दिल्ली, एनसीआर और उत्तर भारत में तापमान आमतौर पर 40 डिग्री या इससे ऊपर जा रहा है. अगले कुछ दिनों का मौसम ऐसा गर्म रहने वाला है. मौसम विभाग का अनुमान है कि लू के थपेड़ों और गर्म हवाओं से फिलहाल राहत नहीं मिलने वाली है. लू, गर्म हवाएं और प्रचंड गर्मी जैसे शब्द आपने जरूर सुने होंगे लेकिन हो सकता है कि इनके बीच का अंतर आपको पता नहीं हो. आइए समझते हैं इनमें क्या फर्क है.
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लू और गर्म हवाओं में अंतर होता है. गर्मी के मौसम में ऐसे इलाके जहां तापमान, औसत तापमान से कहीं ज्यादा हो और 5 दिनों से ज्यादा तक यही स्थिति जारी रहे तो इसे लू माना जाता है. इसके साथ ही मौसम में नमी भी आ जाती है. किसी भी क्षेत्र का औसत तापमान किसी भी मौसम में कितना होगा, इसकी गणना तापमान के पिछले 30 साल के रिकॉर्ड के आधार पर की जाती है.
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गरम हवाएं आम तौर पर एक एरिया के ऊपर बने अधिक दबाव की वजह से पैदा होती हैं. यह अधिक दबाव काफी देर तक बना रहता है. अक्सर कई दिन और हफ्ते भी यह दबाव रहता है. ऐसी परिस्थिति को गर्म हवाओं के तौर पर मौसम विज्ञान में चिह्नित किया गया है.
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मौसम विज्ञान के मुताबिक, लू या गरम हवाएं पर्यावरण के लिए अच्छी होती हैं. यह सुनकर पहली बार में शायद इस पर यकीन न हो लेकिन ऐसा सच है. अच्छा मॉनसून इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी जमीन ठीक से गर्म हुई है या नहीं. सूरज और बारिश का आपस में गहरा रिश्ता है और जमीन की गर्माहट का असर मॉनसून और बारिश पर पड़ता है.
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कुछ साल पहले आई विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले एक दशक में लू और गर्म हवाएं बहुत ज्यादा जानलेवा साबित हुई हैं. इसकी वजह से यूरोप में 2003 में 72 हजार लोगों की जाने गई, वहीं रूस में 2010 में 55 हजार लोग लू की चपेट में आ गए थे. भारत में भी हर साल लू और गर्म हवाओं की वजह से हजारों लोगों की मौत हो जाती है.
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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, भारत सरकार की वेबसाइट में हीट वेव यानि कड़ी गरमी को कुछ इस तरह समझाया गया है, 'सामान्य तौर पर अधिकतम तापमान से कहीं ज्यादा तापमान को लू कहते हैं. देश के उत्तर-पश्चिमी हिस्से के गरमी के मौसम में ये गरम हवाएं आती हैं. ये हवाएं आम तौर पर मार्च से जून के बीच आती हैं.' अधिकतम तापमान और उसकी वजह से पर्यावरण की स्थितियों में होने वाले बदलाव से उस क्षेत्र के लोगों पर असर पड़ता है और कई बार मौत भी हो जाती है.भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक गर्म हवाएं चलने के कई पैमानों में एक यह है कि मैदानी इलाके में जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी पर 30 डिग्री से ज्यादा पहुंच जाए.