कॉन्स्टिट्यूशन के इर्द-गिर्द घूमती रहीं. संविधान सभा की 166 बैठकों में से 114 तो केवल संविधान के मसौदे पर बहस करने में बीती. 26 नवंबर 1949 को संविधान की ड्राफ्टिंग पूरी हुई और 26 जनवरी 1950 में इसे विधिवत रुप से भारत में लागू कर दिया गया.
इन 10 देशों से हैं भारतीय संविधान का खास रिश्ता
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है. दुनिया के लगभग 60 देशों के संविधानों का अध्ययन करने के बाद इसमें 10 देशों से सर्वश्रेष्ठ कानूनी प्रावधान, नियम, व्यवस्थाएं और अधिकार शामिल किए गए. आजादी के बाद से पिछले सात दशकों में समय-समय पर जरूरत पड़ने पर संविधान में कई संशोधन भी किए गए. आइए नीचे दिए गए ग्राफिक्स की मदद से समझते हैं कि भारतीय संविधान में किस देश से क्या लिया गया है.
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जानिए 26 नवंबर को ही क्यों मनाया जाता है संविधान दिवस और भारतीय संविधान से जुड़ी अहम बातें