Lucknow Special: दुनिया में हर बड़ा शहर किसी न किसी एक कारण से खास होता है, लेकिन यदि बात उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की हो तो मामला अलग है. 'नवाबों का शहर', 'तहजीब का शहर', 'भारत का कॉन्स्टेंटिनोपल', 'शिराज-ए-हिंद' और 'पूरब की गोल्डन सिटी', न जाने कितने नामों से इस शहर को बुलाया जाता है. हर नाम भारत के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक सूबे की इस राजधानी की अलग ही खासियत बताता है. लखनऊ के बारे में आप जितना भी जानने की कोशिश करेंगे, उतने ही नए किस्से-कहानियां आपको जानने के लिए मिल जाएंगी. आज हम आपको वे पांच खासियत बता रहे हैं, जो लखनऊ को वास्तव में दुनिया भर में खास बनाती हैं.
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आपने वो 'पहले आप, पहले आप' वाली कहावत तो सुनी ही होगी. लखनऊ के नवाबों से जुड़ी यह कहावत ही बता देती है कि इस महानगर की भाषा में कितनी नफासत है. सामने वाला दुश्मन हो तो भी उसे सम्मान देकर पुकारने की परंपरा के चलते ही लखनऊ 'तहजीब का शहर' कहा जाता है, जिसके सामने वाले को पुकारने में ही नहीं बल्कि बैठने-उठने से लेकर खाने-पीने तक में आपको एक ऐसी खास बात दिखाई देगी, जो पूरी दुनिया में किसी शहर में नहीं दिखेगी.
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लखनऊ की स्थापना रामायण के दौर से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि इसे भगवान राम ने लक्ष्मण जी को तोहफे में दिया था, जिन्होंने इसे कौशल राज्य की राजधानी लखनपुर के तौर पर बसाया था. यही लखनपुर बिगड़कर लखनौत हो गया, लेकिन सही मायने में लखनऊ के इतिहास की शुरुआत यहां अवध के नवाबों के आगमन से मानी जा सकती है. आज आप जो लखनऊ देखते हैं, वो 1732 में यहां आए नवाबों की बदौलत ही है. लखनऊ की मीठी बोली, विशालकाय इमारतें, शाकाहारी से लेकर मांसाहारी तक खास स्वाद वाले पकवान और गरीब से गरीब आदमी के उठने-बैठने के अंदाज में भी राजसी ठाटबाट की झलक देने वाली तहजीब, सबकुछ नवाबों की ही देन है. यही कारण है कि इसे नवाबों का शहर कहा जाता है और यह तमगा किसी दूसरे शहर के पास नहीं है.
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लखनऊ की बात चले और यहां की चिकनकारी यानी खास किस्म के पतले कॉटन क्लॉथ पर की जाने वाली कढ़ाई की बात ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. लखनऊ की चिकनकारी को GI Tag मिल चुका है यानी पूरी दुनिया में यह अपनी किस्म की अनूठी है. यह कहावत मशहूर है कि लखनऊ आने वाला कोई भी शख्स बिना चिकन क्लॉथ खरीदे वापस जा ही नहीं सकता है. कहते हैं कि लखनऊ में चिकनकारी की शुरुआत चौथे मुगल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां ने कराई थी, जो इसकी बहुत बड़ी फैन थी. नूरजहां की सलाह पर जहांगीर ने लखनऊ में चिकनकारी की बहुत सारी वर्कशॉप शुरू कराई थी. आज यही चिकनकारी इस शहर की बड़ी पहचान है.
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लखनऊ की पुरानी इमारतों पर नवाबी शासन की झलक साफ ही दिखाई देती है. यहां पुराने महलों और अन्य इमारतों की अपनी ही अलग खासियत है. बड़े इमामबाड़ा की भूलभुलैया को दुनिया भर में आकर्षण के केंद्र के तौर पर देखा जाता है, जिसके अंदर जाने के बाद आप बिना गाइड के बाहर निकल ही नहीं पाएंगे. इसके अलावा छोटा इमामबाड़ा भी वास्तुकला के हिसाब से अनूठी बिल्डिंग है. इनके अलावा भी यहां कई ऐसी अनूठी इमारतें हैं, जो इस शहर को टूरिस्ट्स के लिए बेहद खास बनाती हैं.
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लखनऊ की बात चले और खाने-पीने का जिक्र ना हो, ये संभव ही नहीं है. लखनऊ के मलीहाबाद का दशहरी आम दुनिया के कोने-कोने में मशहूर है. मलीहाबाद अब 'मेंगो टूरिज्म' यानी आम के बाग के बीच में रहकर वहीं इस फल का लुत्फ लेने के लिए भी मशहूर हो रहा है. यहीं पास में दशहरी गांव भी मौजूद है, जिसे आम की इस किस्म का जन्मदाता माना जाता है. वहां दुनिया का पहला दशहरी आम का पेड़ आज भी संरक्षित है. इसी तरह लखनऊ अपनी खास नॉनवेज डिशेज के लिए भी चर्चित है. कहावत है कि लखनऊ वाले शक्ल देखकर बता देते हैं कि सामने वाला मांस खाता है या नहीं. लखनऊ के कबाब तो बेहद मशहूर हैं ही, साथ में यहां 36 प्रकार की चिकन डिशेज भी बनती है. इनमें मुर्रे, बखिया, जाली, तेपची, फंदा, जंजीरा आदि शामिल है. यहां का गलावटी कबाब, नहारी-कुल्चा और शाही कोरमा जैसी डिशेज भी लखनऊ के नाम से पूरी दुनिया में जानी जाती हैं.
Short Title
नवाबों के शहर लखनऊ की वे 5 बातें, जो बनाती हैं उसे दुनिया में सबसे खास