डीएनए हिंदीः इस साल भारत ने चावल का रिकॉर्ड तोड़ कारोबार किया है. भारत ने चावल के एक्सपोर्ट में दुनिया में नंबर वन का मुकाम तो सालों से हासिल कर रखा है लेकिन ये रिकॉर्ड और ये मुकाम बना रहे, अब इसकी तैयारी भी कर ली गई है. खाने के मानक तय करने वाली रेगुलेटरी संस्था Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI) ने बासमती चावल की खूशबू और प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए पहली बार रेगुलेटरी स्टैंडर्ड लागू किए हैं। ये नए नियम 1 अगस्त 2023 से प्रभावी हो जाएंगे.
क्या होगा बदलाव
नए नियमों के मुताबिक बासमती चावल की खूशबू को बरकरार रखना होगा. इसमें किसी भी तरह के आर्टिफिशियल रंग पॉलिश और नकली खूशबू को बासमती चावल में प्रयोग नहीं किया जा सकेगा. ये नियम देश में बिकने वाले और निर्यात होने वाले दोनों तरह के चावलों के लिए लागू होंगे. ब्राउन बासमती चावल, मिल वाले बासमती और (par boiled) आधे उबले बासमती पर ये नियम लागू रहेंगे. इसके अलावा बासमती चावल का औसत साइज़, पकने के बाद चावल की स्थिति, चावल में नमी यूरिक एसिड की मात्रा और बासमती में इत्तेफाक से नॉन बासमती की कितनी मात्रा हो सकती है, ये भी तय कर दिया गया है.
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क्यों बनाए गए नियम
अब आपको जानना चाहिए कि भारत सरकार बासमती के नियम क्यों बना रही हैं. बास यानी खूशबू और मती यानी किस्म यानी वैरायटी. दरअसल भारत दुनिया भर में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है. अमेरिका, ईरान, यमन समेत अन्य देशों में भारत से चावल भेजा जाता है. इस साल भारत का निर्यात बढ़कर 126 लाख टन हो गया. दूसरे नंबर पर पाकिस्तान और फिर वियतनाम आता है लेकिन ये मिलकर भी भारत का आधा ही निर्यात करते है. थाइलैंड, पाकिस्तान, चीन, यूएसए और बर्मा भी चावल एक्सपोर्ट करते हैं लेकिन भारत का कब्जा चावल के निर्यात के दो तिहाई बाज़ार पर है. भारत हर साल तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपये के बासमती चावल का एक्सपोर्ट करता है और क्वालिटी इसकी बड़ी वजह है. लेकिन मुनाफे को बढ़ाने के लिए व्यापारियों के स्तर पर बासमती में दूसरे चावल की मिलावट और चावल की चमक और खूशबू बढ़ाने के लिए पॉलिश, पाउडर और केमिकल की मिलावट की शिकायतें मिल रही थी. ये भारत के निर्यात को प्रभावित कर सकता है, इसलिए fssai को मानक तय करने पड़े.
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कहां होता है उत्पादन
हिमालय की तलहटी के मैदानी इलाकों में बासमती चावल का उत्पादन होता है. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में चावल उगाया जाता है. गंगा के मैदानी इलाकों में पानी, मिट्रटी, हवा और तापमान की वजह से बासमती की क्वॉलिटी दूसरे चावल के मुकाबले बेहतर मानी जाती है. बासमती को क्वीन ऑफ राइस भी कहा जाता है. देहरादून के बासमती चावल का सिक्का दुनिया भर में बोलता है. लेकिन मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और पंजाब के बासमती चावल की किस्मों को भी इंटरनेशनल मार्केट में हाथो हाथ लिया जाता है.
भारत और पाकिस्तान की बासमती पर भी है लड़ाई
भारत ने यूरोपीय यूनियन (EU) में बासमती राइस ( Basmati Rice) के लिए ज्योग्राफिक इंडिकेशन (GI) का टैग पाने के लिए आवेदन किया था. अपने आवेदन में भारत ने कहा था कि बासमती चावल ( Basmati Rice) एक विशेष प्रकार का लंबे दाने वाला खुशबू वाला चावल है जो भारतीय उपमहाद्वीप के खास इलाके में उगाया जाता है.
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