डीएनए हिंदी: तेजी से डिजिटल होती दुनिया और इलेक्ट्रॉनिक कारों की बढ़ती मांग के साथ चिप और सेमीकंडक्टर की मांग कई गुना बढ़ी है. भारत में इसी मांग को पूरा करने के लिए ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन और भारत की वेदांता कंपनी ने हाथ मिलाया था. लगभग 19.5 अरब डॉलर की यह डील अब खटाई में पड़ गई है क्योंकि फॉक्सकॉन ने इस डील से पीछे हटने का ऐलान कर दिया है. सितंबर 2022 में हुआ यह समझौता जमीन पर उतरने से पहले ही खत्म हो गया है. ऐसे में चिप निर्माण में आत्मनिर्भर होने की भारत की कोशिशों को एक झटका मिला है. वेदांता का कहना है कि वह भारत में चिप निर्माण के लिए अभी भी प्रतिबद्ध है और इस पर काम करना जारी रखेगी. देश में इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों की मांग बढ़ने के साथ ही चिप का निर्माण और उत्पादन काफी जरूरी माना जा रहा है.

फॉक्सकॉन ने कहा है कि वह वेदांता के साथ अपने इस ज्वाइंट वेंचर से अपना नाम हटाने की ओर काम कर रही है. फॉक्सकॉन के इस ऐलान के बाद केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि इससे भारत की सेमीकंडक्टर योजना के लक्ष्यों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि वेदांता और फॉक्सकॉन दोनों ही भारत में बड़ी निवेशक कंपनियां हैं और नौकरियां पैदा कर रही हैं. यह सबको पता था कि दोनों ही कंपनियों के पास सेमीकंडक्टर बनाने का अनुभव नहीं था ऐसे में थर्ड पार्टी टेक पार्टनर की तलाश की जा रही थी.

नया प्रस्ताव लेकर आई है वेदांता
राजीव चंद्रशेखर ने आगे कहा है, 'वेदांता ने 28nm आकार के चिप बनाने का प्रस्ताव रखा था लेकिन इसके लिए वह कोई टेक पार्टनर नहीं ढूंढ पाई. हाल ही में वेदांता ने 40 nm चिप बनाने का प्रस्ताव रखा है जिसके लिए उसने एक बड़ी वैश्विक सेमीकंडक्टर कंपनी से लाइसेंस एग्रीमेंट की बात कही है. इस प्रस्ताव की जांच की जा रही है. इसमें सरकार का कोई लेना-देना नहीं है कि प्राइवेट कंपनियां अपने पार्टनर कैसे चुनती हैं.'

यह भी पढ़ें- चंद्रयान 2 क्यों हुआ फेल, क्या चंद्रयान 3 के लिए ISRO ने ठीक कर ली है खामियां?

इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े करीबी सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन मंजूरी में देरी से जुड़ी चिंताओं की वजह से भी फॉक्सकॉन ने ऐसा कदम उठाया. सरकार ने संभावित आवेदकों के लिए भारत में सेमीकंडक्टर बनाने के लिए निवेश पर 50 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 10 अरब डॉलर की वित्तीय प्रोत्साहन योजना को खुला रखने का भी निर्णय लिया है. बता दें कि वेदांता और फॉक्सकॉन ने गुजरात में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उत्पादन प्लांट स्थापित करने के लिए 19.5 अरब डॉलर का निवेश करने के लिए सितंबर 2022 में समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

कहां फंस गया मामला?
मई 2023 में खबरें आईं की वेदांता-फॉक्सकॉन का यह ज्वाइंट वेंचर काफी धीमी गति से आगे बढ़ रहा है क्योंकि ST माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स के साथ इनकी बातचीत अटक सी गई है. सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों कंपनियों ने ST माइक्रो से लाइसेंसिंग टेक्नोलॉजी के लिए बात आगे बढ़ाई थी लेकिन भारत सरकार ने स्पष्ट किया था कि ST माइक्रो को इस मामले में और गंभीरता से काम करना होगा और पार्टनरशिप में भी शामिल होगा.

यह भी पढ़ें- जगन्नाथ पुरी मंदिर का रत्न भंडार क्यों खुलवाना चाहती है बीजेपी? जानिए कितने गहनों से भरा है खजाना

30 जून 2023 को भारत में मार्केट रेगुलेटर ने वेदांता पर जुर्माना लगाया कि उसने गोपनीय जानकारी लीक कर दी जिसमें यह दिखाने की कोशिश की गई उसने फॉक्सकॉन के साथ मिलकर सेमीकंडक्टर बनाने की कोशिश की गई, जबकि असलियत यह है कि उसकी होल्डिंग वाली कंपनी ने यह डील की थी. इन सब बातों का नतीजा यह हुआ कि फॉक्सकॉन ने बिना कोई कारण बताए ही इस डील से हटने का फैसला कर डाला.

आगे क्या होगा?
फॉक्सकॉन ने कहा कि सेमीकंडक्टर बनाने के लिए बने ज्वाइंट वेंचर से वह अपना नाम वापस ले लेगी. इसका नतीजा यह होगा कि अब वेदांता इस कंपनी की अकेली मालिक हो जाएगी. ऐसे में वेदांता के लिए जरूरी है कि वह ऐसे पार्टनर की तलाश करे जिसे सेमीकंडक्टर बनाने का अनुभव भी हो और उसकी मदद से वेदांता को लाइसेंस भी मिल सके. समस्या यह है कि दुनियाभर में सेमीकंडक्टर बनाने वाली कंपनियों की संख्या बेहद सीमित है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
why foxconn vedanta deal for chip making canelled here is what was the plan
Short Title
क्यों फेल हो गई Foxconn Vedanta Deal? अब चिप निर्माण में कैसे आगे बढ़ेगा भारत?
Article Type
Language
Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
Foxconn Vedanta Deal
Caption

Foxconn Vedanta Deal

Date updated
Date published
Home Title

क्यों फेल हो गई Foxconn Vedanta Deal? अब चिप निर्माण में कैसे आगे बढ़ेगा भारत?