डीएनए हिंदी: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए 6 अक्टूबर से दिल्ली में ग्रैप स्टेज-1 लागू हो रहा है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट देखी जा रही है, जिसे नियंत्रित करने के लिए कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) की मीटिंग बुलाई गई थी.
मीटिंग में GRAP को लागू करने का फैसला किया गया है. दिल्ली में अब 500 स्क्वायर मीटर से बड़े निर्माण कार्य पर रोक रहेगी. अगर निर्माण करना है तो सरकारी वेब पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. दिल्ली में GRAP की जरूरत क्यों पड़ी, इस संस्था का काम क्या है और कैसे यह बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ रणनीति तैयार करता है, आइए समझते हैं.
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ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान क्या है?
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान यानी GRAP, हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद लागू किया जाता है. यह वायु गुणवत्ता में सुधार और गिरावट को रोकने के लिए अमल में लाया जाता है. GRAP का स्टेज 1 तब एक्टिवेट होता है, जब AQI ख़राब श्रेणी (201 से 300) तक के बीच पहुंच जाता है. बुधवार को दिल्ली की वायु गुणवत्ता गिरकर 211 तक पहुंच गई थी.
जैसे ही AQI, 301 से 400 तक पहुंचेगा, दिल्ली में GRAP स्टेज 2 लागू हो जाएगा. AQI जब 401 से 450 के बीच में पहुंचता है, तब GRAP स्टेज 4 लागू हो जाता है. यह एक्शन प्लान IITM और IMD के पूर्वानुमानों के मुताबिक तैयार होता है.
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जो भी प्रतिबंध स्टेज 1 के तहत लगाए जा रहे हैं, वह प्रदूषण बढ़ने पर वैसे ही लागू रहेंगे. अगर 2, 3 या 4 स्टेज लागू करने की नौबत आती है तो भी पहले लगाए गए प्रतिबंध वैसे ही लागू रहते हैं.
इस साल हर साल से अलग क्यों है GRAP?
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने इस साल की शुरुआत में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को संशोधित किया था. GRAP पहली बार जनवरी 2017 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की पहल पर अस्तित्व में आया था. यह एक योजना पर आधारित था जिसे नवंबर 2016 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रस्तुत किया.
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2021 से, GRAP को CAQM लागू कर रहा है. इस साल अभी तक वायु की गुणवत्ता इतनी खराब नहीं हुई है. ऐसे में पूर्वानुमानों के आधार पर ही पहले से प्रदूषण को नियंत्रित करने की योजना तैयार की जा रही है.
पहले GRAP, PM2.5 और PM10 के स्तर पर लागू होता था. अब यह AQI के आधार पर लागू हो रहा है. इसमें ओजोन, सल्फर डाइ-ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर पर भी नजर रखी जाएगी.
क्या-क्या लागू हो सकते हैं नए प्रतिबंध?
अगर प्रदूषण का स्तर बढ़ा तो कई नए प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं. दिल्ली-एनसीआर में अगर प्रदूषण स्टेज-3 तक पहुंचा तो BS-III और BS-IV गाड़ियों पर प्रतिबंध लग सकता है. यह तभी लागू होगा जब AQI 'गंभीर' श्रेणी तक पहुंच जाएगा.
GRAP के तहत BS-VI और इमरजेंसी सेवाओं वाली गाड़ियों को छोड़कर दूसरी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है. इस श्रेणी के तहत, दिल्ली में रजिस्टर्ड, डीजल से चलने वाले मध्यम और भारी माल वाहनों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लागू किया जाएगा. इसमें छूट सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं वाले वाहनों को दी जाएगी.
प्रदूषण रोकने के लिए क्या हैं GRAP के कदम?
ग्रैप के तहत कुछ जगहों पर कंस्ट्रक्शन वर्क पर रोक रहेगी. रेलवे, नेशनल सिक्योरिटी प्रोजेक्ट, अस्पताल, मेट्रो, हाईवे और सड़कों को छोड़कर दूसरे प्रोजेक्ट रोक दिए जाएंगे. जैसे ही AQI गंभीर स्तर पर पहुंचेगा, ये प्रतिबंध लागू हो जाएंगे. अगर स्थितियां से गंभीर से अति गंभीर श्रेणी में पहुंची तो हाईवे, रोड कंस्ट्रक्शन, फ्लाईओवर और पाइपलाइन वर्क को भी रोक दिया जाएगा.
अगर फिर भी न रुका प्रदूष तो?
GRAP के तहत प्रदूषण की स्थिति अति गंभीर होने पर कुछ सुरक्षात्मक उपाय अपनाए जा सकते हैं. जैसे स्कूलों को बंद किया जा सकता है. गाड़ियों का ऑड-ईवन फॉर्मूला लौट सकता है. प्राइवेट और सरकारी कार्यालयों में 50 फीसदी क्षमता के साथ काम करने की इजाजत दी जा सकती है. कुछ संस्थानों को वर्क फ्रॉम होम मोड में डाला जा सकता है.
नागरिकों को क्या करना चाहिए?
GRAP में जनता के लिए भी गाइडलाइन तय की गई है. जब एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब स्तर पर पहुंचे तो अपनी गाड़ियों की देखभाल बढ़ा देनी चाहिए. पीयूसी सर्टिफिकेट को अपडेट करना लेना चाहिए. जैसे ही रेड लाइट लाइट हो गाड़ियों को ऑफ कर देना चाहिए. अगर प्रदूषण का स्तर बेहद खराब पर पहुंचता है तो लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना चाहिए. अपनी गाड़ियों के एयर फिल्टर को भी बदल देना चाहिए.
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यह प्रदूषण अति गंभीर स्थिति में पहुंच जाए तो वर्क फ्रॉम होम मोड में काम करना चाहिए. हीटिंग के लिए कोयला और लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. बच्चों और बुजुर्गों को घर से बाहर कम से कम निकलने देना चाहिए.
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