डीएनए हिंदी: भारत की अध्यक्षता में नई दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन को देख दुनिया मुरीद हो गई है. भारत की बढ़ती ताकत का अब दुनियाभर में डंका बजने लगा है. यही वजह है कि भारत की मुखालफत करने वाले देशों के भी अब सुर बदलने लगे हैं. यह पहली बार हुआ है जब तुर्की ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थायी सदस्य बनाने की मांग की है. G20 सम्मेलन को दौरान तुर्की के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन ने कहा कि मुझे गर्व होगा अगर भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का सदस्य से बनता है. एर्दोगन का यह बयान उस लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है कि जो देश भारत का विरोध कर रहे थे. आइये सबसे पहले यह समझते हैं कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) है क्या और इसके कौन-कौन सदस्य हैं? इसका कार्य क्या होता है?
संयुक्त राष्ट्र संघ के 6 प्रमुख हिस्सों में से यूएनएससी एक है. इसका मुख्य कार्य दुनियाभर में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ में नए सदस्यों (देशों) को जोड़ना और इसके चार्टर में बदलाव करने से जुड़ा काम भी सुरक्षा परिषद ही करती है. UNSC की जिम्मेदारी दुनिया में शांति बनाए रखने की होती है. अगर किसी देश में मिलिट्री एक्शन की जरुरत होती है तो सुरक्षा परिषद रेजोल्यूशन के जरिए उसे लागू किया जाता है.
ये 5 देश हैं UNSC के स्थायी सदस्य
यूएनएससी का गठन 24 अक्टूबर 1945 को हुआ था. भारत इसके मूल संस्थापक सदस्यों में है. यानी जिन देशों ने संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे, उनमें भारत भी शामिल था. उस समय संयुक्त राष्ट्र संघ में 5 देशों को स्थायी सदस्यता प्रदान की गई थी. इनमें चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका हैं. इन पांच देशों को वीटो पावर हासिल है. वीटो पावर का मतलब है कि UNSC में स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई एक सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल कर उस फैसले को रोक सकता है. यूएनएससी में अगर कोई फैसला लिया जाता है तो उसके लिए पांचों स्थायी सदस्यों की सहमति जरूरी है.
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चीन लगाता है अड़ंगा
ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. जब वीटो पावर का इस्तेमाल कर चीन ने अडंगा लगाया हो. पाकिस्तान में पनाह लेकर बैठा मसूद अजहर को भारत के प्रस्ताव पर सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्य, रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के फैसला किया था तो चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर इस फैसले को रोक दिया था. हालांकि बाद में जब पाकिस्तान से उसकी तल्खी बढ़ी तो ड्रैगन ने मसूद अजहर को वैश्विक आंतकवादी घोषित करने का समर्थन किया.
इतना ही नहीं, यूएनएससी में भारत को स्थायी सदस्य बनाने की मांग लंबे समय से उठती रही है. इसके चार सदस्य रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस, भारत को स्थायी सदस्यता देने का समर्थन करते रहे हैं लेकिन चीन के अड़ंगा की वजह से यह मुमकिन नहीं हो पाया है. चीन को पता है कि अगर भारत इसका स्थायी सदस्य बन गया तो उसकी ताकत दुनिया में उससे ज्यादा बढ़ जाएगी. फिर वह सीमाओं पर किसी भी तरह की मनमानी नहीं चला सकेगा.
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UNSC का स्थायी सदस्य कैसे बनता है कोई देश
यूएनएससी की संरचना में किसी तरह का बदलाव करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में संशोधन करना होगा. जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) की सदस्यता के दो-तिहाई बहुमत से हस्ताक्षरित और समर्थन प्रदान करना होगा. इसमें 5 स्थायी सदस्यों की सहमति जरुरी है. इन पांच में से किसी एक देश ने भी वीटो कर दिया तो उस देश को स्थायी सदस्यता नहीं मिल सकती. भारत के साथ भी पिछले सालों से ऐसा होता आ रहा है. जहां चीन बार-बार भारत को यूएनएससी में स्थायी सदस्य बनने का विरोध करता है.
UNSC में ये 15 देश शामिल
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 देश हैं. इनमें रूस, अमेरिका, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन स्थायी सदस्य देश हैं. वहीं 10 देशों को अस्थाई सदस्यता दी गई है. इनमें बेल्जियम, कोट डी-आइवरी डोमिनिकन रिपब्लिक, गिनी, जर्मनी, इंडोनेशिया, कुवैत, पेरू, पोलैंड, दक्षिण अफ्रीका और भारत भी शामिल है. भारत को जनवरी 2021 में दो साल के लिए सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया गया था. इस दौरान भारत को दो बार UNSC की अध्यक्षता करने को मिली. यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्यों को छोड़कर हर साल पांच गैर-स्थायी सदस्यों का चुनाव होता है.
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क्या है UNSC, इसका स्थायी सदस्य बनने पर भारत की कितनी बढ़ जाएगी ताकत