डीएनए हिंदी: करीब 7 साल पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Of India) ने देश में एसिड पीड़िताओं (Acid Attack Survivors) के दर्द को समझा था. जस्टिस मदन बी. लोकुर (Justice Madan B. Lokur) की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच ने एसिड अटैक रोकने के लिए स्पष्ट आदेश जारी किए थे. शीर्ष अदालत की इस सख्ती का असर दिखाई तो दिया है. अब एसिड अटैक (Acid Attack) के मामले पहले से कम हुए हैं. साथ ही ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए अलग से कानून में प्रावधान भी हुआ है. इसके बावजूद अब भी हर साल 150 से ज्यादा लड़कियां किसी मनचले या सिरफिरे की कांच की बोतल में भरे एसिड की बूंदों के 'छपाक' का शिकार हो जाती हैं. देश की राजधानी दिल्ली (Delhi Acid Attack) के द्वारका (Dwaraka Acid Attack) में 12वीं कक्षा की छात्रा पर बुधवार को हुआ एसिड अटैक इसी की एक बानगी भर है.

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पहले जानिए क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 10 अप्रैल, 2015 को अपने आदेश में देश के सभी राज्यों को एसिड की खुलेआम बिक्री पर सख्ती से रोक लगाने का आदेश दिया था. साथ ही एसिड अटैक का शिकार होने वाली लड़कियों को 3 लाख रुपये की तत्काल आर्थिक मदद देना, दवाइयों से लेकर सर्जरी और अस्पताल में अलग कमरे तक की सुविधा के साथ मुफ्त इलाज मुहैया कराना, भविष्य में उसे सारी सुविधाएं पाने के लिए एसिड अटैक सर्वाइवर सर्टिफिकेट जारी करना और दोषियों को सख्त सजा देने के लिए कानून में प्रावधान करने का आदेश दिया था.

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क्या हालात हैं इसके बाद

देश में पिछले 5 साल यानी साल 2017 से 2021 तक एसिड अटैक के 1070 मामले सामने आए हैं. इसके उलट साल 2014 से 2018 के बीच 1483 महिलाओं पर एसिड से हमला किया गया था. साल 2017 से 2021 के बीच एसिड अटैक के मामलों में हर साल कमी दर्ज की गई है. साल 2017 में जहां एसिड अटैक के 244 मामले सामने आए थे, वहीं 2021 में इनकी संख्या घटकर 176 रह गई. हालांकि इन पांच साल में 324 केस ऐसे भी रहे, जिनमें एसिड अटैक की कोशिश की गई, लेकिन हमलावर असफल हो गए.

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40% मामले पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में

एसिड अटैक के सबसे ज्यादा 239 मामले पश्चिम बंगाल (West Bengal Acid Attack) में दर्ज किए गए हैं, जबकि दूसरे नंबर पर 193 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Acid Attack Case) रहा है. इन दोनों राज्यों में देश के 40% एसिड अटैक केस दर्ज हुए हैं. देश के अन्य किसी भी राज्य में एसिड अटैक के 100 मामले दर्ज नहीं हुए हैं, बल्कि 50 और 100 के बीच मामले वाले भी दो ही राज्य ओडिशा (53 केस) और केरल (50 केस) रहे हैं. देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 5 साल के दौरान एसिड अटैक के 46 मामले सामने आ चुके हैं. 

कानून में भी हो चुका है प्रावधान

एसिड अटैक पीड़िताओं को न्याय दिलाने के लिए IPC की धारा 326 में एक प्रावधान जोड़ा गया था. अब ये मुकदमे IPC की धारा 326A और धारा 326B के तहत दर्ज होते हैं. पहले धारा 326 के तहत एसिड अटैक में दोषी साबित होने पर उम्र कैद या 10 साल की सजा का प्रावधान था, लेकिन नए संशोधन के बाद जानबूझकर एसिड हमले से पीड़ित को नुकसान पहुंचने पर अपराध गैरजमानती माना जाएगा. इसमें उम्रकैद के साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है. जुर्माने की रकम पीड़िता को मिलेगी. एसिड अटैक की कोशिश के लिए धारा 326B के तहत कार्रवाई होती है. इसमें एसिड अटैक असफल रहने पर भी आरोपी को पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. यह भी गैरजमानती धारा है.

सजा नहीं मिलने से कानून का खौफ नहीं

एसिड अटैक के मामलों में अदालतों से सजा मिलने की दर बेहद कम रही है. इसके चलते हमलावरों के हौसले बुलंद रहे हैं और सख्त कानून के बावजूद ऐसे मामले सामने आते हैं. लोकसभा में इस साल सरकार ने मानसून सत्र के दौरान NCRB Data पेश किया था, जिसमें साल 2018 से 2020 के बीच एसिड अटैक के 386 दर्ज मामलों में महज 62 लोगों को ही अदालत से सजा मिली है.

Statistical Input- अभिषेक सांख्यायन

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Acid Attack in India How many cases every year supreme court ruling and Section 326A
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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से घटे मामले, फिर भी हर साल 150 लड़कियों पर एसिड हमला
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Acid Attack in India: पांच साल में 1070 युवतियां हुईं हैं एसिड हमले का शिकार.

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Acid Attack In India: सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से घटे मामले, बना कानून, फिर भी हर साल 150 लड़कियों पर 'छपाक'