डीएनए हिंदी: चीन (China) के लोग इन दिनों भीषण गर्मी, सूखे और हीटवेव (Heatwave in China) की मार से जूझ रहे हैं. चीन के अधिकांश हिस्से ऐसे हैं, जहां बारिश ही नहीं हुई है. भीषण गर्मी की वजह से लोग बेहाल हैं. किसानों की फसलें बुरी तरह से तबाह हो रही हैं, वहीं कई प्रमुख उद्योगों पर भी हीटवेव की गाज गिरी है. नदी और जलाशयों में पानी नहीं है. कई जगह जलस्तर अपने न्यूनतम स्तर पर है. बिजली की कमी की वजह से कई कारखाने बंद हो गए हैं. प्रोडक्शन यूनिट ठप है. चीन की बदहाली का असर दुनिया के दूसरे देशों पर भी हो सकता है.
अगर ऐसी ही स्थिति रही तो चीनी उत्पादों की दुनियाभर में सप्लाई बाधित होगी और वैश्विक खाद्य संकट के और गहरे होने की आशंका बनी रहेगी. चीन में बीते 2 महीने से भीषण गर्मी पड़ रही है. सैकड़ों जगहें ऐसी हैं जहां तापमान 40°C से अधिक दर्ज किया गया है. चीन में गर्मी के कई रिकॉर्ड टूट रहे हैं. कई सबवे स्टेशनों को रेस्ट एरिया बनाया गया है, जहां गरीब आबादी आराम कर सके.
क्या है ग्लोबल वार्मिंग और कितना खतरनाक है इसका असर
चीन के कई हिस्से झेल रहे हैं गर्मी की मार
सिचुआन प्रांत के चोंगकिंग इलाके में 18 अगस्त को तापमान 45 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. यह शिनजियांग के रेगिस्तानी बहुल क्षेत्र के बाहर चीन में अब तक का सबसे अधिक तापमान है. 1961 से लेकर आजतक के आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो यह पहली बार है जब चीन में इतनी गर्मी पड़ी हो. चीन की गर्मी लंबी खिंच गई है. मौसम इतिहासकार मैक्सिमिलियानो हेरेरा कहते हैं कि अब तक दुनियाभर में दर्ज यह सबसे गंभीर हीटवेव है, जिससे चीन जूझ रहा है. मैक्मिमिलियाने हरेरा दुनियाभर के मौसम घटनाक्रम पर नजर रखते हैं.
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मैक्मिमिलियाने हरेरा ने कहा है कि यह बेहद अविश्वसनीय है. इतने बड़े क्षेत्र में, एक साथ व्यापक स्तर पर भीषण गर्मी दर्ज की जा रही है. विश्व जलवायु के इतिहास में अब तक ऐसा कभी नहीं देखा गया जो चीन में हो रहा हो.
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भीषण गर्मी और हीटवेट की वजह से चीन में नदियां सूख रही हैं. कुछ हिस्सों में नदियों का जलस्तर लगातार गिर रहा है. करीब 66 नदियां ऐसी हैं, जिनमें पानी नहीं है. यांग्त्ज़ी के कुछ हिस्सों में, 1865 के बाद से सबसे कम जल स्तर पहली बार देखा गया है. कुछ जगहों पर पानी की सप्लाई पूरी तरह से बाधित हो गई है. लोग पानी के लिए चीख-पुकार मचा रहे हैं. ट्रकों के जरिए पानी भेजा जा रहा है. 19 अगस्त को चीन ने 9 साल बाद पहली बार राष्ट्रीय सूखे का ऐलान किया है. चीन की फसलें तबाह हैं और वहां खाद्य संकट पैदा होने का खतरा मंडरा रहा है.
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चीन के कई हिस्सों में बिजली गुल, कारखाने पूरी तरह से बंद!
नदियों में जल स्तर कम होने की वजह से बिजली का उत्पादन बेहद कम हो गया है. सिचुआन प्रांत में ऐसा कहर पैदा हुआ है कि वहां लोग बिजली के लिए तरस गए हैं. इस इलाके में 80 प्रतिशत बिजली जल विद्युत परियोजनाओं से पैदा होती है.
एयर कंडीशनिंग के लिए बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई की मांग बढ़ी है लेकिन बिजली है ही नहीं. यही वजह है कि हजारों कारखानों को बिजली की कमी की वजह से बंद कर दिया गया है. दफ्तरों और शॉपिंग मॉल को भी निर्देश दिया गया है कि बिजली बचाने के लिए लाइट और एयर कंडीशनिंग को कम करें.
हजारों हेक्टेयर फसलें सूखे की वजह से हुईं बर्बाद
अकेले सिचुआन में, 47,000 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है. करीब 433,000 हेक्टेयर फसल हीटवेव की वजह से खत्म होने की कगार पर है. चीन के कृषि मंत्रालय ने कहा है कि वह कृत्रिम तौर पर बादल बनाकर बारिश कराएगा. हालांकि यह वैज्ञानिक साफ नहीं कर पाए हैं कि क्लाउड सीडिंग से क्या तबाह हुई फसलों को फिर से संभाला जा सकेगा या नहीं.
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कई देशों पर मंडरा रहा है सूखे का खतरा
सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जहां सूखे का खतरा मंडरा रहा है. मानसून और बारिश का पैटर्न बदल रहा है. यूरोप में आने वाले दिनों में सबसे खतरनाक स्तर का सूखा पड़ सकता है. ऐसी स्थिति 500 साल पहले भी कभी नहीं आई थी. अफ्रीका के हॉर्न में सूखा पड़ा है. अमेरिका और मैक्सिको के ज्यादातर हिस्से सूखे की मार झेल रहे हैं.
और गहराएगा दुनियाभर में खाद्य संकट
इन क्षेत्रों में कम फसल की पैदावार वैश्विक खाद्य संकट को और खराब कर सकती है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले ही वैश्विक खाद्य कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं हैं. चीन भले ही अनाज स्टोर करने में दक्ष हो लेकिन वैश्विक स्तर पर स्थितियां ज्यादा बुरी हो सकती हैं.
क्यों चीन झेल रहा है सूखे की मार और हीटवेव?
इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की से सूखे की स्थिति पैदा हो रही है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाएगी, हीटवेव और सूखा से लोग बेहाल होते जाएंगे. आने वाले दिनों में स्थितियां और भयावह हो सकती हैं. ऐसा सिर्फ चीन के साथ ही नहीं होगा. इसका असर एशिया और यूरोप के कई देशों पर बुरी तरह से पड़ने वाला है.
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