भारत में उत्तर बनाम दक्षिण की राजनीति कई बार चर्चा में आई है. इस बार दक्षिण के कुछ राज्यों ने केंद्र की सरकार पर आरोप लगाए हैं कि उनके साथ भेदभाव किया गया है. बात सिर्फ आरोपों तक ही नहीं रुकी बल्कि सड़क पर इसको लेकर प्रदर्शन भी किया गया. बुधवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया. केरल की लेफ्ट गठबंधन वाली सरकार ने भी इसका समर्थन किया. यह पूरा विवाद इन राज्यों को केंद्र की ओर से मिलने वाले पैसों को लेकर है. केरल और कर्नाटक का कहना है कि उन्हें कम पैसे दिए जा रहे हैं.

कांग्रेस का आरोप है कि पिछले कुछ सालों में कर राजस्व में उसके प्रदेश के हिस्से की राशि के ट्रांसफर और सहायता अनुदान में कर्नाटक के साथ अन्याय किया गया है. विरोध प्रदर्शन में शामिल कांग्रेस नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार 15वें वित्त आयोग के तहत कर्नाटक को कथित तौर पर हुए 1.87 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की भरपाई करे. सिद्धारमैया ने कहा कि यह विरोध बीजेपी के खिलाफ नहीं बल्कि कर्नाटक के साथ भेदभाव के खिलाफ है.

क्या है सिद्धारमैया की मांग?
उन्होंने बीजेपी के इस आरोप को खारिज किया कि इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य उत्तर-दक्षिण विभाजन को बढ़ावा देना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि देश एकजुट रहे लेकिन दक्षिणी राज्यों के साथ कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.

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सिद्धारमैया ने कहा कि 14वें वित्त आयोग के तहत राज्यों, खासकर कर्नाटक को कर राजस्व बांटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले फॉर्मूले को 15वें वित्त आयोग ने बदल दिया था. उन्होंने कहा कि राज्य के राजस्व के नुकसान को रोकने के लिए पुराने फॉर्मूले पर लौटने की जरूरत है. 

सीपीएम के दिग्गज नेता और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन अपने कैबिनेट सहयोगियों के साथ 8 फरवरी को दक्षिणी राज्य के प्रति केंद्र की कथित उदासीनता के खिलाफ दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने भी सिद्धारमैया और कर्नाटक के नेताओं के इस प्रदर्शन को समर्थन दिया है. सिद्धारमैया कर्नाटक के कुल 135 विधायकों और सांसदों को लेकर दिल्ली पहुंचे थे और अपना विरोध जताया.

क्या है पूरा विवाद?
बता दें कि केंद्रीय बजट में राज्यों को भी अपना हिस्सा मिलता है. राज्यों में जो टैक्स कलेक्शन होता है उसका एक बड़ा हिस्सा सीधे केंद्र सरकार के पास जाता है. केंद्र सरकार इस पैसे का बंटवारा करती है.

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सारा विवाद इसी पैसे के बंटवारे को लेकर है. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के आर्थिक सलाहकार बसवराद रायरेड्डी का कहना है कि केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा कि वह दक्षिण के राज्यों के साथ भेदभाव न करे. इसके लिए, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सरकारों से भी बात की जाएगी.

उनका कहना है कि मौजूदा 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें अक्टूबर 2025 में सामने आएंगी. उससे पहले अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की जा रही है. जहां कर्नाटक सरकार सड़क पर उतरी है तो केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन ने इसके लिए पिनराई विजयन की तारीफ भी की है.

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कर्नाटक सरकार का कहना है कि जब से 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें लागू हुई हैं तब से केंद्र से मिलने वाले टैक्स के पैसों में उसकी हिस्सेदारी सिर्फ 3.64 प्रतिशत रह गई है जबकि पहले यह 4.71 प्रतिशत है.

कर्नाटक सरकार का आरोप है कि हमने उत्तर के मुकाबले ज्यादा बेहतर काम किया है शायद इसी की सजा देते हुए फंड में कटौती की जा रही है.

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साउथ टैक्स मूवमेंट क्या है? क्यों ज्यादा पैसे चाहती है केरल, कर्नाटक सरकार?
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