डीएनए हिंदी: पिछले तीन-चार दिनों टमाटर के दाम काफी तेजी से बढ़े हैं. एक हफ्ते पहले 40 से 50 रुपये किलो मिल रहा टमाटर अब 100 से 150 रुपये प्रति किलो मिल रहा है. हर शहर में टमाटर के दाम 100 रुपये किलो से ज्यादा हो गए हैं. थोक विक्रेताओं का कहना है कि उन्हें भी टमाटर महंगा मिल रहा है इस वजह से वह चाहकर भी टमाटर के दाम कम नहीं कर सकते. वहीं, आम जनता का कहना है कि टमाटर ऐसी चीज है कि जिसके बिना काम नहीं चल सकता है तो कितना भी महंगा हो खरीदना तो है ही. कुछ राज्यों में टमाटर के दाम नियंत्रित रखने के लिए सरकारों की ओर से भी प्रयास शुरू हो गए हैं.
टमाटर के दाम बढ़ने के बावजूद किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. आम उपभोक्ता 100 रुपये किलो में जो टमाटर खरीद रहा है, वही टमाटर किसान कुछ हफ्ते पहले किसान सड़कों पर फेंक रहे थे. किसानों को मंडी में टमाटर का दाम दो से पांच रुपये किलो मिल रहा था. ऐसे में परेशान किसानों ने कई जगहों पर फसलें सड़क पर फेंक दीं. अभी भी किसानों को यह फायदा नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि किसानों का हाल जस का तस बना हुआ है. आइए इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं...
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महंगा क्यों हुआ है टमाटर?
टमाटर ऐसी फसल है जिसे ज्यादा दिन तक रखा नहीं जा सकता है. खेत में से फसल तोड़ने के बाद दो-तीन दिन में इसका बिकना जरूरी होती है. इसके अलावा खेतों में पड़ी फसल भी बारिश से बहुत जल्दी खराब हो जाती है. कई इलाकों में हुई बेमौसम बारिश ने फसलों को प्रभावित किया है, ऐसे में सप्लाई ही कम हो गई है. इससे पहले, एकसाथ बहुत सारी फसल मंडियों में आ गई थी. टमाटर के साथ हर साल यही होता है कि एकसाथ बहुत सारी फसल आ जाने से टमाटर 2 से 5 रुपये प्रति किलो बिकने लगता है और किसानों की लागत भी नहीं निकल पाती है.
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दूसरी वजह यह भी है कि भारत बड़े स्तर पर टमाटर का आयात भी करता है. टमाटर का आयात हो जाने पर स्थानीय फसल का रेट काफी कम हो जाता है. ऐसे में किसानों में भी टमाटर की खेती के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है. हैरानी की बात यह है कि आयात के अलावा भारत बड़े स्तर पर टमाटर का निर्यात भी करता है लेकिन किसान हर हाल में परेशान ही रहता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल का बुरा हाल देखते हुए किसानों ने इस साल टमाटर की खेती भी कम की है और उत्पादन भी काफी हद तक प्रभावित हुआ है.
क्या है टमाटर की कहानी?
भारत में कर्नाटक, महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में टमाटर की खेती सबसे ज्यादा होती है. साल में दो बार टमाटर बोया जाता है. फरवरी में जो टमाटर बोया जाता है उसकी फसल जून-जुलाई में तैयार होती है. इस साल यूपी, एमपी, हरियाणा और राजस्थान में फसल काफी खराब हुई है. दिल्ली में हिमाचल और उत्तराखंड से टमाटर आता है ऐसे में रेट काफी बढ़ गया है. कई अन्य मंडियों में टमाटर काफी दूर से आ रहा है क्योंकि स्थानीय किसानों की फसल खराब हो गई है.
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कुछ व्यापारियों का कहना है कि कालाबाजारी भी इसका एक अहम कारण है. आरोप हैं कि कई लोग ऐसे हैं जो यूनियन बनाकर टमाटरों की खरीद-फरोख्त में गड़बड़ी करते हैं. यही लोग मौसम का बहाना बनाकर दाम कंट्रोल करते हैं और किसान लाचार ही रह जाता है. यूपी में अभी भी किसानों को एक किलो टमाटर के लिए 24 से 30 रुपये ही मिल रहे हैं. वहीं, बेंगलुरु में 40 से 45 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं. ऐसे में सारा फायदा बिचौलियों को मिल रहा है.
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सस्ते में टमाटर बेच रहे किसान, फिर आपके लिए क्यों हो गया महंगा? समझिए पूरा खेल