डीएनए हिंदी: बिहार की सियासत में बाहुबलियों का बोलबाला रहा है. किसी भी राजनीतिक पार्टी को उनसे संबंध कायम रखने में कोई दिक्कत नहीं है. शायद यही वजह है कि नीतीश कुमार से लेकर तेजस्वी यादव तक आनंद मोहन की रिहाई से खुश हैं. गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन गुरुवार को सहरसा जेल से रिहा हो चुके हैं. आनंद मोहन की रिहाई के लिए आरोप लग रहे हैं कि नीतीश कुमार सरकार ने कानून में ही बदलाव कर दिया. उनकी रिहाई क्षमादान आदेश के तहत हुई है.

बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिससे मोहन समेत 27 अभियुक्तों की समय से पहले ही रिहाई हो गई. बिहार में सियासत का बाहुबलियों के साथ तगड़ा कनेक्शन रहा है. यही वजह है कि वहां की राजनीति में पप्पू यादव और अनंत सिंह जैसे बाहुबली पहली पंक्ति के नेताओं में शुमार हो गए हैं.

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आनंद मोहन के समर्थन में खड़े लोग कौन हैं?

आनंद मोहन की रिहाई पर पक्ष और विपक्ष के लोग एकमत हो रहे हैं. तभी गिरिराज सिंह जैसे लोग कह रहे हैं कि उन्हें उसकी सजा मिली जो उन्होंने किया ही नहीं. जेडीयू के ललन सिंह तो मानो इसी इंतजार में थे कि कैसे आनंद मोहन रिहा हों.

ललन सिंह ने कहा है कि अब आनंद मोहन जी रिहा हो गए हैं. हम लोग एक गाड़ी पर बैठ चुके हैं, ये गाड़ी रुकेगी नहीं. गिरिराज सिंह ने कहा है कि बेचारे आनंद मोहन काफी समय तक जेल में रहे हैं, वह बलि का बकरा बने हैं. पप्पू यादव ने कहा है कि एक घटना घटी और वह हादसा हो गया. आनंद मोहन की रिहाई पर हंगामा नहीं करना चाहिए.

अब सोचकर देखिए, एक बाहुबली के समर्थन में बिहार के दिग्गज आ गए हैं. उन्हें मिल रहे अपार जनसमर्थन की वजह से उनका अच्छा व्यवहार नहीं है. ऐसा सिर्फ इसलिए है कि वह एक अरसे तक भूमिहार-क्षत्रिय एकजुटता के पक्षधर रहे हैं. वह सवर्णों की राजनीति करते हैं, इस वोट बैंक पर उनका अच्छा असर है. यही वजह है कि उन्हें बचाने की कोशिश जारी है.

किस केस में सजा काट रहे थे आनंद मोहन?

आनंद मोहन ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या की थी. 1994 में मुजफ्फरपुर में एक गैंगस्टर की शवयात्रा के दौरान आईएएस अधिकारी कृष्णैया की हत्या कर दी गई थी. आनंद मोहन अब अपने घर जा रहे हैं. वह कृष्णैया हत्याकांड में दोषी पाए जाने के बाद पिछले 15 वर्षों से सलाखों के पीछे थे. 

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अक्टूबर 2007 में एक स्थानीय अदालत ने मोहन को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन दिसंबर 2008 में पटना उच्च न्यायालय ने मृत्युदंड को उम्रकैद में बदल दिया था. आनंद मोहन ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. 

किस आदेश के तहत हो रही है आनंद मोहन की रिहाई?

बिहार सरकार ने 10 अप्रैल को बिहार जेल नियमावली, 2012 में संशोधन किया था और उस उपबंध को हटा दिया था, जिसमें कहा गया था कि 'ड्यूटी पर कार्यरत जनसेवक की हत्या' के दोषी को उसकी जेल की सजा में माफी या छूट नहीं दी जा सकती. 

बिहार के गृह विभाग की ओर से जारी एक अधिसूचना में 10 अप्रैल को कहा गया है कि बिहार कारा हस्तक 2012 के नियम - 481 (i) (क) में संशोधन किया जा रहा है. बिहार कारा हस्तक 2012 नियम- 481 (i) (क) में वर्णित वाक्यांश 'या काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या' को खत्म किया जा रहा है. 

आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार में बवाल

नीतीश कुमार सरकार के इस कदम से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. बिहार में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने नीतीश सरकार के इस कदम की आलोचना की है. बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने RJD के समर्थन से सत्ता में बने रहने के लिए कानून की बलि चढ़ा दी. वहीं, दिवंगत आईएएस की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर निराशा जाहिर की है. उन्हें पीएम मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से इस केस में दखल देने की मांग की है. IAS एसोसिएशन ने भी इस रिहाई की निंदा की है. (इनपुट: PTI)

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Anand Mohan released from Bihar Saharsa jail Opposition slams RJD JDU Nitish Kumar government
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आनंद मोहन के समर्थन में उतरे कई दिग्गज नेता, बाहुबली की रिहाई पर बिहार में हंगाम
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बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन.
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बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन.

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आनंद मोहन के समर्थन में उतरे कई दिग्गज नेता, बाहुबली की रिहाई पर बिहार में हंगामा, वजह क्या है