ईरान (Iran) में पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत हेलीकॉप्टर दुर्घटना की वजह से इसी साल हो गई थी. वो उस वक्त मुल्क के राष्ट्रपति पद पर आसिन थे. उनकी मौत के बाद देशभर में सदमा पसर गया था. साथ ही इस बात को लेकर गहमा-गहमी होने लगी थी कि अब देश का अगला राष्ट्रपति (President) कौन होगा. स्थिति को देखते हुए ईरान के सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने देश में चुनाव की घोषणा कर दी. चुनाव के नतीजे आज आ चुके हैं. सुधारवादी नेता मसूद पेज़ेश्कियान (Masoud Pezeshkian) ने राष्ट्रपति चुनाव में एक बड़ी जीत हासिल की है. वो अब ईरान के नए राष्ट्रपति हैं. आइए उनके सियासी सफर के बारे में जानते हैं. साथ ही जानेंगे कि भारत को लेकर उनकी क्या सोच है.
भारत-ईरान के रिश्तों में आएगा बदलाव
भारत के साथ ईरान के रिश्तों की बात करें तो राष्ट्रपति रईसी के समय दोनों देशों के बीच बेहद ही शानदार ताल्लुकात थे. देखने वाली बात ये होगी कि ईरान की नई सरकार में दोनों के संबंध कैसे रहते हैं. ईरान के नए राष्ट्रपति की बात करें तो वो एक बेहद ही साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं. उनका अब तक का जीवन पूरी तरह से संघर्षों से भरा रहा है. जानकारों के मुताबिक भारत और ईरान के रिश्तों में नई सरकार बनने के बाद भी कोई खास बदलाव नहीं आएगा. इसको लेकर भारत में मौजूद ईरान के राजदूत इराज इलाही ने नई सरकार आने को लेकर बताया कि 'ईरान और भारत के संबंध पहले की तरह ही रहेंगे. दोनों देशों के बीच हमेशा ऐसे ही रिश्ते रहने वाले हैं. चाहे कोई भी सरकार आए. चाबहार बंदरगाह जैसे मामलों में दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं. दोनों एक-दूसरे के सहयोग से कार्य करते रहेंगे.' माना जाता है कि भारत के प्रति पेज़ेश्कियान की सोच बेहद साकारात्मक है. इससे दोनों देशों के संबंध पहले से भी अधिक मधुर हो सकते हैं.
ये भी पढ़ें: ब्रिटेन में जीती लेबर पार्टी का क्या है भारत की आजादी से कनेक्शन, कंजर्वेटिव पार्टी ने की थी गद्दारी
मसूद पेज़ेश्कियान की पारिवारिक पृष्ठभूमि
मसूद पेज़ेश्कियान की पैदाइश 29 सितंबर 1954 की है. उनका नाता उत्तर-पश्चिमी ईरान के महाबाद शहर के एक बेहद ही साधारण परिवार से है. उनके पिता अज़ेरी मूल के हैं, वहीं उनकी माता एक कुर्द हैं. उनके घर में अज़ेरी भाषा बोली जाती है. अज़ेरी और कुर्द लोगों को ईरान में अल्पसंख्यक जातीय समूहों के तौर पर पहचान होती है. उन्होंने कई आपदाओं के समय स्वसेवक की भूमिका में लोगों की मदद की है. उन्होंने ईरान-इराक जंग के दौरान भी युद्धग्रस्त इलाकों में राहत सामग्री और चिकित्सा दल भेजे थे.
ये भी पढ़ें: ब्रिटेन में 14 साल बाद लेबर पार्टी को बहुमत, मजदूर का बेटा बनेगा अगला ब्रिटिश पीएम
एक डॉक्टर से लेकर राष्ट्रपति तक का सफर
पेज़ेश्कियान के सियासी तजुर्बे की बात करें तो वो पहले देश के उप स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम कर चुके हैं. बेहतर काम करने की वजह से उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का भी पद मिला. एक विपक्षी नेता के तौर जमकर कट्टरपंथी नेताओं का विरोध किया, ऐर देश में सुधारवादी आंदोलन की बात कही. हिरासत में मारी गईं एक स्वतंत्र फोटोग्राफर ज़हरा काज़ेमी की मौत पर सरकार के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया. साथ ही अमेरिका और वेस्टर्न कंट्रीज के साथ संबंध अच्छे करने के भी पक्षधर हैं. महिलाओं की आजादी की भी वो वकालत कर चुके हैं. सुधारवादी होने के साथ-साथ वो खुद को देश के सुप्रीम नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का शिष्य भी बताते हैं. वो मूल रूप से एक हार्ट सर्जन हैं. उन्होंने अपने शुरुआती दिनों के दौरान तबरीज़ यूनिवर्सिटी ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में एक डॉक्टर के तौर पर सेवा दी है.
ख़बर की और जानकारी के लिए डाउनलोड करें DNA App, अपनी राय और अपने इलाके की खबर देने के लिए जुड़ें हमारे गूगल, फेसबुक, x, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सऐप कम्युनिटी से.
- Log in to post comments
कौन हैं Iran के नए राष्ट्रपति Masoud Pezeshkian, India को लेकर क्या है इनकी राय