Women Empowerment in Politics: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) नजदीक है और इस बार दिल्ली की राजनीति में एक अनोखा संयोग देखने को मिल रहा है. दिल्ली में सत्ता और प्रशासन के तीन प्रमुख पदों पर महिलाएं काबिज हैं. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, नेता प्रतिपक्ष आतिशी, और मुख्यमंत्री की सचिव आईएएस मधु रानी तेवतिया. यह न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है बल्कि देशभर की राजनीति के लिए एक प्रेरणास्रोत भी है. ऐसे में कहा जा सकात है कि 'दिलवालियों' का राज, दिल्ली का ताज साबित होगा.
महिला नेतृत्व की नई परिभाषा
यह पहली बार है जब किसी राज्य में सत्ता के शीर्ष तीन पदों पर महिलाएं नेतृत्व कर रही हैं. यह स्थिति 'महिला नेतृत्व मॉडल' के रूप में देखी जा सकती है, जहां प्रशासनिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर महिलाओं की निर्णायक भूमिका है. मुख्यमंत्री के तौर रेखा गुप्ता, दिल्ली में पहली नेता प्रतिपक्ष आतिशी और शिक्षा और विकास की नीति बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली युवा महिला नेता साबित होंगी. वहीं, मुख्यमंत्री की सचिव मधु रानी तेवतिया, प्रशासनिक स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी संभालने वाली आईएएस अधिकारी साबित होंगी.
राजनीति में महिलाओं का बढ़ता दबदबा
भारत में राजनीति में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. आंकड़ों पर नजर डालें तो पहले लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या पहली लोकसभा में 5 प्रतिशत से बढ़कर 17वीं लोकसभा में 15 प्रतिशत हो गई. वर्तमान में भारत में ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), और आनंदीबेन पटेल (गवर्नर, यूपी) जैसी नेता अहम भूमिका निभा रही हैं. भारत में 50% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं, जिससे 14 लाख से अधिक महिला प्रतिनिधि स्थानीय सरकारों में हैं. हालांकि, वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो भारत अभी भी बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है. पर भारत में महिलाओं को राजनीति में लाकर एक मजबूत लोकतंत्र बनाने की कोशिश की जा रही है.
दिल्ली का यह नेतृत्व मॉडल देश के लिए कैसे प्रेरणास्रोत बन सकता है?
दिल्ली की महिला नेतृत्व वाली सरकार भारत के अन्य राज्यों को भी इस दिशा में प्रेरित कर सकती है:
- महिलाओं को अधिक राजनीतिक अवसर मिलेंगे : जब महिलाएं सत्ता में होंगी, तो वे अन्य महिलाओं को भी आगे बढ़ाने के लिए नीतियां बनाएंगी.
- महिला सुरक्षा और कल्याण पर अधिक ध्यान : महिला मुख्यमंत्री, महिला विपक्षी नेता और महिला प्रशासक मिलकर महिलाओं के लिए बेहतर नीतियां बना सकती हैं.
- नई पीढ़ी के लिए रोल मॉडल: युवा लड़कियों के लिए यह एक उदाहरण होगा कि वे भी राजनीति और प्रशासन में शीर्ष पदों तक पहुंच सकती हैं.
- अन्य राज्यों को मिलेगा प्रोत्साहन: अन्य राज्यों में भी इस तरह के नेतृत्व को बढ़ावा देने की जरूरत महसूस होगी.
अन्य राज्यों में महिलाओं का दमखम
दिल्ली के अलावा कई अन्य राज्यों में भी महिलाओं का प्रभाव बढ़ा है:
- पश्चिम बंगाल : ममता बनर्जी तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं शुरू कीं.
- तमिलनाडु : जयललिता के समय महिला कल्याणकारी नीतियों को काफी प्राथमिकता दी गई.
- राजस्थान : वसुंधरा राजे ने दो बार मुख्यमंत्री रहकर राज्य में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया.
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दिल्ली में महिलाओं के नेतृत्व में चल रही सरकार केवल एक संयोग नहीं, बल्कि एक नई सोच और सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे देश की राजनीति में महिलाओं के बढ़ते दबदबे का संकेत है. इस तरह के नेतृत्व मॉडल को अन्य राज्यों और राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनाने की जरूरत है, ताकि महिलाओं को शासन और निर्णय लेने की प्रक्रिया में समान अवसर मिलें.
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