डीएनए हिंदी: देश की नया संसद भवन बनकर पूरी तरह से तैयार है. 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस भवन का उद्घाटन करने वाले हैं. नई संसद में चोल साम्राज्य से जुड़े ऐतिहासिल प्रतीक सेंगोल को भी रखा जाएगा. इसे भारत का राजदंड भी कहा जा रहा है. आइए जानते हैं कि क्यों यह प्रतीक इतना खास है और देशभर में इस पर चर्चा हो रही है.
गृहमंत्री अमित शाह ने खुद इस ऐतिहासिक राजदंड के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी. इसके पीछे युगों से जुड़ी हुई एक परंपरा है. इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है.'
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क्या है सेंगोल?
देश के प्राचीन इतिहास में राजदंड की परिकल्पना रही है. ऐतिहासिक ग्रंथ बताते हैं कि हर राजाभवन में एक राजदंड होता था, जिस पर अधिकार राजा का होता था. यह राजदंड जिसके पास होता था, वही साम्राज्य का अधिपति होता था. यह माना जाता था कि राजदंड से कभी गलत निर्णय नहीं दिए जा सकते.
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सेंगल शब्द, संस्कृत के संकु से बना है, जिसका अर्थ शंख है. इसे संप्रभुता का प्रतीक माना जाता है. यह धातुओं से बना एक दंड होता था, जिसे राजकीय आयोजनों में राजा अपने साथ रखते थे. मौर्य, गुप्त से लेकर चोल और विजयनगर साम्राज्य तक में इस राजदंड का इस्तेमाल हुआ है. मुगल साम्राज्य में भी अकबर ने सेंगोल राजदंड का इस्तेमाल किया था. इसे नए संसद भवन में रखा जाएगा.
सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक है सेंगोल
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, '14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी. इसके 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है. सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी. यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई. फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए. इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.'
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कैसे स्थापित होगा सेंगोल?
गृहमंत्री अमित शाह ने बताया है कि कैसे सेंगोल की स्थापना की जाएगी. उन्होंने कहा, 'सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता. जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु से आए हुए अधीनम से सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे.
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नई संसद से क्या है सेंगोल का नाता, मौर्य साम्राज्य से जुड़ा है इतिहास, क्यों कहते हैं इसे राजदंड, जानें एक एक बात