रेप और हत्या का दोषी करार दिए जाने के बाद जेल में सजा काट रहे राम रहीम गुरमीत सिंह को 21 दिन की फरलो मिली है. आम तौर पर किसी हाई प्रोफाइल कैदी को पैरोल या फरलो मिलने की खबर आती ही रहती है. बहुत से लोग अक्सर ये नहीं जानते हैं कि पैरोल और फरलो 2 अलग चीजें होती हैं और दोनों के लिए अलग नियम हैं.
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फरलो का मतलब जेल से मिलने वाली छुट्टी होती है. पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए कैदी को दी जाती है. एक साल में किसी कैदी को अधिकतन तीन बार फरलो मिल सकती है. फरलो सजायाफ्ता कैदियों के मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए और समाज से संबंध जोड़ने के लिए दिया जाता है. राम रहीम के केस में 21 दिनों की फरलो मिली है.
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विचाराधीन या सजायाफ्ता कैदियों को पैरोल या फरलो की रियायत मिल सकती है. कैदी को पैरोल तभी दी जाती है जब उसकी सजा का एक साल पूरा हो जाता है. पैरोल मिलने के लिए अनिवार्य शर्त होती है कि कैदी का आचरण जेल के भीतर अच्छा होना चाहिए. पैरोल की कई श्रेणी बनाई गई हैं. जैसे कि खेती के लिए 6 सप्ताह की पैरोल का नियम है. यह साल में एक बार ही मिल सकती है. बच्चों के स्कूल में दाखिले के लिए 4 सप्ताह की पैरोल साल में एक बार दी जा सकती है. मकान बनाने या उसकी मरम्मत के लिए 3 साल में एक बार पैरोल का नियम है. यह अधिकतम 3 सप्ताह की हो सकती है.
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फरलो के बारे में अलग से नियम हैं. तीन साल की सजा पूरी होने के बाद यह शुरू होती है. पहली दफा इसकी अवधि 21 दिन की होती है तो उसके बाद यह सिमटकर 4 दिनों की रह जाती है. फरलो की खास बात है कि यह अवधि सजा में जुड़ जाती है. यानी जितनी अवधि इस कैटेगरी में कैदी जेल से बाहर रहा उतनी सजा कम हो जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सुनवाई में कहा था कि फरलो को कानूनी अधिकार के तौर पर नहीं पेश किया जा सकता है. यह एक तरह की रियायत है.
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फरलो और पैरोल में मुख्य रूप से 2 अंतर हैं. फरलो उन सजायाफ्ता कैदियों को दी जाती है जो लम्बे समय से सजा काट रहे हैं. फरलो की अवधि को कैदी की सजा में छूट और उसके अधिकार के तौर पर देखा जाता है. यह बिना किसी वजह के भी दी जा सकती है. पैरोल जेल में अच्छे आचरण और किसी खास वजह के आधार पर दी जाती है.